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इंदौर : बर्फानी बाबा ने त्यागा देह, शुक्रवार को दी जाएगी समाधि - बाबा बर्फानी की प्रेरणा

मशहूर बर्फानी बाबा ने बुधवार को देह त्याग दिया. शुक्रवार को मेहंदीपुर बालाजी स्थित आश्रम में उनको समाधि दी जाएगी.

बर्फानी बाबा
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Published : Dec 24, 2020, 9:18 PM IST

इंदौर : बर्फानी बाबा महाराज बुधवार देर रात अहमदाबाद में ब्रह्मलीन हो गए. गुरुवार को पार्थिव देह मेहंदीपुर बालाजी स्थित आश्रम में लाई गई. यहां शुक्रवार को आश्रम में उनको समाधि दी जाएगी. बर्फानी बाबा के अंतिम दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में भक्त आश्रम पहुंचे.

इंदौर से भी सैकड़ों की संख्या में भक्त बाबा के दर्शन को रवाना हुए हैं. भक्तों का दावा है कि कुछ दिन पहले ही बाबा ने अपनी समाधि मेहंदीपुर बालाजी में बनाने के लिए कहा था. यहां उनका आश्रम भी है. बाबा का एक आश्रम इंदौर में भी है, जो बर्फानी धाम के नाम से प्रसिद्ध है.

बाबा बर्फानी की प्रेरणा से इंदौर के मालवीय नगर में भी बर्फानी धाम की स्थापना की गई है. जहां प्रतिवर्ष शरद पूर्णिमा पर हजारों अस्थमा रोगियों को औषधियुक्त खीर का वितरण किया जाता है. ये दवाई मुफ्त बांटी जाती है. इस आश्रम की व्यवस्था महामंडलेश्वर भरतदास बर्फानी के जिम्मे है.

बाबा बर्फानी ने हिमालय के मानसरोवर में तपस्या की है. उनके शिष्यों के मुताबिक बाबा का मूल नाम हरिदत्त दुबे है. उनका जन्म उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के डोडिया खेड़ा गांव में हुआ था. तप और साधना में रुचि होने के चलते उन्होंने अपना घर छोड़ दिया. हिमालय में जाकर जटिल साधना की. बाबा ने अमरकंटक में भी तपस्या की थी.

आश्रम की शुरुआत अमरकंटक से हुई

इंदौर के बर्फानी धाम आश्रम के बारे में कहा जाता है कि यहां पर जो राज राजेश्वरी महात्रिपुर सुंदरी का मंदिर है. उसमें विराजीं माता के दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति होती है. मंदिर की प्रतिमा बांसवाड़ा में विराजित प्रतिमा के जैसी ही है. क्योंकि बांसवाड़ा के ही कारीगर से इसे बनवाया गया था.

मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 1996 में हुई थी. यहां पर पारे के भोलेनाथ हैं. कहा जाता है कि पारेश्वर महादेव के दर्शन मात्र से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. आश्रम की शुरुआत अमरकंटक से हुई थी. इसके बाद राजनांदगांव, इंदौर, विशाखापटनम सहित देश के कई राज्यों में बाबा के आश्रम हैं.

इंदौर : बर्फानी बाबा महाराज बुधवार देर रात अहमदाबाद में ब्रह्मलीन हो गए. गुरुवार को पार्थिव देह मेहंदीपुर बालाजी स्थित आश्रम में लाई गई. यहां शुक्रवार को आश्रम में उनको समाधि दी जाएगी. बर्फानी बाबा के अंतिम दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में भक्त आश्रम पहुंचे.

इंदौर से भी सैकड़ों की संख्या में भक्त बाबा के दर्शन को रवाना हुए हैं. भक्तों का दावा है कि कुछ दिन पहले ही बाबा ने अपनी समाधि मेहंदीपुर बालाजी में बनाने के लिए कहा था. यहां उनका आश्रम भी है. बाबा का एक आश्रम इंदौर में भी है, जो बर्फानी धाम के नाम से प्रसिद्ध है.

बाबा बर्फानी की प्रेरणा से इंदौर के मालवीय नगर में भी बर्फानी धाम की स्थापना की गई है. जहां प्रतिवर्ष शरद पूर्णिमा पर हजारों अस्थमा रोगियों को औषधियुक्त खीर का वितरण किया जाता है. ये दवाई मुफ्त बांटी जाती है. इस आश्रम की व्यवस्था महामंडलेश्वर भरतदास बर्फानी के जिम्मे है.

बाबा बर्फानी ने हिमालय के मानसरोवर में तपस्या की है. उनके शिष्यों के मुताबिक बाबा का मूल नाम हरिदत्त दुबे है. उनका जन्म उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के डोडिया खेड़ा गांव में हुआ था. तप और साधना में रुचि होने के चलते उन्होंने अपना घर छोड़ दिया. हिमालय में जाकर जटिल साधना की. बाबा ने अमरकंटक में भी तपस्या की थी.

आश्रम की शुरुआत अमरकंटक से हुई

इंदौर के बर्फानी धाम आश्रम के बारे में कहा जाता है कि यहां पर जो राज राजेश्वरी महात्रिपुर सुंदरी का मंदिर है. उसमें विराजीं माता के दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति होती है. मंदिर की प्रतिमा बांसवाड़ा में विराजित प्रतिमा के जैसी ही है. क्योंकि बांसवाड़ा के ही कारीगर से इसे बनवाया गया था.

मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 1996 में हुई थी. यहां पर पारे के भोलेनाथ हैं. कहा जाता है कि पारेश्वर महादेव के दर्शन मात्र से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. आश्रम की शुरुआत अमरकंटक से हुई थी. इसके बाद राजनांदगांव, इंदौर, विशाखापटनम सहित देश के कई राज्यों में बाबा के आश्रम हैं.

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