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आंध्रप्रदेश में हुई पशु उत्सव की शुरुआत, धूम धाम से मनाया जा रहा त्यौहार

आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में पशु उत्सव की शुरुआत हो चुकी है. जानें इस त्योहार से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें...

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आंध्रप्रदेश में हुई पशु उत्सव की शुरुआत
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Published : Jan 3, 2020, 10:30 AM IST

Updated : Jan 3, 2020, 2:37 PM IST

चित्तूर : नव वर्ष के साथ ही आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में पशु उत्सव की भी शुरुआत हो चुकी है.

इस उत्सव में बैलों को फूलों से सजाया जाता है. इसके साथ ही उनकी पूजा भी की जाती है. बैलों के सींग लकड़ी की एक प्लेट और पुरस्कार के साथ बांधे जाते हैं. इसके बाद इन्हें भीड़ में छोड़ दिया जाता है. जो भी इन बैलों को पकड़कर इन्हें नियंत्रित कर लेता है वह पुरस्कार का असली हकदार होता है.

पशु उत्सव की हुई शुरुआत

बताते चलें कि इस उत्सव में दो लोग घायल हो गए. लेकिन बावजूद इसके त्योहार में गांव के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.

इस त्योहार में आपको तमिलनाडु के जली कट्टू की एक झलक जरूर दिखेगी. जली कट्टू त्योहार का तमिलनाडु के आस पास के जिलों में बहुत प्रभाव है. यही कारण है कि चित्तूर जिले के लोग इस त्योहार को बड़े धूम धाम से मनाते हैं.

पढ़ें : बंगाल में धूमधाम से मनाया जाता है कल्पतरु उत्सव, जानें क्या है मान्यता

बता दें कि उच्च न्यायलय ने त्योहार के चलते जानवरों को होने वाले नुकसान को ध्यान में रखते हुए आदेश दिया था. लेकिन कोर्ट और प्रशासन की चिंता किए बिना गांव के लोग इस त्योहार को बड़े धूम धाम से मनाते हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि वे जानवरों पर प्यार दिखाने के लिए हर साल मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर इस त्योहार को मनाते हैं. यह एक खास त्योहार है जो केवल उनके जिले में सीमित है. ग्रामीण कहते हैं कि वे सिर्फ पुरस्कार पाने की कोशिश करते हैं.

चित्तूर : नव वर्ष के साथ ही आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में पशु उत्सव की भी शुरुआत हो चुकी है.

इस उत्सव में बैलों को फूलों से सजाया जाता है. इसके साथ ही उनकी पूजा भी की जाती है. बैलों के सींग लकड़ी की एक प्लेट और पुरस्कार के साथ बांधे जाते हैं. इसके बाद इन्हें भीड़ में छोड़ दिया जाता है. जो भी इन बैलों को पकड़कर इन्हें नियंत्रित कर लेता है वह पुरस्कार का असली हकदार होता है.

पशु उत्सव की हुई शुरुआत

बताते चलें कि इस उत्सव में दो लोग घायल हो गए. लेकिन बावजूद इसके त्योहार में गांव के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.

इस त्योहार में आपको तमिलनाडु के जली कट्टू की एक झलक जरूर दिखेगी. जली कट्टू त्योहार का तमिलनाडु के आस पास के जिलों में बहुत प्रभाव है. यही कारण है कि चित्तूर जिले के लोग इस त्योहार को बड़े धूम धाम से मनाते हैं.

पढ़ें : बंगाल में धूमधाम से मनाया जाता है कल्पतरु उत्सव, जानें क्या है मान्यता

बता दें कि उच्च न्यायलय ने त्योहार के चलते जानवरों को होने वाले नुकसान को ध्यान में रखते हुए आदेश दिया था. लेकिन कोर्ट और प्रशासन की चिंता किए बिना गांव के लोग इस त्योहार को बड़े धूम धाम से मनाते हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि वे जानवरों पर प्यार दिखाने के लिए हर साल मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर इस त्योहार को मनाते हैं. यह एक खास त्योहार है जो केवल उनके जिले में सीमित है. ग्रामीण कहते हैं कि वे सिर्फ पुरस्कार पाने की कोशिश करते हैं.

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   With  the beginning of  english new year, People of chandragiri ,chittoor district started  animal fest celebrations.Despite  makar sankrathi a local farmer festival celebrated after 10 days, festive vibes started before. animals (oxen) are decorated BEAUTIFULLY WITH  FLOWERS, performed pooja to animals, horns are tied with wooden slate and prizes. These oxen are released into the crowd. one who can handle the oxen and control succeds in the competetion. Except 2 being injured the animal festival was a huge success with all the villagers taking active part in it and organising it. this festival resembles jalli kattu of tamil nadu. This jalli kattu has a larger effect on the adjoining chittor district so people of chitoor district are celebrating paying a deaf ear to the police, high court. 





    villagers are opposing the judgement of high court stating that they are not harming the animals unlike jalli kattu. In order to show their love on animals they celebrate this festival every year on the eve of makar sankranthi which is a very special festival confined only to their district.  Animals are first worshipped and then villagers only try to get the prizes and slates that are tied to horns of oxen BUT NOT HARM ANIMLAS. As the festival started 10 days before itself the villagers are expressing their happiness as there will be more and more animal competetions that would create more and more fun and happiness





  


Conclusion:
Last Updated : Jan 3, 2020, 2:37 PM IST
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