कोलकाता : पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आ रहा है. इसके मद्देनजर राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज हो रही हैं. भाजपा और तृणमूल कांग्रेस में हो रही तकरार के बीच दार्जिलिंग भी सुर्खियों में आ रहा है. ताजा घटनाक्रम में गोरखालैंड से जुड़े बिनॉय तमांग के समर्थकों ने गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) सुप्रीमो बिमल गुरुंग और तृणमूल के कथित गठबंधन के खिलाफ मार्च निकाला.
बिनॉय तमांग के समर्थकों का कहना है कि पीस मार्च का मकसद बिमल गुरुंग और तृणमूल कांग्रेस के गठबंधन को अवरुद्ध करने का संदेश देना था.
सूत्रों के मुताबिक बिमल गुरुंग कुछ ही दिनों में दार्जिलिंग लौटेंगे. इस स्थिति में बिनॉय तमांग के समर्थक मोर्चे का दावा है कि गुरुंग सत्ता के लालच में दार्जिलिंग लौट रहे हैं.
बिनॉय तमांग ने सवाल किया कि दार्जिलिंग में आपने पहले इतनी अशांति क्यों पैदा की? यहां का माहौल क्यों गर्म है ?
किसी भी गड़बड़ी की आशंका से निपटने के लिए इलाके में पुलिस उपाय किए गए. हालांकि, जुलूस में बिनॉय तमांग को नहीं देखा गया. उनके अलावा गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (GTA) के अध्यक्ष अनित थापा भी रविवार को हुए प्रदर्शन में शामिल नहीं हुए.
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गौरतलब है कि, पिछले लगभग दो वर्षों से फरार चल रहे बिमल गुरुंग को हाल ही में कोलकाता के सॉल्ट लेक इलाके में देखा गया था.
इससे पहले जीजेएम सुप्रीमो बिमल गुरुंग ने कहा था कि उनके संगठन ने राजग से बाहर होने का फैसला किया है, क्योंकि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पहाड़ी क्षेत्र के लिए 'स्थायी राजनीतिक समाधान तलाशने में नाकाम रही है.'
गुरुंग ने कहा था कि उनका संगठन तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन करेगा और 2021 में पश्चिम बंगाल विधानसभा का चुनाव भगवा पार्टी के खिलाफ लड़ेगा.
करीबी सहयोगी रोशन गिरि के साथ सामने आए गुरुंग ने कहा था कि केंद्र सरकार 11 गोरखा समुदायों को अनुसूचित जनजाति के तौर पर चिह्नित करने के अपने वादे को पूरा करने में नाकाम रही है. उन्होंने 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ मुकाबले में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस का समर्थन करने का संकल्प जताया.
पिछले दिनों शिरोमणि अकाली दल ने भाजपा का साथ छोड़ दिया था. हालांकि, संसद में जीजेएम के एक भी सांसद नहीं है.
गुरुंग ने कहा था 2009 से ही हम राजग का हिस्सा रहे हैं, लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने पहाड़ के लिए स्थायी राजनीतिक समाधान निकालने का अपना वादा नहीं निभाया. उसने अनुसूचित जनजाति की सूची में 11 गोरखा समुदायों को शामिल नहीं किया. हम ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं इसलिए आज हम राजग छोड़ रहे हैं.
गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) नेता गुरंग ने कहा था कि पहाड़ छोड़ने के बाद वह तीन साल नयी दिल्ली में रहे और दो महीने पहले झारखंड चले गए थे. उन्होंने कहा, अगर आज मैं गिरफ्तार हो गया तो कोई दिक्कत नहीं.
आंदोलन में कथित तौर पर हिस्सा लेने के लिए गुरुंग के खिलाफ 150 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे.