ETV Bharat / bharat

विशेष : मानव गलती के कारण हुई असम बागजान गैस त्रासदी

author img

By

Published : Jun 27, 2020, 9:07 PM IST

ईटीवी भारत से बात करते हुए सरकारी सूत्रों ने बताया कि अगर मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन ठीक से किया गया होता, तो असम बागजान के तेल कुआं में गैस रिसाव से हुई तबाही से पूरी तरह से बचा जा सकता था. पढ़ें वरिष्ठ पत्रकार संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

डिजाइन फोटो
डिजाइन फोटो

नई दिल्ली : पूर्वी असम के बागजान में तेल के कुएं नंबर पांच में अब तक गैस रिसाव हो रहा है. अगर मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन ठीक से किया गया होता, तो गैस रिसाव से हुई तबाही से पूरी तरह से बचा जा सकता था. जांच की प्रक्रिया में शामिल एक शीर्ष अधिकारी ने ईटीवी भारत को यह बताया.

सरकारी सूत्रों के अनुसार, गैस रिसाव को सील करने के लिए 1,000-900 मीटर की गहराई पर विशेष सीमेंट की 100 मीटर लंबी ट्यूब लगाई गई थी, लेकिन सीमेंट को ठीक से लगने से पहले ही इसे खोल दिया गया था, जिसके परिणामस्वरूप वहां ब्लो आउट (blow out) हुआ. ब्लो आउट कुएं से तेल या गैस के अनियंत्रित उछाल को कहते हैं.

वेटिंग ऑन सिमेंट (WOC ) को मूल रूप से 48 घंटे के लिए नियोजित किया गया था, लेकिन दूसरा बैरियर ब्लो आउट प्रोलेंटर (BOP) केवल 16 घंटों में हटा दिया गया. उस समय सीमेंट का नमूना सेट नहीं किया गया था.

नाम न छापने की शर्त पर सूत्रों ने कहा कि बीओपी को कुएं में आगे काम करने के लिए हटाया जाना था.

गंभीर रूप से रिसाव को सील करने की योजना में सीमेंट प्लग की स्थिति और ताकत का सत्यापन शामिल नहीं था.

सूत्रों ने बताया कि ड्रिलर द्वारा गैस किक (गैस उछाल) का पता चलने के बाद, जॉन एनर्जी लिमिटेड के चालक दल के सदस्यों की प्रतिक्रिया प्रक्रिया के तहत ठीक नहीं थी. उन्हें तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए बीओपी को वापस लाना चाहिए था.

उल्लेखनीय है कि गैस रिसाव 27 मई को शुरू हुआ था और यह 9 जून को एक बड़ी विस्फोटक आग में तबदील हो गया. उसके बाद से सिंगापुर और अमेरिका से विदेशी विशेषज्ञों को बुलाकर आग बुझाने की कोशिश की जा रही है.

रिसाव की शुरुआत मैसर्स जॉन एनर्जी द्वारा की गई 'वर्क ओवर' ऑपरेशन के दौरान हुई थी, जो कि ऑयलफील्ड सेवाओं में विशेषज्ञता वाली एक अहमदाबाद की निजी कंपनी थी. जब ब्लो-आउट हुआ तो गैस के रूप में प्रोपेन, मीथेन, और प्रोपलीन गैस बाहर निकलीं. वर्क ओवर तेल या गैस के कुओं में प्रमुख रखरखाव या उपचारात्मक उपायों का उपक्रम है, जबकि बीओपी बढ़ती गैस का एक प्लग है.

पढ़ें - वंदे भारत मिशन : पेरिस से भारतीयों की वतन वापसी के लिए विमान रवाना

हादसे के बाद हुई जांच ने मूल कारण की पहचान 3,737.5-3,574 मीटर की गहराई के बीच एक संभावित फंसे हुए गैस क्षेत्र के रूप में की है, जो ठीक से प्रसारित नहीं हो सका और असंतुलित हो गया. अब तक आग में ऑयल इंडियन लिमिटेड (OIL) के दो फायरमैन की मौत हो गई है. इसके अलावा संपत्ति, वनस्पति और पर्यावरण को व्यापक नुकसान हुआ है.

