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अयोध्या की मस्जिद की वास्तुकला पाट देगी धर्मों के बीच की खाई : एसएम अख्तर

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के वास्तुकला संकाय के डीन प्रोफेसर एसएम अख्तर ने कहा कि अयोध्या में बनने वाली मस्जिद धर्मों के बीच की दूरी को भी मिटा देगी.

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Published : Dec 28, 2020, 8:21 PM IST

मस्जिद की वास्तुकला
मस्जिद की वास्तुकला

नई दिल्ली : अयोध्या मस्जिद परिसर न केवल इस्लामी वास्तुकला की भव्यता को प्रदर्शित करेगा, बल्कि अन्य धर्मों के बीच की दूरी को भी पाट देगा. जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के वास्तुकला के संकाय के डीन प्रोफेसर एसएम अख्तर, जिन्होंने मस्जिद परिसर को डिजाइन किया है, का कहना है कि यहां धनीपुर गांव में पांच एकड़ भूमि में बनने वाले सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में सभी धर्मों के मरीजों का इलाज किया जाएगा.

उन्होंने बताया कि परिसर के लिए, जो मार्ग बनाए गए हैं वो पैगंबर मुहम्मद के समय से प्रभावित हैं.

प्रोफेसर अख्तर ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि मस्जिद समाज के सभी वर्गों के लिए खास होगी और उसी दृष्टिकोण से हमने एक सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बनाने की योजना बनाई है, जिसमें 200-300 बेड की क्षमता होगी और लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए यहां एक आर्काइव बनाया जाएगा, जिसमें सभी धर्मों का उल्लेख किया जाएगा.

मस्जिद की वास्तुकला

उन्होंने कहा कि परिसर का आर्किटेक्चर इस्लामिक है. इसमें इस्लामी वास्तुकला का चित्रण है. इस परिसर में इस्लामिक दर्शनशास्त्र को दिखाया गया है, जो मानवता को प्राथमिकता देती है.

ईटीवी भारत से बात करते एसएम अख्तर

यह पूछे जाने पर कि मस्जिद के डिजाइन ने पारंपरिक इंडो-इस्लामिक आर्किटेक्चर का चित्रण क्यों नहीं किया, प्रोफेसर अख्तर ने कहा कि मस्जिद का परिसर समकालीन वास्तुकला पर आधारित है, क्योंकि हम समाज की नई चुनौतियों जैसे कि ऊर्जा, प्रदूषण, पार्किंग से संबंधित मुद्दे को सामना कर रहे हैं, इसलिए इस तरह कि आर्किटेक्चर से ऐसी चुनौतियों से निपट सकते हैं.

उन्होंने आगे दोहराया कि वास्तुकला को कभी भी दोहराया नहीं जा सकता है और इसे वर्तमान समाज और भविष्य के लिए बनाया गया है. अतीत के लिए कभी भी वास्तुकला नहीं बनाई जा सकती.

उल्लेखनीय है कि राम जन्मभूमि मामले में याचिकाकर्ता इकबाल अंसारी ने प्रस्तावित मस्जिद के डिजाइन को खारिज कर दिया है और कहा है कि प्रस्तावित मस्जिद में एक भी बिंदु इस्लामिक संस्कृति का प्रतिनिधित्व नहीं करती है और उनसे कोई सुझाव नहीं लिया गया है.

पढ़ें - अयोध्या के धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद का डिजाइन तैयार

जब ईटीवी भारत ने प्रोफेसर अख्तर से नई मस्जिद के प्रस्तावित डिजाइन पर इकबाल अंसारी की अस्वीकृति के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा, 'मैं कोई विवाद नहीं करना चाहता. मुझे मस्जिद के परिसर का एक डिजाइन बनाने का काम मिला. मैंने ऐसा किया है. कुछ लोग विरोध करेंगे और कुछ लोग इसका समर्थन करेंगे.'

बता दें कि मस्जिद परिसर के लिए वास्तुकला की योजना 19 दिसंबर को इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) द्वारा जारी की गई थी, जो उत्तर प्रदेश सरकार और राज्य सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा गठित एक ट्रस्ट था.

