इस्लामाबाद: अमेरिका ने पाकिस्तान का दावा खारिज कर दिया है. पाक ने आरोप लगाए थे कि भारत उसके यहां आतंकवाद फैलाने के लिए अफगानिस्तान का इस्तेमाल कर रहा है. इस पर अमेरिका ने कहा है कि पाकिस्तान के आरोप के पक्ष में कोई सबूत नहीं है.
बुधवार को दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों की प्रभारी विदेश उप मंत्री एलीस वेल्स ने इस्लामाबाद के अमेरिकी दूतावास में पत्रकारों से कहा, 'आप जो कुछ कह रहे हैं, उसके संबंध में मेरे पास सबूत नहीं है, लेकिन हमारी नीति स्पष्ट है कि कोई भी देश राज्येतर तत्वों का समर्थन नहीं करे.'
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बता दें कि पाकिस्तान लंबे समय से यह कहता रहा है कि भारत अशांति फैलाने के लिए कथित रूप से अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल करता है. उसने भारतीय कैदी कुलभूषण जाधव के मामले को अक्सर सबूत के तौर पर पेश किया है. जाधव को पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जासूसी और आतंकवाद के आरोपों में अप्रैल, 2017 में मृत्युदंड सुनाया था.
पाकिस्तान का दावा है कि उसके सुरक्षाबलों ने जाधव को ईरान से कथित रूप से घुस आने के बाद अशांत बलूचिस्तान से तीन मार्च 2013 को गिरफ्तार किया था. भारत का कहना है कि जाधव को ईरान से अगवा किया गया. भारतीय नौसेना से सेवानिवृत होने के बाद जाधव ईरान में अपने कारोबार के सिलसिले में गये थे.
'एक्सप्रेस ट्रिब्यून' की रिपोर्ट है कि बलूचिस्तान में अशांति फैलाने में भारत की भूमिका के पाकिस्तान के आरोप पर वेल्स ने भारत का नाम लिये बगैर कहा, 'हम पाकिस्तान की क्षेत्रीय एकता एवं अखंडता को मंजूरी और सम्मान देते है. हम किसी अलगाववादी या पुनर्संयोजनवादी आंदोलन का समर्थन नहीं करते.'
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उन्होंने कहा, 'हम समझते हैं कि यह अहम है कि इस क्षेत्र के देश एक दूसरे का सम्मान करें और शांति एवं आर्थिक विकास हासिल करने के लिए काम करें.'
अमेरिकी विशेष दूत जलमय खलीलजाद की अगुवाई वाले प्रतिनिधिमंडल में शामिल वेल्स ने कहा कि अमेरिका किसी दूसरे देश के खिलाफ आतंकवाद के किसी भी इस्तेमाल की स्वीकृति या समर्थन नहीं करेगा.
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के पास पाकिस्तानी सेना के इस नवीनतम आरोप के संबंध में कोई सूचना नहीं है कि अफगान और भारत की खुफिया एजेंसिंयां कबायली क्षेत्र में पश्तून तहफ्फुज मूवमेंट को फंडिंग कर रही हैं.
पाकिस्तान और भारत के बीच बातचीत बहाल होने की संभावना के संबंध में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को यह सुनिश्चित करने की अपनी कटिबद्धता प्रदिर्शत करनी होगी कि आतंकवादी संगठन पाकिस्तानी सरजमीं का फायदा नहीं उठा पाएं.
(भाषा इनपुट)