चित्तूर : नव वर्ष के साथ ही आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में पशु उत्सव की भी शुरुआत हो चुकी है.
इस उत्सव में बैलों को फूलों से सजाया जाता है. इसके साथ ही उनकी पूजा भी की जाती है. बैलों के सींग लकड़ी की एक प्लेट और पुरस्कार के साथ बांधे जाते हैं. इसके बाद इन्हें भीड़ में छोड़ दिया जाता है. जो भी इन बैलों को पकड़कर इन्हें नियंत्रित कर लेता है वह पुरस्कार का असली हकदार होता है.
बताते चलें कि इस उत्सव में दो लोग घायल हो गए. लेकिन बावजूद इसके त्योहार में गांव के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.
इस त्योहार में आपको तमिलनाडु के जली कट्टू की एक झलक जरूर दिखेगी. जली कट्टू त्योहार का तमिलनाडु के आस पास के जिलों में बहुत प्रभाव है. यही कारण है कि चित्तूर जिले के लोग इस त्योहार को बड़े धूम धाम से मनाते हैं.
पढ़ें : बंगाल में धूमधाम से मनाया जाता है कल्पतरु उत्सव, जानें क्या है मान्यता
बता दें कि उच्च न्यायलय ने त्योहार के चलते जानवरों को होने वाले नुकसान को ध्यान में रखते हुए आदेश दिया था. लेकिन कोर्ट और प्रशासन की चिंता किए बिना गांव के लोग इस त्योहार को बड़े धूम धाम से मनाते हैं.
ग्रामीणों का कहना है कि वे जानवरों पर प्यार दिखाने के लिए हर साल मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर इस त्योहार को मनाते हैं. यह एक खास त्योहार है जो केवल उनके जिले में सीमित है. ग्रामीण कहते हैं कि वे सिर्फ पुरस्कार पाने की कोशिश करते हैं.