नई दिल्ली/चंडीगढ़ः हरियाणा विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है. ऐसे में नेताओं के पास भी अब ज्यादा समय नहीं है. जिसको देखते हुए राष्ट्रीय से लेकर क्षेत्रीय पार्टियों में बैठकों का दौर भी चर्म पर है. टिकटों के बंटवारे और मेनिफेस्टो को लेकर कांग्रेस में बैठकों का दौर जारी है, लेकिन लगता है कांग्रेस में बगावत के सुर अभी भी शांत नहीं हुए हैं. यही वजह है कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर ने तो पार्टी की बैठकों से दूरी बना ली है. तंवर अपनी अलग बैठक कर रहे हैं, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा द्वारा बुलाई जा रही बैठकों में नहीं जा रहे हैं.
तंवर का बयान
हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर कांग्रेस की बैठकों से दूरी बनाए हुए हैं. संगठन में फेरबदल से नाराज अशोक तंवर प्रदेश कांग्रेस की किसी भी बैठक में नहीं पहुंच रहे हैं. उन्होंने मेनिफेस्टो कमेटी, चुनाव समिति, कैम्पेनिंग कमेटी सहित सभी बैठकों से दूरी बनाई हुई है. बैठकों से दूरी बनाए जाने पर अशोक तंवर का बयान सामने आया है. तंवर ने कहा कि इन बैठकों में कुछ ऐसे लोग थे जिन्हें पांच साल तक मुझसे परेशानी हुई और अगर मैं बैठक में जाता तो कुछ लोग मेरा चेहरा देखकर परेशान हो जाते.
'मुझसे लोग परेशान'
वहीं तंवर ने कहा कि वो हमेशा पीड़ा हरने का काम करते हैं, तो फिर मीटिंग में जाकर किसी को पीड़ा कैसे दे सकते हैं. तंवर ने आगे कहा कि इन बैठकों में कुछ होने वाला नहीं है, जहां राय देनी होगी दे देंगे. इसके साथ ही तंवर ने साफ किया कि वो मीटिंग में जाएं या नहीं ये उनकी मर्जी है.
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हुड्डा पर बरसे तंवर
इस दौरान भूपेंद्र हुड्डा पर जुबानी हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि परिवर्तन रैली में घोषणा पत्र पढ़ दिया तो इस मेनिफेस्टो कमेटी का क्या औचित्य है. उन्होंने कहा कि जिन्हें भी जिम्मेदारियां मिली ये उनकी परीक्षा का समय है. हम अपना संघर्ष कर चुके हैं. वहीं घोषणापत्र समिति की बैठक में तंवर की अनुपस्थिति के बारे में पूछे जाने पर सैलजा ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. उन्होंने कहा, ‘केवल एक नेता की अनुपस्थिति को क्यों इंगित किया जाता है. बैठक में बाकी और नेता मौजूद थे जिनसे कई मुद्दों पर चर्चा की गई.
गुटबाजी का BJP को फायदा
गौरतलब है कि हरियाणा कांग्रेस में पार्टी और नेताओं के बीच अब भी दरार नजर आ रही है. यही वजह है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एचपीसीसी) के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर भी बीते दिनों हुई कई बैठकों में शामिल नहीं हुए. बता दें कि सितंबर महीने की शुरुआत में, पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद कुमारी शैलजा को तंवर और हुड्डा खेमे के बीच अनबन के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि 'अबकी बार बीजेपी यमुनापार' का नारा देने वाली कांग्रेस क्या बीजेपी को रोक पाती है या कांग्रेस में आपसी कलह का फायदा उठाकर बीजेपी अपने 75 पार से सपने को साकार करने में कामयाब हो जाएगी.
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