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कर्नाटक विधान सभा में गौ हत्या विरोधी बिल पेश

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Published : Dec 9, 2020, 5:54 PM IST

Updated : Dec 9, 2020, 7:09 PM IST

विपक्षी दलों के कड़े विरोध के बावजूद, कर्नाटक सरकार कड़े गौ हत्या विरोधी बिल को लागू करने की तैयारी कर रही है. कर्नाटक विधान सभा में आज इस विवादास्पद विधेयक को पेश कर दिया गया. बिल को लेकर विपक्षी दलों ने हंगामा किया. पढ़ें विस्तार से...

karnataka assembly
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बेंगलुरु : गुजरात और उत्तर प्रदेश सरकारों की तर्ज पर राज्य सरकार ने भी कर्नाटक में गौ हत्या विरोधी बिल लाने का फैसला किया है. हंगामे के बीच कर्नाटक विधान सभा में आज इस विवादास्पद विधेयक को पेश कर दिया गया.

अभी सिर्फ छह महीने सजा काट बच जाते हैं अपराधी
कर्नाटक में गौ हत्या और मवेशी संरक्षण अधिनियम 1964 पहले से लागू है, लेकिन इनमें कड़े नियमों की कमी है. यही वजह है कि भाजपा सरकार ने तय किया है कि इस संबंध में नया कानून लाएगी.

मौजूदा अधिनियम के तहत अपराधी को केवल छह महीने की सजा और एक हजार रुपए जुर्माने की सजा होती है, अधिनियम में बछड़े के वध पर भी प्रतिबंध है जिसकी उम्र 12 वर्ष से कम है और वधशालाओं में लाए जाने वाली गायों के परिवहन के लिए अनुमति जरूरी है. अधिनियम में कमियां होने की वजह से अपराधी आसानी से बच निकलते हैं.

सजा 6 महीने से बढ़ाकर 7 साल की थी सजा

भाजपा सरकार ने 2010 में कर्नाटक पशु वध संरक्षण और मवेशी संरक्षण विधेयक 2010 और कर्नाटक गौ हत्या और संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2012 पेश किया था. पशुओं का वध रोकने के अलावा इस बिल में गौवंश में भैंस, बैल और बछड़ों को भी शामिल किया गया. इनकी हत्या पर सजा को छह महीने से बढ़ाकर सात साल किया. साथ ही जुर्माना राशि एक लाख रुपए कर दी. साथ ही पुलिस को ज्यादा अधिकार दिए गए. एक जगह से दूसरी जगह पशुओं को ले जाने के लिए पुलिस की अनुमति जरूरी है.

मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा यह बिल दोनों सदनों में लाए थे. राज्य विधायिका और सदन ने बिना किसी संशोधन के इसे मंजूरी दे दी लेकिन राज्यपाल हंसराज भारद्वाज ने मंजूरी देने से मना कर दिया. केंद्र की यूपीए सरकार ने भी बिल रोके रखा.

केंद्रीय गृहमंत्री ने कुछ सवाल उठाए और सुझाव भी दिए. सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 2014 के विवादास्पद बिल को वापस ले लिया और कर्नाटक में गोहत्या और मवेशी संरक्षण अधिनियम -1964 को बहाल कर दिया.

गुजरात में 14 साल तक की है सजा

गुजरात में गौ वध करने पर 7 से 14 साल तक की सजा है जबकि जुर्माना एक लाख से लेकर पांच लाख तक है. पशु तस्करी पर 7 से 10 साल तक की सजा और 50 हजार से एक लाख रुपए जुर्माना होता है. साथ ही तस्करी के लिए प्रयोग होने वाला वाहन भी पुलिस जब्त कर सकती है. साथ ही अपराधी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी होता है.

