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बाबरी मामला खारिज होना मंदिर के शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि : शिवसेना - शहीदों को श्रद्धांजलि

शिवसेना ने अपने मुखपत्र में कहा कि अगर बाबरी मस्जिद को गिराए जाने का मामला राम मंदिर के भूमि पूजन से पहले खारिज हो जाता है तो यह राम जन्मभूमि आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि होगी. इसमें कहा गया है जब आप मानते हैं कि बाबर आक्रमणकारी था तो बाबरी मामले का अपने आप ही कोई औचित्य नहीं रह जाता.

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बाबरी मामला
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Published : Jul 22, 2020, 4:38 PM IST

मुंबई : शिवसेना ने बुधवार को कहा कि राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास समारोह से पहले बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला खारिज होना राम जन्मभूमि आंदोलन के शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में एक संपादकीय में कहा जब आप स्वीकार करते हैं कि (मुगल शासक) बाबर आक्रमणकारी था तो बाबरी मामले का कोई मतलब नहीं रह जाता है.

इसमें कहा गया कि राम मंदिर पर उच्चतम न्यायालय द्वारा फैसला सुनाए जाने के बावजूद, सीबीआई ने अदालत में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले को जारी रखा हुआ है और 'राम जन्मभूमि आंदोलन के नेता' लालकृष्ण आडवाणी मामले में एक आरोपी के तौर पर पेश होते हैं.

शिवसेना ने कहा अगर बाबरी मस्जिद को गिराए जाने का मामला राम मंदिर के भूमि पूजन से पहले खारिज हो जाता है तो यह राम जन्मभूमि आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि होगी.इसमें कहा गया है जब आप मानते हैं कि बाबर आक्रमणकारी था तो बाबरी मामले का अपने आप ही कोई औचित्य नहीं रह जाता.

सोमवार को एक विशेष सीबीआई अदालत ने 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में पूर्व उपप्रधानमंत्री आडवाणी का बयान दर्ज करने के लिए 24 जुलाई की तारीख निर्धारित की. दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 313 के तहत 92 वर्षीय भाजपा नेता का बयान वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए दर्ज किया जाएगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राम मंदिर निर्माण के लिए पांच अगस्त को भूमि पूजन के लिए अयोध्या जाने की संभावना है. शिवसेना ने कहा कि जिस दिन बाबरी मस्जिद गिराई गई थी, उस दिन विश्व ने कई 'योद्धाओं’ के चेहरे डर से काले पड़ते देखे थे.

पढ़े : बाबरी विध्वंस मामला : सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई कोर्ट को अगस्त तक फैसला सुनाने का दिया आदेश

शिवसेना ने दावा किया,तत्कालीन भाजपा उपाध्यक्ष सुंदर सिंह भंडारी ने कहा था कि यह हमने यह नहीं किया, यह शिवसेना का काम है. उद्धव ठाकरे ने कहा, इसपर दिवंगत बालासाहेब ठाकरे ने गरजते हुए कहा था कि अगर उनके सैनिकों ने यह किया भी है, तो उन्हें उनपर गर्व है. अयोध्या में बाबरी मस्जिद को 'कार सेवकों' ने छह दिसंबर, 1992 को गिरा दिया था. उनका दावा था कि प्राचीन राम मंदिर उसी स्थल पर बना हुआ था. आडवाणी और भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी उस वक्त राम मंदिर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे.

मुंबई : शिवसेना ने बुधवार को कहा कि राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास समारोह से पहले बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला खारिज होना राम जन्मभूमि आंदोलन के शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में एक संपादकीय में कहा जब आप स्वीकार करते हैं कि (मुगल शासक) बाबर आक्रमणकारी था तो बाबरी मामले का कोई मतलब नहीं रह जाता है.

इसमें कहा गया कि राम मंदिर पर उच्चतम न्यायालय द्वारा फैसला सुनाए जाने के बावजूद, सीबीआई ने अदालत में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले को जारी रखा हुआ है और 'राम जन्मभूमि आंदोलन के नेता' लालकृष्ण आडवाणी मामले में एक आरोपी के तौर पर पेश होते हैं.

शिवसेना ने कहा अगर बाबरी मस्जिद को गिराए जाने का मामला राम मंदिर के भूमि पूजन से पहले खारिज हो जाता है तो यह राम जन्मभूमि आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि होगी.इसमें कहा गया है जब आप मानते हैं कि बाबर आक्रमणकारी था तो बाबरी मामले का अपने आप ही कोई औचित्य नहीं रह जाता.

सोमवार को एक विशेष सीबीआई अदालत ने 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में पूर्व उपप्रधानमंत्री आडवाणी का बयान दर्ज करने के लिए 24 जुलाई की तारीख निर्धारित की. दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 313 के तहत 92 वर्षीय भाजपा नेता का बयान वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए दर्ज किया जाएगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राम मंदिर निर्माण के लिए पांच अगस्त को भूमि पूजन के लिए अयोध्या जाने की संभावना है. शिवसेना ने कहा कि जिस दिन बाबरी मस्जिद गिराई गई थी, उस दिन विश्व ने कई 'योद्धाओं’ के चेहरे डर से काले पड़ते देखे थे.

पढ़े : बाबरी विध्वंस मामला : सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई कोर्ट को अगस्त तक फैसला सुनाने का दिया आदेश

शिवसेना ने दावा किया,तत्कालीन भाजपा उपाध्यक्ष सुंदर सिंह भंडारी ने कहा था कि यह हमने यह नहीं किया, यह शिवसेना का काम है. उद्धव ठाकरे ने कहा, इसपर दिवंगत बालासाहेब ठाकरे ने गरजते हुए कहा था कि अगर उनके सैनिकों ने यह किया भी है, तो उन्हें उनपर गर्व है. अयोध्या में बाबरी मस्जिद को 'कार सेवकों' ने छह दिसंबर, 1992 को गिरा दिया था. उनका दावा था कि प्राचीन राम मंदिर उसी स्थल पर बना हुआ था. आडवाणी और भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी उस वक्त राम मंदिर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे.

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