नई दिल्ली : थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने सोमवार को कहा कि सेना को आधुनिकतम तकनीक अपनाने में आगे रहना चाहिए और भविष्य में 'नॉन कांटैक्ट वारफेयर' से भविष्य में दुश्मनों पर बढ़त पाने में मदद मिलेगी.
जनरल रावत ने यहां रक्षा सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा, 'अब जरूरत के हिसाब से खोज और नवोन्मेष नहीं होता है, हम तकनीकी आधुनिकता की बात कर रहे हैं.'
'नॉन कांटैक्ट वारफेयर' में देशों के सैनिक एक-दूसरे से नहीं लड़ते हैं. यह सइबर हमले, कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी तकनीक से जुड़ी लड़ाई होती है, जिसके जरिये अर्थव्यवस्था आदि को नुकसान पहुंचाया जाता है. इस युद्ध की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें सैनिकों की मौत कम से कम या नहीं के बराबर होती है.
जनरल रावत ने कहा कि तकनीकी/प्रौद्योगिकी को अपनाने में भारतीय सेना को सबसे आगे रहना होगा. उन्होंने कहा कि भविष्य के युद्धों में 'नॉन कांटैक्ट वारफेयर' का महत्व बढ़ रहा है. इसका यह मतलब नहीं है कि जमीन पर लड़ने वाले सैनिक...जो हाथों में राइफल लिए होते हैं, अब प्रासंगिक नहीं रहेंगे. उनकी प्रासंगिकता हमेशा बनी रहेगी.
पढ़ें- LAC पर चुनौतियों से निपटने में भारत सक्षम : आर्मी चीफ बिपिन रावत
उन्होंने कहा, 'नॉन कांटैक्ट वारफेयर भविष्य में दुश्मनों पर बढ़त पाने में हमारी मदद करेगा. इसलिए हमें यह समझना होगा कि हम किस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.'
जनरल रावत ने कहा कि क्वांटम तकनीक, साइबर स्पेस और इन सभी से बढ़कर कृत्रिम बुद्धिमत्ता, इन सभी का इस्तेमाल करने की जरूरत है.