नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में दुनिया की दो सबसे बड़ी सैन्य ताकतों के बीच आक्रामक तेवरों के मद्देनजर चीन सरकार के मुखपत्र और सरकारी स्वामित्व वाले मीडिया ने दोनों देशों के बीच बढ़ती दुश्मनी की ओर इशारा करते हुए कहा है कि भारत और चीन के बीच संबंध एक 'नए चरण' में प्रवेश कर रहे हैं.
ग्लोबल टाइम्स ने, जिसे चीन सरकार के दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करने के लिए जाना जाता है, ने एक सम्पादकीय में कहा है कि भारत द्वारा उठाए गए हालिया कदमों के साथ सकारात्मक संकेतों की कमी ने चीन-भारत सीमा पर नए तनाव पैदा कर दिए हैं. दोनों देशों के बीच मौजूदा तनाव को देखते हुए लग रहा है कि उन्हें अपने संबंधों को आगे ले जाने के लिए अभी एक लंबा सफर करना है.
सम्पादकीय में कहा गया है कि चीन के खिलाफ एक 'राजनीतिक वायरस' अमेरिका में फैल रहा है, जिससे भारत के समान रूप से संक्रमित होने की संभावना है.
रिपोर्टस के अनुसार पूर्वी लद्दाख में फ्रंटलाइन के ठीक पीछे भारत और चीन द्वारा हजारों सैनिक और उपकरण तेजी से जुटाए जा रहे हैं, जहां भारतीय और पीएलए के सैनिकों ने सैकड़ों टेंट लगा दिए हैं. हालांकि सेना ने इस बात की आधिकारिक रूप से कोई पुष्टि नहीं की है.
कम आबादी वाला क्षेत्र साल में अधिकतर समय बर्फ से ढका रहता है. इसलिए गर्मियों में जब बर्फ पिघलती है और भूमि बंजर और शुष्क हो जाती हैं तो दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़पें सामान्य हो जाती हैं.
गत पांच मई को दोनों देशों की सेना के बीच पैदा हुआ तनाव इसका ताजा उदाहरण है. पूर्वी लद्दाख में पैंगॉन्ग त्सा (झील) के उत्तर में एक स्थान पर दोनों देशों के सैनिक आपस में भिड़ गए थे.
ऐसी ही एक घटना बीती नौ मई को भी देखने को मिली, जब उत्तरी सिक्कम में पांच हजार मीटर एल्टीट्यूड पर नाकू ला पास पर दोनों देशों के लगभग 100 सैनिक आपस में भिड़ गए. तब से, पूर्वी लद्दाख में 20 किलोमीटर लंबे मोर्चे पर कई जगहों पर दोनों सेनाओं का जमावड़ा देखा गया है.
गौरतलब है कि अमेरिकी रक्षा विभाग ने हाल ही में 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के लिए अमेरिका की रणनीति' नाम से एक पेपर जारी किया था.
इस पेपर में चीन पर पड़ोसी देशों को उकसाने का आरोप लगाते हुए कहा गया था कि बीजिंग अपनी बयानबाजी का खंडन करता है और येलो सागर, पूर्व और दक्षिण चीन सागर, ताइवान जलडमरूमध्य, और चीन-भारतीय सीमा क्षेत्रों में उत्तेजक और जबरदस्त सैन्य और अर्धसैनिक गतिविधियों में संलग्न होकर अपने पड़ोसियों के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं की धज्जियां उड़ाता है.
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चीन का मुकाबला करने के लिए अन्य देशों के सहयोग को रेखांकित करते हुए पेपर में कहा गया कि अमेरिका पारस्परिक रूप से गठबंधन किए गए विजन और भारत-प्रशांत पर आसियान के आउटलुक, जापान के स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक विजन, भारत की सुरक्षा के दृष्टिकोण के साथ काम कर रहा है और ऑल इन द रीजन पॉलिसी, ऑस्ट्रेलिया की इंडो-पैसिफिक कॉन्सेप्ट, रिपब्लिक ऑफ कोरिया की न्यू साउथर्न पॉलिसी और ताइवान की न्यू साउथबाउंड पॉलिसी को आगे बढ़ा रहा है.
चूंकि पूर्वी लद्दाख सीमा टकराव जल्द खत्म होने की कोई संभावना नहीं है और दोनों सेनाएं लंबे समय तक चलने वाले टकराव की तैयारी कर रही हैं, लिहाजा चीन-अमेरिका की प्रतिद्वंद्विता के कारण हिमालय में एक नया मोर्चा स्थापित होता प्रतीत हो रहा है.
(संजीब बरुआ)