अमरावती : आंध्र प्रदेश के उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ सोशल मीडिया पर की गई अमर्यादित टिप्पणी के मामलों में राज्य हाई कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार के खिलाफ गंभीर टिप्पणी की है.
कोर्ट ने सवाल करते हुए कहा हम पर लगातार हमले किए जा रहे हैं, क्या वे न्यायपालिका के खिलाफ हैं? स्पीकर और डिप्टी सीएम ने भी न्यायपालिका पर आरोप लगाए, उनके खिलाफ कोई मामला क्यों नहीं दर्ज किया गया.
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की छवि धूमिल करने के लिए सोशल मीडिया पर की जा रही अभद्र टिप्पणी के मामले में आज महत्वपूर्ण टिप्पणी कर पूछा, 'डू दे डिक्लेयर वॉर अगेंस्ट ज्यूडिशयरी'
(क्या वे न्यायपालिका के खिलाफ युद्ध की घोषणा करते हैं).
कोर्ट ने पूछा कि विधानसभा के अध्यक्ष तम्मिनेनी सीताराम, उपमुख्यमंत्री नारायणस्वामी, सांसद विजयसराय, नंदीग्राम सुरेश, और पूर्व विधायक आंची कृष्णमोहन द्वारा की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर उनके खिलाफ कोई मामला क्यों नहीं दर्ज किया गया. अदालत ने फैसला सुनाया कि उनकी टिप्पणी लोकतंत्र के लिए विघटनकारी थी और इसे न्यायपालिका पर हमला माना जा रहा है.
उच्च न्यायालय ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि वह न्यायपालिका की छवि को धूमिल करने वाले को बर्दाश्त नहीं करेगा. न्यायमूर्ति राकेश कुमार और न्यायमूर्ति उमादेवी की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के मामले में अदालत के खिलाफ सुनवाई की.
पुलिस सरकार के खिलाफ टिप्पणी करने वालों के शिलाफ मामला दर्ज कर रही है लेकिन जो नेता अदालत और न्यायाधीशों के खिलाफ टिप्पणी कर रहे हैं उनके खिलाफ कोई मामले क्यों नहीं दर्ज किए जा रहे हैं. कोर्ट ने आगे टिप्पणी की यह माना जा रहा है कि नेताओं को बचाने के लिए उनके खिलाफ मामले दर्ज नहीं किए जा रहे हैं.
पढ़ें :- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दूसरों के अधिकारों का हनन नहीं कर सकती : बॉम्बे हाईकोर्ट
उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि सीआईडी मामले की जांच करने में विफल रहती है तो इस मामले को सीबीआई को सौंपा जाएगा.
उच्च न्यायालय और न्यायाधीशों के खिलाफ कुछ अपमानजनक टिप्पणी देखने के बाद, न्यायालय ने इस मुद्दे को सीआईडी को सौंपा. सीआईजी ने इस मामले में 98 लोगों को नोटिस जारी किया.