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भारत-चीन सीमा विवाद : लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की सैन्य वार्ता पर मौसम की मार - भारत और चीनी सेना के बीच

भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चुशुल की दूसरी ओर मोल्दो के लिए उड़ान भरी. लेकिन मौसम खराब होने के कारण हेलीकॉप्टर लैंड नहीं कर सका. इसके परिणामस्वरूप दोनों देशों की सेनाओं के बीच वार्ता एक घंटे देर से शुरू हुई.

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Published : Jun 6, 2020, 5:43 PM IST

Updated : Jun 6, 2020, 6:41 PM IST

नई दिल्ली : वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास शनिवार को कम से कम चार अलग-अलग स्थानों पर भारत और चीनी सेना के बीच आमने-सामने बातचीत की शुरुआत हुई. हालांकि खराब मौसम के कारण भारतीय प्रतिनिधिमंडल के हेलीकॉप्टर को चीन में 4,360 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हेलीपैड पर लैंड करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

सूत्रों के मुताबिक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास चुशुल की दूसरी ओर मोल्दो के लिए उड़ान भरी. लेकिन मौसम खराब होने के कारण हेलीकॉप्टर लैंड नहीं कर सका. इसके परिणामस्वरूप दोनों देशों की सेनाओं के बीच वार्ता एक घंटे देर से शुरू हुई.

मौजूदा प्रोटोकॉल के अनुसार, दोनों पक्षों को बारी-बारी एक-दूसरे की मेजबानी करनी होगी.

आमतौर पर सीमा रेखाओं को डिफ्यूज करने के लिए बातचीत कॉलोनियों और ब्रिगेडियर के स्तर पर की जाती रही है. लेकिन इस बार जिस स्तर पर वार्ता आयोजित की गई, वह अभूतपूर्व है क्योंकि दोनों प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है.

फिलहाल इस बातचीत से बहुत उम्मीद नहीं की जा सकती क्योंकि रणनीतिक स्तरों पर इसके प्रभाव को देखते हुए यह संदेहास्पद है कि लेफ्टिनेंट जनरल अपने दम पर कोई निर्णय लें. इसलिए संभावना यह है कि चर्चा और फीडबैक को मुख्यालय में बताया जाएगा, जहां अंतिम निर्णय लिया जाएगा.

एक तथ्य यह भी है कि चीनी पीएलए ने लद्दाख से लेकर सिक्किम तक एक ही समय में एलएसी पर कई मोर्चे खोल दिए हैं, जिसका तात्पर्य यह है कि ये स्थानीय घटनाएं नहीं हैं, बल्कि ऐसी घटनाएं हैं जो बीजिंग में केंद्रीय सैन्य कमान स्तर पर नीतिगत निर्णय के परिणामस्वरूप हुई हैं.

पढ़ें - पूर्वी लद्दाख गतिरोध : भारत-चीन सेना के बीच लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बातचीत हुई

बैठक के एजेंडे में तीन चीजों पर फोकस किया गया है- पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर 5-6 मई को सैनिकों के साथ हुई हिंसा, हिंसा के बाद सैनिकों और तोपखाने के तैनाती में कटौती और पांच मई से पहले मौजूद यथास्थिति को बहाल करना.

वैसे यह बैठक कई मामलों में बहुत महत्वपूर्ण है. देखना होगा कि बैठक के बाद सीमा रेखा के पास बुनियादी ढांचे का निर्माण और सीमा वार्ता प्रक्रिया, दोनों देशों के संबंधों को आगे ले जाती है या नहीं.

नई दिल्ली : वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास शनिवार को कम से कम चार अलग-अलग स्थानों पर भारत और चीनी सेना के बीच आमने-सामने बातचीत की शुरुआत हुई. हालांकि खराब मौसम के कारण भारतीय प्रतिनिधिमंडल के हेलीकॉप्टर को चीन में 4,360 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हेलीपैड पर लैंड करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

सूत्रों के मुताबिक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास चुशुल की दूसरी ओर मोल्दो के लिए उड़ान भरी. लेकिन मौसम खराब होने के कारण हेलीकॉप्टर लैंड नहीं कर सका. इसके परिणामस्वरूप दोनों देशों की सेनाओं के बीच वार्ता एक घंटे देर से शुरू हुई.

मौजूदा प्रोटोकॉल के अनुसार, दोनों पक्षों को बारी-बारी एक-दूसरे की मेजबानी करनी होगी.

आमतौर पर सीमा रेखाओं को डिफ्यूज करने के लिए बातचीत कॉलोनियों और ब्रिगेडियर के स्तर पर की जाती रही है. लेकिन इस बार जिस स्तर पर वार्ता आयोजित की गई, वह अभूतपूर्व है क्योंकि दोनों प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है.

फिलहाल इस बातचीत से बहुत उम्मीद नहीं की जा सकती क्योंकि रणनीतिक स्तरों पर इसके प्रभाव को देखते हुए यह संदेहास्पद है कि लेफ्टिनेंट जनरल अपने दम पर कोई निर्णय लें. इसलिए संभावना यह है कि चर्चा और फीडबैक को मुख्यालय में बताया जाएगा, जहां अंतिम निर्णय लिया जाएगा.

एक तथ्य यह भी है कि चीनी पीएलए ने लद्दाख से लेकर सिक्किम तक एक ही समय में एलएसी पर कई मोर्चे खोल दिए हैं, जिसका तात्पर्य यह है कि ये स्थानीय घटनाएं नहीं हैं, बल्कि ऐसी घटनाएं हैं जो बीजिंग में केंद्रीय सैन्य कमान स्तर पर नीतिगत निर्णय के परिणामस्वरूप हुई हैं.

पढ़ें - पूर्वी लद्दाख गतिरोध : भारत-चीन सेना के बीच लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बातचीत हुई

बैठक के एजेंडे में तीन चीजों पर फोकस किया गया है- पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर 5-6 मई को सैनिकों के साथ हुई हिंसा, हिंसा के बाद सैनिकों और तोपखाने के तैनाती में कटौती और पांच मई से पहले मौजूद यथास्थिति को बहाल करना.

वैसे यह बैठक कई मामलों में बहुत महत्वपूर्ण है. देखना होगा कि बैठक के बाद सीमा रेखा के पास बुनियादी ढांचे का निर्माण और सीमा वार्ता प्रक्रिया, दोनों देशों के संबंधों को आगे ले जाती है या नहीं.

Last Updated : Jun 6, 2020, 6:41 PM IST
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