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कर्नाटक के तीन समुदायों को ST में शामिल करने के लिए विधेयक राज्यसभा से मंजूर - तीन समुदायों को अनुसुचित जनजाति में शामिल करने के लिए विधेयक पारित

राज्यसभा में गुरुवार को कर्नाटक के तीन समुदोयों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल करने के लिए विधेयक पारित कर दिया गया है. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

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संसद
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Published : Dec 12, 2019, 10:34 PM IST

नई दिल्ली : राज्यसभा ने गुरुवार को कर्नाटक के तीन आदिवासी समुदायों - परिवार, तलवार और सिद्धी को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल करने के प्रावधान वाले संविधान संशोधन विधेयक को पारित कर दिया.

जनजातीय मामलों की राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरुता ने उच्च सदन में संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (दूसरा संशोधन) विधेयक 2019 पर हुई चर्चा के जवाब में कहा कि कर्नाटक सरकार ने इन समुदायों को जनजाति की श्रेणी में शामिल करने के प्रस्ताव को केंद्र सरकार के समक्ष भेजा था.

इस बावत विहित प्रक्रिया के तहत इस प्रस्ताव की पर्याप्त जांच के बाद इसे केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने पर मंत्रालय ने यह विधेयक सदन में पेश किया है. चर्चा में हिस्सा लेते हुए सभी 15 सदस्यों ने इसका समर्थन किया.

कांग्रेस के बी.के. हरिप्रसाद ने कहा कि इन समुदायों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग बहुत समय से लंबित है. उन्होंने कहा कि इन जातियों को जनजाति का दर्जा मिलने के बाद इनका सामाजिक उत्थान होगा.

भाजपा सदस्य के.सी. राममूर्ति ने कहा कि कर्नाटक में इन समुदायों के लोगों की संख्या लगभग 15 लाख है. इन्हें आदिवासी समुदाय के रूप में देर से पहचान मिल सकी. उन्होंने कहा कि इन जातियों को अब समाज और विकास की मुख्यधारा में शामिल होने का अवसर मिलेगा.

तृणमूल कांग्रेस के अबीर रंजन विस्वास ने विधेयक का समर्थन करते हुए सरकार से पश्चिम बंगाल और असम में गोरखा समुदाय को भी अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल करने की मांग की.

उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्यस्तर पर इस हेतु प्रक्रिया पूरी कर ली है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को इस पर सकारात्मक फैसला करना चाहिए.

अन्नाद्रमुक की विजिला सत्यनाथ, सपा के विश्वंभर प्रसाद निषाद, बीजद के भास्कर राव, जद (यू) की कहकशां परवीन, टीआरएस के बंदा प्रकाश, माकपा की झरना दास वैद्या, भाकपा के बिनय विस्वम, द्रमुक के तिरुचि शिवा, बसपा के वीर सिंह और जद (एस) के डी कुपेन्द्र रेड्डी ने विधेयक का समर्थन करते हुए विभिन्न राज्यों में तमाम आदिवासी समुदायों को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल करने की लंबित मांगों पर सकारात्मक विचार करने की मांग की.

पढ़ें-लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पारित हुआ NIA संशोधन विधेयक 2019

चर्चा का जवाब देते हुए सरुता ने कहा कि किसी समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के लिए कानून के तहत निर्धारित मानकों की कसौटी पर उतरना होता है. सरकार इस प्रकार के सभी वंचित समुदायों को उनके उचित अधिकार देने के लिए प्रतिबद्ध है. सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया.

इस विधेयक में संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश, 1950 में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है.

उल्लेखनीय है कि इससे पहले यह विधेयक नौ जनवरी, 2019 को राज्यसभा में पेश हुआ था.

