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असम: संरक्षित आदिवासी बेल्ट में गैर आदिवासियों की सुरक्षा की मांग, जानें

असम में संरक्षित आदिवासी बेल्ट में गैर आदिवासियों की सुरक्षा की मांग जोरो पर है. हेरिटेज फाउंडेशन ने दावा किया है कि बोडोलैंड टेरिटोरियल ऑटोनोमस डिस्ट्रिक्ट (बीटीएडी) क्षेत्र में आदिवासी बेल्ट और ब्लॉकों की 4.50 लाख बीघा जमीन है, जो गैर आदिवासी समुदायों द्वारा अतिक्रमण किए गए हैं.

नबा सरानिया
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Published : May 1, 2019, 12:18 AM IST

नई दिल्ली: असम के मौजूदा सांसद नबा सरानिया ने असम में संरक्षित आदिवासी बेल्ट में गैर आदिवासियों की सुरक्षा की मांग की है.

आदिवासी बेल्ट और ब्लॉक नियमों को असम में 1947 में लागू किया गया था ताकि आदिवासी पिछड़े संरक्षित आदिवासी समुदायों के भूमि अधिकारों को आप्रवासियों से बचाया जा सके.

सरनिया ने कहा, 'गैर आदिवासियों के लिए, जो पीढ़ियों से तथाकथित आदिवासी इलाकों में रह रहे हैं, उनके लिए साल में कटौती की जानी चाहिए. उन्हें बिना किसी आधिकारिक काम के नहीं निकाला जा सकता है.'

पढ़ेंः 'आज का विपक्ष गाली-गलौज करता है...डर गईं प्रियंका वाड्रा'

बता दें कि नाबा सरानिया पूर्वोत्तर विरासत फाउंडेशन द्वारा गौहाटी उच्च न्यायालय में भरी गई एक जनहित याचिका का उल्लेख कर रहे थे.

संगठन ऐसे सभी 'विदेशी प्रवासियों' को निकालने की मांग कर रहा है जो असम भूमि राजस्व (Assam Land Revenue) और विनियम अधिनियम 1947(Regulations Act 1947) के अनुसार संरक्षित आदिवासी समुदायों से संबंधित भूमि का अतिक्रमण कर रहे हैं.

सरनिया ने कहा, 'जब अधिनियम को गैर-आदिवासियों के हितों के लिए बनाया गया था जो पीढ़ियों से वहा रह रहे थे, उन क्षेत्रों पर ध्यान नहीं दिया गया. आदिवासी भूमि में रहने वाले गैर आदिवासियों के वर्ष की पहचान करने के लिए एक संशोधित नियम होना चाहिए,'

नबा सरानिया का बयान, देखें

गौरतलब है कि सरनिया कोकराझार लोकसभा सीट से लगातार दूसरी बार चुनाव लड़े हैं.

हेरिटेज फाउंडेशन ने दावा किया है कि बोडोलैंड टेरिटोरियल ऑटोनोमस डिस्ट्रिक्ट (बीटीएडी) क्षेत्र में आदिवासी बेल्ट और ब्लॉकों की 4.50 लाख बीघा जमीन है, जो गैर आदिवासी समुदायों द्वारा अतिक्रमण किए गए हैं.

2003 में बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बीटीसी) समझौते के तहत असम के कोकराझार, बक्सा, चिरांग और उदालगुई जिलों में बीटीएडी अस्तित्व में आया. इस समझौते पर केंद्रीय गवर्नमेंट, असम सरकार और विद्रोही संगठन बोडो लिबरेशन टाइगर्स (बीएलटी) के बीच हस्ताक्षर किए गए.

नई दिल्ली: असम के मौजूदा सांसद नबा सरानिया ने असम में संरक्षित आदिवासी बेल्ट में गैर आदिवासियों की सुरक्षा की मांग की है.

आदिवासी बेल्ट और ब्लॉक नियमों को असम में 1947 में लागू किया गया था ताकि आदिवासी पिछड़े संरक्षित आदिवासी समुदायों के भूमि अधिकारों को आप्रवासियों से बचाया जा सके.

