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'नॉन कांटैक्ट वारफेयर' से भविष्य में दुश्मनों पर मिलेगी बढ़त : सेना प्रमुख

थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि सेना को अधुनिकतम तकनीकी अपनाने में आगे रहने चाहिए. इससे आने वाले समय में दुश्मन देशों पर दबाव बना कर उन्हें नुकसान पहुंचाया जा सकता है. पढ़ें पूरी खबर.

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बिपिन रावत
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Published : Dec 23, 2019, 4:53 PM IST

नई दिल्ली : थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने सोमवार को कहा कि सेना को आधुनिकतम तकनीक अपनाने में आगे रहना चाहिए और भविष्य में 'नॉन कांटैक्ट वारफेयर' से भविष्य में दुश्मनों पर बढ़त पाने में मदद मिलेगी.

जनरल रावत ने यहां रक्षा सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा, 'अब जरूरत के हिसाब से खोज और नवोन्मेष नहीं होता है, हम तकनीकी आधुनिकता की बात कर रहे हैं.'

'नॉन कांटैक्ट वारफेयर' में देशों के सैनिक एक-दूसरे से नहीं लड़ते हैं. यह सइबर हमले, कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी तकनीक से जुड़ी लड़ाई होती है, जिसके जरिये अर्थव्यवस्था आदि को नुकसान पहुंचाया जाता है. इस युद्ध की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें सैनिकों की मौत कम से कम या नहीं के बराबर होती है.

जनरल रावत ने कहा कि तकनीकी/प्रौद्योगिकी को अपनाने में भारतीय सेना को सबसे आगे रहना होगा. उन्होंने कहा कि भविष्य के युद्धों में 'नॉन कांटैक्ट वारफेयर' का महत्व बढ़ रहा है. इसका यह मतलब नहीं है कि जमीन पर लड़ने वाले सैनिक...जो हाथों में राइफल लिए होते हैं, अब प्रासंगिक नहीं रहेंगे. उनकी प्रासंगिकता हमेशा बनी रहेगी.

पढ़ें- LAC पर चुनौतियों से निपटने में भारत सक्षम : आर्मी चीफ बिपिन रावत

उन्होंने कहा, 'नॉन कांटैक्ट वारफेयर भविष्य में दुश्मनों पर बढ़त पाने में हमारी मदद करेगा. इसलिए हमें यह समझना होगा कि हम किस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.'

जनरल रावत ने कहा कि क्वांटम तकनीक, साइबर स्पेस और इन सभी से बढ़कर कृत्रिम बुद्धिमत्ता, इन सभी का इस्तेमाल करने की जरूरत है.

नई दिल्ली : थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने सोमवार को कहा कि सेना को आधुनिकतम तकनीक अपनाने में आगे रहना चाहिए और भविष्य में 'नॉन कांटैक्ट वारफेयर' से भविष्य में दुश्मनों पर बढ़त पाने में मदद मिलेगी.

जनरल रावत ने यहां रक्षा सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा, 'अब जरूरत के हिसाब से खोज और नवोन्मेष नहीं होता है, हम तकनीकी आधुनिकता की बात कर रहे हैं.'

'नॉन कांटैक्ट वारफेयर' में देशों के सैनिक एक-दूसरे से नहीं लड़ते हैं. यह सइबर हमले, कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी तकनीक से जुड़ी लड़ाई होती है, जिसके जरिये अर्थव्यवस्था आदि को नुकसान पहुंचाया जाता है. इस युद्ध की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें सैनिकों की मौत कम से कम या नहीं के बराबर होती है.

जनरल रावत ने कहा कि तकनीकी/प्रौद्योगिकी को अपनाने में भारतीय सेना को सबसे आगे रहना होगा. उन्होंने कहा कि भविष्य के युद्धों में 'नॉन कांटैक्ट वारफेयर' का महत्व बढ़ रहा है. इसका यह मतलब नहीं है कि जमीन पर लड़ने वाले सैनिक...जो हाथों में राइफल लिए होते हैं, अब प्रासंगिक नहीं रहेंगे. उनकी प्रासंगिकता हमेशा बनी रहेगी.

पढ़ें- LAC पर चुनौतियों से निपटने में भारत सक्षम : आर्मी चीफ बिपिन रावत

उन्होंने कहा, 'नॉन कांटैक्ट वारफेयर भविष्य में दुश्मनों पर बढ़त पाने में हमारी मदद करेगा. इसलिए हमें यह समझना होगा कि हम किस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.'

जनरल रावत ने कहा कि क्वांटम तकनीक, साइबर स्पेस और इन सभी से बढ़कर कृत्रिम बुद्धिमत्ता, इन सभी का इस्तेमाल करने की जरूरत है.

Intro:NewDelhi: It is better to develop technologies that are of dual use because industry, defence ecosystem if it is generated cannot completely rely on orders from the military itself. Therefore, dual use technologies are the need of the hour, said Army chief General Bipin Rawat here on Monday.

Addressing a seminar on how technology is rapidly changing the character of war fighting across the globe and challenges before the Indian forces in non-contact warfare, General Rawat said, "Military is no longer operating in the closed system. Our doors are open. Our frontlines are open to academia, to research and development organisation to see how the soldier on the ground needs technology to be imbibed for him to operate in a better manner."




Body:He further added that time has now come to look that how can we bring in dual use technologies which can also be used in commercial system as well as defence.


Asserting that the Army must lead in embracing technology, General Bipin Rawat said non-contact warfare will help in gaining advantage over the adversary in future. Therefore, it is important to understand the context in which we need to move forward in this direction.


Conclusion:Army chief Bipin Rawat said that quantum technology, cyberspace and above all artificial intelligence, all these need to be leveraged into the Indian defence ecosystem.
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