नई दिल्ली : 2014 के बाद से ही भाजपा के लिए पूर्वोत्तर राज्यों में अपनी पैठ बनाना काफी महत्वपूर्ण रहा है और उसके लिए केंद्र सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों को पूर्वोत्तर के विकास पर समुचित ध्यान देने का निर्देश प्रधानमंत्री दे चुके हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वोत्तर राज्यों पर खास ध्यान देते रहे हैं. मगर इससे पहले भाजपा पूर्वोत्तर राज्यों में कमल खिलाने के सपने भी नहीं देखती थी, लेकिन मोदी-शाह की जोड़ी ने पूर्वोत्तर राज्योंं में कमल को खिलाया और अब उसे बरकरार रखने के लिए भाजपा कुछ भी करने को तैयार है.
वैसे तो असम में विधानसभा चुनाव में अभी कुछ महीने बाकी हैं, मगर भाजपा ने अंदरखाने अभी से तैयारी शुरू कर दी है. पिछले हफ्ते पार्टी ने संगठन मंत्री वीएल संतोष को असम के दौरे पर भेजा था, जहां उन्होंने 26 और 27 अगस्त को कई बैठकें भी कीं और राज्य के प्रतिनिधियों से कहा है कि वह 100 दिन का कार्यक्रम तैयार करें, जिसे पार्टी पूरे राज्य में सितंबर से अभियान शुरू कर सके.
वीएल संतोष ने मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और पार्टी के ही दूसरे नेता हेमंत बिस्वा सरमा के बीच काफी दिन से चल रही अंदरूनी उठापठक को जल्द खत्म करने का भी निर्देश दिया.
नाम न छापने की शर्त पर असम भाजपा के एक नेता ने बताया कि पार्टी के केंद्रीय संगठन मंत्री ने राज्य के पदाधिकारियों के साथ की गई बैठक में आलाकमान के संदेश के तौर पर यह चेतावनी भी दी थी कि नेताओं के बीच का अंतर्विरोध जनता के सामने प्रकट नहीं होना चाहिए.
यहां यह बताना जरूरी होगा कि असम में कैबिनेट मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा और मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के बीच लंबे समय से चल रहे अंतर्विरोधों की वजह से ही सरमा ने विधानसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया है.
पार्टी के विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि पार्टी आलाकमान जल्दी ही उन्हें किसी राज्य से राज्यसभा की सीट देकर केंद्र में मंत्री बना सकती है.
राज्य में इस कार्यक्रम के तहत लोकल फॉर वोकल और आत्मनिर्भर भारत अभियान को चलाने और प्रधानमंत्री के जन्मदिन से शुरू हो रहे सेवा सप्ताह को जोर शोर से आयोजित करने का निर्देश दिया गया है.
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पार्टी सूत्रों की मानें तो सर्बानंद सोनोवाल को दोबारा मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया जाएगा, इसलिए राज्य के 28 हज़ार बूथ और 399 मंडलों को भी यह साफ निर्देश दे दिए गए हैं कि वह वर्तमान सरकार के कामकाज और मुख्यमंत्री के कार्यों को लेकर ही बूथ स्तर पर बैठकों का आयोजन करें.