सरनिया ने कहा, 'गैर आदिवासियों के लिए, जो पीढ़ियों से तथाकथित आदिवासी इलाकों में रह रहे हैं, उनके लिए साल में कटौती की जानी चाहिए. उन्हें बिना किसी आधिकारिक काम के नहीं निकाला जा सकता है.'

पढ़ेंः 'आज का विपक्ष गाली-गलौज करता है...डर गईं प्रियंका वाड्रा'

बता दें कि नाबा सरानिया पूर्वोत्तर विरासत फाउंडेशन द्वारा गौहाटी उच्च न्यायालय में भरी गई एक जनहित याचिका का उल्लेख कर रहे थे.

संगठन ऐसे सभी 'विदेशी प्रवासियों' को निकालने की मांग कर रहा है जो असम भूमि राजस्व (Assam Land Revenue) और विनियम अधिनियम 1947(Regulations Act 1947) के अनुसार संरक्षित आदिवासी समुदायों से संबंधित भूमि का अतिक्रमण कर रहे हैं.

सरनिया ने कहा, 'जब अधिनियम को गैर-आदिवासियों के हितों के लिए बनाया गया था जो पीढ़ियों से वहा रह रहे थे, उन क्षेत्रों पर ध्यान नहीं दिया गया. आदिवासी भूमि में रहने वाले गैर आदिवासियों के वर्ष की पहचान करने के लिए एक संशोधित नियम होना चाहिए,'

नबा सरानिया का बयान, देखें

गौरतलब है कि सरनिया कोकराझार लोकसभा सीट से लगातार दूसरी बार चुनाव लड़े हैं.

हेरिटेज फाउंडेशन ने दावा किया है कि बोडोलैंड टेरिटोरियल ऑटोनोमस डिस्ट्रिक्ट (बीटीएडी) क्षेत्र में आदिवासी बेल्ट और ब्लॉकों की 4.50 लाख बीघा जमीन है, जो गैर आदिवासी समुदायों द्वारा अतिक्रमण किए गए हैं.

2003 में बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बीटीसी) समझौते के तहत असम के कोकराझार, बक्सा, चिरांग और उदालगुई जिलों में बीटीएडी अस्तित्व में आया. इस समझौते पर केंद्रीय गवर्नमेंट, असम सरकार और विद्रोही संगठन बोडो लिबरेशन टाइगर्स (बीएलटी) के बीच हस्ताक्षर किए गए.

Intro:New Delhi: Sitting MP from Assam, Naba Sarania on Tuesday has demanded protection of the non tribals in the protected tribal belts in Assam.


Body:"There should be cut of year for the non tribals who are living in the so called tribal areas for generations. They could not be evacuated without any proper official work," said Sarania.

Naba Sarania was referring to a PIL filled in the Gauhati High Court by Northeast Heritage Foundation.

The organisation has been demanding to evict all such "foreign immigrants" encroaching the land belonging to the protected tribal communities as per the Assam Land Revenue and Regulations Act 1947.

"When the Act was made the interests of the non tribals, living for generations, in those areas were not looked into. There should be an amended regulations to identify the cut of year of the non tribals living in the tribal land," said Sarania who has contested (Imdependent) from the Kokrajhar Lok Sabha seat for the second consecutive terms.

The Heritage Foundation has claimed that there are 4.50 lakh bighas of tribal belts and blocks in the Bodoland Territorial Autonomous District (BTAD) region, which are encroached by non tribal communities.

The BTAD comprising Kokrajhar, Baksa, Chirang and Udalgui districts of Assam came into existence under Bodoland Territorial Council (BTC) Accord in 2003. The Accord was signed between Central governmnet, Assam government and disbanded rebel organisation Bodo Liberation Tigers (BLT).


Conclusion:The tribal belts and blocks regulations was implemented in Assam in 1947 to protect the land rights of the aboriginal backward protected tribal communities from immigrants.

end.

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