कोलकाता : पश्चिम बंगाल विधानसभा में बीजेपी विधायकों ने गुरुवार को सदन के पटल पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सामने जय श्री राम के नारे लगाए. हालांकि, मुख्यमंत्री ने इस बार उम्मीद के मुताबिक गुस्सा नहीं किया और नारों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
इस दौरान उन्होंने नारों को नजरअंदाज कर दिया और पश्चिम बंगाल में केंद्र सरकार के तीन कृषि बिल को नकारने वाले बिल के पक्ष में अपना भाषण देना जारी रखा.
बता दें कि हाल ही में कोलकाता में विक्टोरिया मेमोरियल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती समारोह के अवसर पर जब मुख्यमंत्री को भाषण देने के लिए बुलाया गया, तो उस समय दर्शकों के एक वर्ग ने जय श्री राम के नारे लगाए, जिसके बाद मुख्यमंत्री गुस्सा हो गईं और विरोध में भाषण देने से इनकार कर दिया.
उल्लेखनीय है कि उस समय उनके बगल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बैठे थे.
इसके बाद विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के बीच मौखिक रूप से जुबानी जंग छिड़ गई.
गुरुवार को राज्य विधानसभा सत्र के दूसरे भाग में, मुख्यमंत्री राज्य में केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के कार्यान्वयन की उपेक्षा करते हुए राज्य के अपने बिल के समर्थन में अपना भाषण दे रही थीं. उनके भाषण के बाद जब विधेयक को पारित करने का प्रस्ताव सदन के पटल पर रखा गया, तो भाजपा के नौ विधायकों ने विधेयक का विरोध किया और मुख्यमंत्री के सामने जय श्री राम के नारे लगाने लगे.
इनमें से विधायक, दुलाल बार और सुदीप मुखर्जी सबसे आगे थे, जो हाल ही में टीएमसी छोड़ भगवा पार्टी में शामिल हो गए थे.
इससे पहले मुख्यमंत्री ने तंज कसा था कि जब हिन्दू कनवर्ट होकर मुस्लिम बन जाते हैं और फिर ज्यादा गोमांस खाते हैं. इस पर भाजपा विधायकों ने कड़ी आपत्ति जाताते हुए सीएम का विरोध किया.
हालांकि, बाद में मुख्यमंत्री ने खुद अपना बयान वापस ले लिया. भाजपा विधायकों ने कहा कि केंद्र के खिलाफ राज्य के बिल पूरी तरह से असंवैधानिक और अवैध हैं.
पढ़ें - पश्चिम बंगाल विधानसभा में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पास
भाजपा के एक विधायक ने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों को लाभ पहुंचाने और उनकी आय को दोगुना करने के लिए तीन कृषि कानूनों को मंजूरी दी, लेकिन विधानसभा इसे रोक रही है.
वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से तत्काल इस्तीफे की मांग की और कहा कि दोनों को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए.
हम केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि वह किसानों के खिलाफ हैं.