सरुता ने कहा कि विधेयक आदेश में नायकडा, नायक के स्थान पर नायकडा, नायक (जिसमें परिवार और तलवार शामिल हैं), और सिद्दी (उत्तर कन्नड़ जिले में) के स्थान पर सिद्दी (बेलागवी, धारवाड़ और उत्तर कन्नड़ जिले में) के प्रयोग से संबंधित संशोधन करता है.

नई दिल्ली : राज्यसभा ने गुरुवार को कर्नाटक के तीन आदिवासी समुदायों - परिवार, तलवार और सिद्धी को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल करने के प्रावधान वाले संविधान संशोधन विधेयक को पारित कर दिया.

जनजातीय मामलों की राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरुता ने उच्च सदन में संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (दूसरा संशोधन) विधेयक 2019 पर हुई चर्चा के जवाब में कहा कि कर्नाटक सरकार ने इन समुदायों को जनजाति की श्रेणी में शामिल करने के प्रस्ताव को केंद्र सरकार के समक्ष भेजा था.

इस बावत विहित प्रक्रिया के तहत इस प्रस्ताव की पर्याप्त जांच के बाद इसे केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने पर मंत्रालय ने यह विधेयक सदन में पेश किया है. चर्चा में हिस्सा लेते हुए सभी 15 सदस्यों ने इसका समर्थन किया.

कांग्रेस के बी.के. हरिप्रसाद ने कहा कि इन समुदायों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग बहुत समय से लंबित है. उन्होंने कहा कि इन जातियों को जनजाति का दर्जा मिलने के बाद इनका सामाजिक उत्थान होगा.

भाजपा सदस्य के.सी. राममूर्ति ने कहा कि कर्नाटक में इन समुदायों के लोगों की संख्या लगभग 15 लाख है. इन्हें आदिवासी समुदाय के रूप में देर से पहचान मिल सकी. उन्होंने कहा कि इन जातियों को अब समाज और विकास की मुख्यधारा में शामिल होने का अवसर मिलेगा.

तृणमूल कांग्रेस के अबीर रंजन विस्वास ने विधेयक का समर्थन करते हुए सरकार से पश्चिम बंगाल और असम में गोरखा समुदाय को भी अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल करने की मांग की.

उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्यस्तर पर इस हेतु प्रक्रिया पूरी कर ली है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को इस पर सकारात्मक फैसला करना चाहिए.

अन्नाद्रमुक की विजिला सत्यनाथ, सपा के विश्वंभर प्रसाद निषाद, बीजद के भास्कर राव, जद (यू) की कहकशां परवीन, टीआरएस के बंदा प्रकाश, माकपा की झरना दास वैद्या, भाकपा के बिनय विस्वम, द्रमुक के तिरुचि शिवा, बसपा के वीर सिंह और जद (एस) के डी कुपेन्द्र रेड्डी ने विधेयक का समर्थन करते हुए विभिन्न राज्यों में तमाम आदिवासी समुदायों को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल करने की लंबित मांगों पर सकारात्मक विचार करने की मांग की.

पढ़ें-लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पारित हुआ NIA संशोधन विधेयक 2019

चर्चा का जवाब देते हुए सरुता ने कहा कि किसी समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के लिए कानून के तहत निर्धारित मानकों की कसौटी पर उतरना होता है. सरकार इस प्रकार के सभी वंचित समुदायों को उनके उचित अधिकार देने के लिए प्रतिबद्ध है. सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया.

इस विधेयक में संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश, 1950 में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है.

उल्लेखनीय है कि इससे पहले यह विधेयक नौ जनवरी, 2019 को राज्यसभा में पेश हुआ था.

सरुता ने कहा कि विधेयक आदेश में नायकडा, नायक के स्थान पर नायकडा, नायक (जिसमें परिवार और तलवार शामिल हैं), और सिद्दी (उत्तर कन्नड़ जिले में) के स्थान पर सिद्दी (बेलागवी, धारवाड़ और उत्तर कन्नड़ जिले में) के प्रयोग से संबंधित संशोधन करता है.

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