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पश्चिम बंगाल : चार महीने के मासूम ने कावासाकी और कोरोना से जीती जंग - कावासाकी रोग के लक्षण

पश्चिम बंगाल के कोलकाता में चार महीने के मासूम ने कावासाकी और कोरोना संक्रमण को मात दी है. कोरोना महामारी के तनाव भरे इस माहौल के बीच दोनों ही बीमारियों से निजात पा चुका है यह बच्चा संभवत: दुनिया का पहला मरीज है, जो कावासाकी और कोरोना संक्रमण से ठीक हुआ है.

कोरोना और कावासाकी बीमारी से ठीक हुआ बच्चा
कोरोना और कावासाकी बीमारी से ठीक हुआ बच्चा
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Published : Jun 1, 2020, 8:42 AM IST

कोलकाताः चार महीने का बच्चा कोरोना के साथ-साथ कावासाकी बीमारी से भी ठीक हुआ. बताया जा रहा है कि ये बच्चा इन बीमारियों से ठीक होने वाला दुनिया का पहला बच्चा है. यह बच्चा पश्चिम बंगाल के हुगली जिले का रहने वाला है. इस बच्चे का कोलकाता के मुकुंदपुर में एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था.

इस बच्चे को तेज बुखार था और बच्चा लगातार कराह रहा था. बच्चे की त्वचा पर चकते के निशान पाए गए जो कावासाकी बीमारी के लक्षण हैं. चूंकि उसे तेज बुखार था इसलिए उसके स्वाब के सैंपल जांच के लिए भेजे गए. जांच रिपोर्ट में बच्चा पॉजिटिव पाया गया.

कुछ दिनों के बाद उसकी सेहत में सुधार हुआ. बाद में बच्चे को कोरोना के उपचार के लिए कोलकाता मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया क्योंकि मुकुंदपुर के निजी अस्पताल में आइसोलेशन वॉर्ड की व्यवस्था नहीं थी. 10 दिनों के इलाज के बाद बच्चे की कोरोना जांच रिपोर्ट निगेटिव पाई गई. फिलहाल, बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है. यह मामला इंडियन पीडियाट्रिक एसोसिएशन जर्नल का ऑनलाइन संस्करण- इंडियन पीडियाट्रिक में प्रकाशित किया जा रहा है.

क्या है कावासाकी रोग

आमतौर पर यह एक बालरोग है. पांच साल से कम उम्र के बच्चों में यह सबसे ज्यादा आम है. 1967 में एक जापानी बालरोग विशेषज्ञ ने सबसे पहले इसके बारे में बताया था. उनके नाम पर ही इसका नाम कावासाकी बीमारी पड़ा.

यह भी पढ़ें: कोरोना के बाद इस बीमारी ने दी दस्तक, चेन्नई में मिला पहला मरीज

कावासाकी के लक्षणों में बुखार, त्‍वचा पर लाल चकत्ते, हाथ और पैर में सूजन, गले और मुंह में लाली प्रमुख है. कुछ मरीजों में दिल को लेकर भी कुछ असामान्य स्थिति (complications) पाए गए हैं. वैसे आम तौर पर शरीर की कोरोनरी धमनियों में सूजन की वजह से यह बीमारी होती है. इसकी वजह से एन्यूरिज्मस बनने का खतरा रहता है.

कोलकाताः चार महीने का बच्चा कोरोना के साथ-साथ कावासाकी बीमारी से भी ठीक हुआ. बताया जा रहा है कि ये बच्चा इन बीमारियों से ठीक होने वाला दुनिया का पहला बच्चा है. यह बच्चा पश्चिम बंगाल के हुगली जिले का रहने वाला है. इस बच्चे का कोलकाता के मुकुंदपुर में एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था.

इस बच्चे को तेज बुखार था और बच्चा लगातार कराह रहा था. बच्चे की त्वचा पर चकते के निशान पाए गए जो कावासाकी बीमारी के लक्षण हैं. चूंकि उसे तेज बुखार था इसलिए उसके स्वाब के सैंपल जांच के लिए भेजे गए. जांच रिपोर्ट में बच्चा पॉजिटिव पाया गया.

कुछ दिनों के बाद उसकी सेहत में सुधार हुआ. बाद में बच्चे को कोरोना के उपचार के लिए कोलकाता मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया क्योंकि मुकुंदपुर के निजी अस्पताल में आइसोलेशन वॉर्ड की व्यवस्था नहीं थी. 10 दिनों के इलाज के बाद बच्चे की कोरोना जांच रिपोर्ट निगेटिव पाई गई. फिलहाल, बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है. यह मामला इंडियन पीडियाट्रिक एसोसिएशन जर्नल का ऑनलाइन संस्करण- इंडियन पीडियाट्रिक में प्रकाशित किया जा रहा है.

क्या है कावासाकी रोग

आमतौर पर यह एक बालरोग है. पांच साल से कम उम्र के बच्चों में यह सबसे ज्यादा आम है. 1967 में एक जापानी बालरोग विशेषज्ञ ने सबसे पहले इसके बारे में बताया था. उनके नाम पर ही इसका नाम कावासाकी बीमारी पड़ा.

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कावासाकी के लक्षणों में बुखार, त्‍वचा पर लाल चकत्ते, हाथ और पैर में सूजन, गले और मुंह में लाली प्रमुख है. कुछ मरीजों में दिल को लेकर भी कुछ असामान्य स्थिति (complications) पाए गए हैं. वैसे आम तौर पर शरीर की कोरोनरी धमनियों में सूजन की वजह से यह बीमारी होती है. इसकी वजह से एन्यूरिज्मस बनने का खतरा रहता है.

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