पढ़ें- कर्नाटक : कौशिक हेगड़े की कलाकृति को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में मिली जगह

उत्तर प्रदेश में 10 साल की सजा

यूपी में पहली बार गौ हत्या का दोषी पाए जाने पर 10 साल की सजा और पांच लाख रुपए जुर्माने की सजा है. दूसरी बार दोषी पाए जाने पर सात साल सजा और एक से तीन लाख रुपए जुर्माना या दोनों सजा. 10 साल सजा और पांच लाख रुपए जुर्माना.

बेंगलुरु : गुजरात और उत्तर प्रदेश सरकारों की तर्ज पर राज्य सरकार ने भी कर्नाटक में गौ हत्या विरोधी बिल लाने का फैसला किया है. हंगामे के बीच कर्नाटक विधान सभा में आज इस विवादास्पद विधेयक को पेश कर दिया गया.

अभी सिर्फ छह महीने सजा काट बच जाते हैं अपराधी
कर्नाटक में गौ हत्या और मवेशी संरक्षण अधिनियम 1964 पहले से लागू है, लेकिन इनमें कड़े नियमों की कमी है. यही वजह है कि भाजपा सरकार ने तय किया है कि इस संबंध में नया कानून लाएगी.

मौजूदा अधिनियम के तहत अपराधी को केवल छह महीने की सजा और एक हजार रुपए जुर्माने की सजा होती है, अधिनियम में बछड़े के वध पर भी प्रतिबंध है जिसकी उम्र 12 वर्ष से कम है और वधशालाओं में लाए जाने वाली गायों के परिवहन के लिए अनुमति जरूरी है. अधिनियम में कमियां होने की वजह से अपराधी आसानी से बच निकलते हैं.

सजा 6 महीने से बढ़ाकर 7 साल की थी सजा

भाजपा सरकार ने 2010 में कर्नाटक पशु वध संरक्षण और मवेशी संरक्षण विधेयक 2010 और कर्नाटक गौ हत्या और संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2012 पेश किया था. पशुओं का वध रोकने के अलावा इस बिल में गौवंश में भैंस, बैल और बछड़ों को भी शामिल किया गया. इनकी हत्या पर सजा को छह महीने से बढ़ाकर सात साल किया. साथ ही जुर्माना राशि एक लाख रुपए कर दी. साथ ही पुलिस को ज्यादा अधिकार दिए गए. एक जगह से दूसरी जगह पशुओं को ले जाने के लिए पुलिस की अनुमति जरूरी है.

मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा यह बिल दोनों सदनों में लाए थे. राज्य विधायिका और सदन ने बिना किसी संशोधन के इसे मंजूरी दे दी लेकिन राज्यपाल हंसराज भारद्वाज ने मंजूरी देने से मना कर दिया. केंद्र की यूपीए सरकार ने भी बिल रोके रखा.

केंद्रीय गृहमंत्री ने कुछ सवाल उठाए और सुझाव भी दिए. सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 2014 के विवादास्पद बिल को वापस ले लिया और कर्नाटक में गोहत्या और मवेशी संरक्षण अधिनियम -1964 को बहाल कर दिया.

गुजरात में 14 साल तक की है सजा

गुजरात में गौ वध करने पर 7 से 14 साल तक की सजा है जबकि जुर्माना एक लाख से लेकर पांच लाख तक है. पशु तस्करी पर 7 से 10 साल तक की सजा और 50 हजार से एक लाख रुपए जुर्माना होता है. साथ ही तस्करी के लिए प्रयोग होने वाला वाहन भी पुलिस जब्त कर सकती है. साथ ही अपराधी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी होता है.

पढ़ें- कर्नाटक : कौशिक हेगड़े की कलाकृति को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में मिली जगह

उत्तर प्रदेश में 10 साल की सजा

यूपी में पहली बार गौ हत्या का दोषी पाए जाने पर 10 साल की सजा और पांच लाख रुपए जुर्माने की सजा है. दूसरी बार दोषी पाए जाने पर सात साल सजा और एक से तीन लाख रुपए जुर्माना या दोनों सजा. 10 साल सजा और पांच लाख रुपए जुर्माना.

Last Updated : Dec 9, 2020, 7:09 PM IST
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