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बीडी-08 असाल्ट राइफल है बांगलादेश का 'गौरव', राजपथ पर परेड में शामिल होगी सेना - बीडी 08 बंदूक

बांग्लादेश की सेना द्वारा इस्तेमाल की गई बीडी-08 बंदूक शक्ति की सफल कहानी अपने आप कहती है. दक्षिण एशिया के सभी देशों में बंदूकों की सफलता की अनूठी कहानियां हैं. वरिष्ठ पत्रकार संजीब के. बरुआ की रिपोर्ट से जानें बंदूक, सेना और शौर्य की कहानी..

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Published : Jan 23, 2021, 3:58 PM IST

नई दिल्ली : बांग्लादेश को बहुत सारी चीजों के लिए नहीं जाना जाता, जैसे कि बढ़िया हथियार बनाना आदि. हालांकि, ढाका में बनाई गई स्टील की तलवारें ऐतिहासिक अतीत में सबसे बेहतरीन रही हैं. फिर भी बीडी-08 असाल्ट राइफल जो कि बांग्लादेश सेना का मुख्य हथियार है, जो दक्षिण एशिया के सभी देशों में सफलता की अनूठी कहानी कहता है. चाहे वह भारत जैसा बड़ा व शक्तिशाली देश हो या पाकिस्तान ही क्यों न हो, दोनों देश एक-दूसरे को शक्ति दिखाते रहते हैं.

इस बार राष्ट्रीय राजधानी में गणतंत्र दिवस की परेड के दौरान बांग्लादेश सेना की टुकड़ी बीडी-08 बंदूक के साथ आएगी. जो उनके गर्व और आत्मविश्वास को दर्शाएगा. यह व्यक्तिगत हथियार कई परीक्षण और शानदार गुणों के साथ सेना का अंग है. दरअसल, बांग्लादेश- पाकिस्तान से मुक्ति की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर 2021 गणतंत्र दिवस की परेड में भाग लेने के लिए 122 सदस्यीय मजबूत बांग्लादेशी टुकड़ी दिल्ली में है. उन्हें भारतीय वायु सेना के एक सी -17 विमान में ढाका से लाया गया था.

बांग्लादेश ऑर्डिनेंस फैक्ट्री (बीओएफ) द्वारा निर्मित बीडी-08 मूल चीनी टाइप 81 असॉल्ट राइफल की एक बेहतर प्रतिलिपि है. इसका उपयोग बड़े पैमाने पर बांग्लादेश की सेना ने पुराने .303 बोल्ट एक्शन, ब्रिटिश मूल ली-एनफील्ड राइफल्स और चीन के स्थान पर करती है. बीओएफ की स्थापना 1969-70 में चीन की तकनीकी मदद से राजधानी ढाका के बाहर की गई थी. बीओएफ का मुख्य उद्देश्य बीडी-08 का उत्पादन करना है.

बलों के लिए मुख्यतः हथियार बनाने के लिए इसकी शुरुआत 2004 में बांग्लादेश में शुरू हुई थी. लेकिन लगभग चार वर्षों बाद यह बीडी-08 तक सीमित रह गया और उत्पादन जारी रहा. 4.5 किलोग्राम वजनी सभी 955 मिमी लम्बी बैरल के साथ, बीडी -08, 500 मीटर की रेंज तक प्रभावी मार कर सकता है. इसमें 7.62x39 मिमी कारतूस का उपयोग किया जाता है. यह प्रति मिनट 720 राउंड फायर कर सकता है. यह सर्वव्यापी एके -47 सहित सर्वश्रेष्ठ राइफलों के साथ तुलनीय है.

भारतीय राइफल अचूक

भारतीय अनुभव की पृष्ठभूमि में देखने पर बीडी-08 की सफलता अधिक स्पष्ट है. भारत .303 और बाद में स्वदेशी इंसास (इंडियन नेशनल स्मॉल आर्म्स सिस्टम) गन के साथ एसएलआर का प्रयोग करता है जो ज्यादा प्रभावी है. यह राइफल तोपों का प्रयोग कम से कम करने के लिए काम आती हैं. हालांकि, स्थानीय रूप से रूसी एके 203 (7.62x39 मिमी) के निर्माण का सौदा अभी तक जारी नहीं किया गया है. भारतीय सेना ने आपातकालीन आधार पर अमेरिका से लगभग 145,000 सिग सउर पैदल सेना राइफल (SIG716) की खरीद की है.