गौरतलब है कि बागान कुआं दो जैव विविधता वाले स्थानों के बीच स्थित है. इसके एक तरफ मगुरी मोटापुंग वेटलैंड और दूसरी तरफ डिब्रू-साइकोवा नेशनल पार्क मौजूद है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्लो आउट के परिणामस्वरूप आग लगने से आसपास के क्षेत्र में अपार क्षति हुई है.

नई दिल्ली : पूर्वी असम के बागजान में तेल के कुएं नंबर पांच में अब तक गैस रिसाव हो रहा है. अगर मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन ठीक से किया गया होता, तो गैस रिसाव से हुई तबाही से पूरी तरह से बचा जा सकता था. जांच की प्रक्रिया में शामिल एक शीर्ष अधिकारी ने ईटीवी भारत को यह बताया.

सरकारी सूत्रों के अनुसार, गैस रिसाव को सील करने के लिए 1,000-900 मीटर की गहराई पर विशेष सीमेंट की 100 मीटर लंबी ट्यूब लगाई गई थी, लेकिन सीमेंट को ठीक से लगने से पहले ही इसे खोल दिया गया था, जिसके परिणामस्वरूप वहां ब्लो आउट (blow out) हुआ. ब्लो आउट कुएं से तेल या गैस के अनियंत्रित उछाल को कहते हैं.

वेटिंग ऑन सिमेंट (WOC ) को मूल रूप से 48 घंटे के लिए नियोजित किया गया था, लेकिन दूसरा बैरियर ब्लो आउट प्रोलेंटर (BOP) केवल 16 घंटों में हटा दिया गया. उस समय सीमेंट का नमूना सेट नहीं किया गया था.

नाम न छापने की शर्त पर सूत्रों ने कहा कि बीओपी को कुएं में आगे काम करने के लिए हटाया जाना था.

गंभीर रूप से रिसाव को सील करने की योजना में सीमेंट प्लग की स्थिति और ताकत का सत्यापन शामिल नहीं था.

सूत्रों ने बताया कि ड्रिलर द्वारा गैस किक (गैस उछाल) का पता चलने के बाद, जॉन एनर्जी लिमिटेड के चालक दल के सदस्यों की प्रतिक्रिया प्रक्रिया के तहत ठीक नहीं थी. उन्हें तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए बीओपी को वापस लाना चाहिए था.

उल्लेखनीय है कि गैस रिसाव 27 मई को शुरू हुआ था और यह 9 जून को एक बड़ी विस्फोटक आग में तबदील हो गया. उसके बाद से सिंगापुर और अमेरिका से विदेशी विशेषज्ञों को बुलाकर आग बुझाने की कोशिश की जा रही है.

रिसाव की शुरुआत मैसर्स जॉन एनर्जी द्वारा की गई 'वर्क ओवर' ऑपरेशन के दौरान हुई थी, जो कि ऑयलफील्ड सेवाओं में विशेषज्ञता वाली एक अहमदाबाद की निजी कंपनी थी. जब ब्लो-आउट हुआ तो गैस के रूप में प्रोपेन, मीथेन, और प्रोपलीन गैस बाहर निकलीं. वर्क ओवर तेल या गैस के कुओं में प्रमुख रखरखाव या उपचारात्मक उपायों का उपक्रम है, जबकि बीओपी बढ़ती गैस का एक प्लग है.

पढ़ें - वंदे भारत मिशन : पेरिस से भारतीयों की वतन वापसी के लिए विमान रवाना

हादसे के बाद हुई जांच ने मूल कारण की पहचान 3,737.5-3,574 मीटर की गहराई के बीच एक संभावित फंसे हुए गैस क्षेत्र के रूप में की है, जो ठीक से प्रसारित नहीं हो सका और असंतुलित हो गया. अब तक आग में ऑयल इंडियन लिमिटेड (OIL) के दो फायरमैन की मौत हो गई है. इसके अलावा संपत्ति, वनस्पति और पर्यावरण को व्यापक नुकसान हुआ है.

गौरतलब है कि बागान कुआं दो जैव विविधता वाले स्थानों के बीच स्थित है. इसके एक तरफ मगुरी मोटापुंग वेटलैंड और दूसरी तरफ डिब्रू-साइकोवा नेशनल पार्क मौजूद है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्लो आउट के परिणामस्वरूप आग लगने से आसपास के क्षेत्र में अपार क्षति हुई है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.