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अयोध्या मामला : मध्यस्थता समिति ने न्यायालय में सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट सौंपी - राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति

उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित अयोध्या मामलें की मध्यस्थता समिति ने बुधवार को न्यायालय में सीलबंद लिफाफे में एक रिपोर्ट सौंपी है. मध्यस्थता समिति की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला कर रहे हैं. इसमें आध्यात्मिक गुरु तथा आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के संस्थापक श्री श्री रवि शंकर तथा वरिष्ठ अधिवक्ता और प्रख्यात मध्यस्थ श्रीराम पंचू शामिल हैं. जानें विस्तार से...

उच्चतम न्यायालय
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Published : Oct 17, 2019, 10:15 AM IST

Updated : Oct 17, 2019, 10:50 AM IST

नई दिल्ली : ऐसा समझा जा रहा है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित अयोध्या मामलें की मध्यस्थता समिति ने बुधवार को न्यायालय में सीलबंद लिफाफे में एक रिपोर्ट सौंपी है. सूत्रों के अनुसार अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद को हल करने के लिए मध्यस्थता समिति ने हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों के बीच 'एक तरह का समझौता' किया है.

दरअसल मध्यस्थता समिति से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्वाणी अखाड़ा, निर्मोही अखाड़ा, राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति और कुछ अन्य हिंदू पक्षकार भूमि विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने के समर्थन में हैं.

बता दें कि मध्यस्थता समिति की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला कर रहे हैं. इसमें आध्यात्मिक गुरु तथा आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के संस्थापक श्री श्री रवि शंकर तथा वरिष्ठ अधिवक्ता और प्रख्यात मध्यस्थ श्रीराम पंचू शामिल हैं.

इसे भी पढे़ं- अयोध्या विवाद - क्या है पृष्ठभूमि, एक नजर

रविशंकर ने ट्वीट किया, 'उच्चतम न्यायालय ने मध्यस्थता पर जो भरोसा जताया उसके लिए मैं उसका आभार जताता हूं. मैं ईमानदार और अथक भागीदारी के लिए सभी पक्षकारों को धन्यवाद देता हूं. मध्यस्थता की पूरी प्रक्रिया भाईचारे और समझ के भाव से चली जो इस देश के मूल्यों की साक्षी है.'

Arbitration committee submitted report
श्री श्री रवि शंकर ने ट्वीट किया...

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सूत्रों ने बताया कि पक्षकारों ने पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के प्रावधानों के तहत समझौता करने की मांग की है, जिसमें कहा गया है कि मंदिरों के विध्वंस के बाद बनी और 1947 की तरह अब मौजूद मस्जिद या अन्य धार्मिक स्थानों के संबंध में कोई विवाद नहीं है.

नई दिल्ली : ऐसा समझा जा रहा है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित अयोध्या मामलें की मध्यस्थता समिति ने बुधवार को न्यायालय में सीलबंद लिफाफे में एक रिपोर्ट सौंपी है. सूत्रों के अनुसार अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद को हल करने के लिए मध्यस्थता समिति ने हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों के बीच 'एक तरह का समझौता' किया है.

दरअसल मध्यस्थता समिति से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्वाणी अखाड़ा, निर्मोही अखाड़ा, राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति और कुछ अन्य हिंदू पक्षकार भूमि विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने के समर्थन में हैं.

बता दें कि मध्यस्थता समिति की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला कर रहे हैं. इसमें आध्यात्मिक गुरु तथा आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के संस्थापक श्री श्री रवि शंकर तथा वरिष्ठ अधिवक्ता और प्रख्यात मध्यस्थ श्रीराम पंचू शामिल हैं.

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रविशंकर ने ट्वीट किया, 'उच्चतम न्यायालय ने मध्यस्थता पर जो भरोसा जताया उसके लिए मैं उसका आभार जताता हूं. मैं ईमानदार और अथक भागीदारी के लिए सभी पक्षकारों को धन्यवाद देता हूं. मध्यस्थता की पूरी प्रक्रिया भाईचारे और समझ के भाव से चली जो इस देश के मूल्यों की साक्षी है.'

Arbitration committee submitted report
श्री श्री रवि शंकर ने ट्वीट किया...

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सूत्रों ने बताया कि पक्षकारों ने पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के प्रावधानों के तहत समझौता करने की मांग की है, जिसमें कहा गया है कि मंदिरों के विध्वंस के बाद बनी और 1947 की तरह अब मौजूद मस्जिद या अन्य धार्मिक स्थानों के संबंध में कोई विवाद नहीं है.

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अयोध्या मामला : मध्यस्थता समिति ने न्यायालय में सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट सौंपी



नयी दिल्ली, 16 अक्टूबर (भाषा) ऐसा समझा जाता है कि अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद को हल करने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित मध्यस्थता समिति ने बुधवार को न्यायालय में सीलबंद लिफाफे में एक रिपोर्ट सौंपी जिसमें सूत्रों के अनुसार, हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों के बीच ‘‘एक तरह का समझौता’’ है।



मध्यस्थता समिति से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्वाणी अखाड़ा, निर्मोही अखाड़ा, राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति और कुछ अन्य हिंदू पक्षकार भूमि विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने के समर्थन में हैं।



मध्यस्थता समिति की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला कर रहे हैं और इसमें आध्यात्मिक गुरु तथा आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के संस्थापक श्री श्री रवि शंकर तथा वरिष्ठ अधिवक्ता और प्रख्यात मध्यस्थ श्रीराम पंचू शामिल हैं।



रविशंकर ने ट्वीट किया, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने मध्यस्थता पर जो भरोसा जताया उसके लिए मैं उसका आभार जताता हूं। मैं ईमानदार और अथक भागीदारी के लिए सभी पक्षकारों को धन्यवाद देता हूं। मध्यस्थता की पूरी प्रक्रिया भाईचारे और समझ के भाव से चली जो इस देश के मूल्यों की साक्षी है।’’



सूत्रों ने बताया कि पक्षकारों ने पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के प्रावधानों के तहत समझौता करने की मांग की है जिसमें कहा गया है कि मंदिरों के विध्वंस के बाद बनी और 1947 की तरह अब मौजूद मस्जिद या अन्य धार्मिक स्थानों के संबंध में कोई विवाद नहीं है।

 


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Last Updated : Oct 17, 2019, 10:50 AM IST
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