यह भी पढ़ें-सिंघु बॉर्डर पर पकड़े गए संदिग्ध की मां बोली, बेटा 19 तारीख से नहीं गया सिंघु बॉर्डर

पाकिस्तान दूसरे देशों के भरोसे

पाकिस्तानी सेना अब तक स्थानीय रूप से बंदूक का उत्पादन करने में सक्षम नहीं है. अब तक यह मुख्य आक्रमण में राइफल के रूप में एचकेजी 3 और टाइप 56 हथियारों के मिश्रण का उपयोग करता है. जो क्रमशः जर्मनी और चीनी मूल के हैं.

नई दिल्ली : बांग्लादेश को बहुत सारी चीजों के लिए नहीं जाना जाता, जैसे कि बढ़िया हथियार बनाना आदि. हालांकि, ढाका में बनाई गई स्टील की तलवारें ऐतिहासिक अतीत में सबसे बेहतरीन रही हैं. फिर भी बीडी-08 असाल्ट राइफल जो कि बांग्लादेश सेना का मुख्य हथियार है, जो दक्षिण एशिया के सभी देशों में सफलता की अनूठी कहानी कहता है. चाहे वह भारत जैसा बड़ा व शक्तिशाली देश हो या पाकिस्तान ही क्यों न हो, दोनों देश एक-दूसरे को शक्ति दिखाते रहते हैं.

इस बार राष्ट्रीय राजधानी में गणतंत्र दिवस की परेड के दौरान बांग्लादेश सेना की टुकड़ी बीडी-08 बंदूक के साथ आएगी. जो उनके गर्व और आत्मविश्वास को दर्शाएगा. यह व्यक्तिगत हथियार कई परीक्षण और शानदार गुणों के साथ सेना का अंग है. दरअसल, बांग्लादेश- पाकिस्तान से मुक्ति की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर 2021 गणतंत्र दिवस की परेड में भाग लेने के लिए 122 सदस्यीय मजबूत बांग्लादेशी टुकड़ी दिल्ली में है. उन्हें भारतीय वायु सेना के एक सी -17 विमान में ढाका से लाया गया था.

बांग्लादेश ऑर्डिनेंस फैक्ट्री (बीओएफ) द्वारा निर्मित बीडी-08 मूल चीनी टाइप 81 असॉल्ट राइफल की एक बेहतर प्रतिलिपि है. इसका उपयोग बड़े पैमाने पर बांग्लादेश की सेना ने पुराने .303 बोल्ट एक्शन, ब्रिटिश मूल ली-एनफील्ड राइफल्स और चीन के स्थान पर करती है. बीओएफ की स्थापना 1969-70 में चीन की तकनीकी मदद से राजधानी ढाका के बाहर की गई थी. बीओएफ का मुख्य उद्देश्य बीडी-08 का उत्पादन करना है.

बलों के लिए मुख्यतः हथियार बनाने के लिए इसकी शुरुआत 2004 में बांग्लादेश में शुरू हुई थी. लेकिन लगभग चार वर्षों बाद यह बीडी-08 तक सीमित रह गया और उत्पादन जारी रहा. 4.5 किलोग्राम वजनी सभी 955 मिमी लम्बी बैरल के साथ, बीडी -08, 500 मीटर की रेंज तक प्रभावी मार कर सकता है. इसमें 7.62x39 मिमी कारतूस का उपयोग किया जाता है. यह प्रति मिनट 720 राउंड फायर कर सकता है. यह सर्वव्यापी एके -47 सहित सर्वश्रेष्ठ राइफलों के साथ तुलनीय है.

भारतीय राइफल अचूक

भारतीय अनुभव की पृष्ठभूमि में देखने पर बीडी-08 की सफलता अधिक स्पष्ट है. भारत .303 और बाद में स्वदेशी इंसास (इंडियन नेशनल स्मॉल आर्म्स सिस्टम) गन के साथ एसएलआर का प्रयोग करता है जो ज्यादा प्रभावी है. यह राइफल तोपों का प्रयोग कम से कम करने के लिए काम आती हैं. हालांकि, स्थानीय रूप से रूसी एके 203 (7.62x39 मिमी) के निर्माण का सौदा अभी तक जारी नहीं किया गया है. भारतीय सेना ने आपातकालीन आधार पर अमेरिका से लगभग 145,000 सिग सउर पैदल सेना राइफल (SIG716) की खरीद की है.

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पाकिस्तान दूसरे देशों के भरोसे

पाकिस्तानी सेना अब तक स्थानीय रूप से बंदूक का उत्पादन करने में सक्षम नहीं है. अब तक यह मुख्य आक्रमण में राइफल के रूप में एचकेजी 3 और टाइप 56 हथियारों के मिश्रण का उपयोग करता है. जो क्रमशः जर्मनी और चीनी मूल के हैं.

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