IICF के सचिव अतहर हुसैन के अनुसार अयोध्या मस्जिद परिसर की नींव 26 जनवरी को रखी जाएगी.

नई दिल्ली : अयोध्या मस्जिद परिसर न केवल इस्लामी वास्तुकला की भव्यता को प्रदर्शित करेगा, बल्कि अन्य धर्मों के बीच की दूरी को भी पाट देगा. जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के वास्तुकला के संकाय के डीन प्रोफेसर एसएम अख्तर, जिन्होंने मस्जिद परिसर को डिजाइन किया है, का कहना है कि यहां धनीपुर गांव में पांच एकड़ भूमि में बनने वाले सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में सभी धर्मों के मरीजों का इलाज किया जाएगा.

उन्होंने बताया कि परिसर के लिए, जो मार्ग बनाए गए हैं वो पैगंबर मुहम्मद के समय से प्रभावित हैं.

प्रोफेसर अख्तर ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि मस्जिद समाज के सभी वर्गों के लिए खास होगी और उसी दृष्टिकोण से हमने एक सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बनाने की योजना बनाई है, जिसमें 200-300 बेड की क्षमता होगी और लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए यहां एक आर्काइव बनाया जाएगा, जिसमें सभी धर्मों का उल्लेख किया जाएगा.

मस्जिद की वास्तुकला

उन्होंने कहा कि परिसर का आर्किटेक्चर इस्लामिक है. इसमें इस्लामी वास्तुकला का चित्रण है. इस परिसर में इस्लामिक दर्शनशास्त्र को दिखाया गया है, जो मानवता को प्राथमिकता देती है.

ईटीवी भारत से बात करते एसएम अख्तर

यह पूछे जाने पर कि मस्जिद के डिजाइन ने पारंपरिक इंडो-इस्लामिक आर्किटेक्चर का चित्रण क्यों नहीं किया, प्रोफेसर अख्तर ने कहा कि मस्जिद का परिसर समकालीन वास्तुकला पर आधारित है, क्योंकि हम समाज की नई चुनौतियों जैसे कि ऊर्जा, प्रदूषण, पार्किंग से संबंधित मुद्दे को सामना कर रहे हैं, इसलिए इस तरह कि आर्किटेक्चर से ऐसी चुनौतियों से निपट सकते हैं.

उन्होंने आगे दोहराया कि वास्तुकला को कभी भी दोहराया नहीं जा सकता है और इसे वर्तमान समाज और भविष्य के लिए बनाया गया है. अतीत के लिए कभी भी वास्तुकला नहीं बनाई जा सकती.

उल्लेखनीय है कि राम जन्मभूमि मामले में याचिकाकर्ता इकबाल अंसारी ने प्रस्तावित मस्जिद के डिजाइन को खारिज कर दिया है और कहा है कि प्रस्तावित मस्जिद में एक भी बिंदु इस्लामिक संस्कृति का प्रतिनिधित्व नहीं करती है और उनसे कोई सुझाव नहीं लिया गया है.

पढ़ें - अयोध्या के धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद का डिजाइन तैयार

जब ईटीवी भारत ने प्रोफेसर अख्तर से नई मस्जिद के प्रस्तावित डिजाइन पर इकबाल अंसारी की अस्वीकृति के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा, 'मैं कोई विवाद नहीं करना चाहता. मुझे मस्जिद के परिसर का एक डिजाइन बनाने का काम मिला. मैंने ऐसा किया है. कुछ लोग विरोध करेंगे और कुछ लोग इसका समर्थन करेंगे.'

बता दें कि मस्जिद परिसर के लिए वास्तुकला की योजना 19 दिसंबर को इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) द्वारा जारी की गई थी, जो उत्तर प्रदेश सरकार और राज्य सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा गठित एक ट्रस्ट था.

IICF के सचिव अतहर हुसैन के अनुसार अयोध्या मस्जिद परिसर की नींव 26 जनवरी को रखी जाएगी.

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