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कोरोना के कारण कामाख्या मंदिर में इस साल नहीं लगेगा अंबुबाची मेला - assam amid corona pandemic

कामाख्या मंदिर प्रबंधन समिति ने कोरोना वायरस महामारी के कारण इस साल अंबुबाची पर्व नहीं मनाने का फैसला किया है. अंबुबाची पर्व को पूर्व का कुंभ भी कहा जाता है. कामाख्या मंदिर प्रबंधन समिति ने कहा कि पहली बार इस पर्व का आयोजन नहीं हो रहा है.

ambubachi mela
कामाख्या मंदिर में अंबुबाची मेला
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Published : Apr 24, 2020, 12:08 PM IST

Updated : Apr 24, 2020, 5:48 PM IST

गुवाहाटी : वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने देश और दुनिया में सभी बड़े आयोजनों पर ग्रहण लगा दिया है. जानकारी के मुताबिक इस वर्ष असम स्थित गुवाहाटी के विश्व प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर में अंबुबाची मेले का आयोजन रद कर दिया गया है.

कामाख्या मंदिर प्रबंधन समिति ने कोरोना वायरस महामारी के कारण यह फैसला लिया है.

गुवाहाटी के कामाख्या मंदिर में प्रति वर्ष जून में लगने वाले अंबुबाची मेले में लाखों की संख्या में देश विदेश से श्रद्धालुओं की भीड़ यहां जुटती है.

अंबुबाची पर्व को पूर्व का कुंभ भी कहा जाता है. क्योंकि इस शक्तिपीठ की मान्यता अधिक है जिसके कारण लाखों की संख्या में लोग दर्शन को पहुंचते हैं.

असम के गुवाहाटी से लगभग 9 किलोमीटर दूर नीलांचल पहाड़ी पर देवी का एक भव्य कामाख्या मंदिर स्थित है. यहां पर देवी सती का योनिभाग गिरा था.

यहां पर देवी की मूर्ति नहीं बल्कि योनिभाग की पूजा की जाती है, जिसे हमेशा फूलों से ढ़ककर रखा जाता है.

कामाख्या मंदिर में अंबुबाची मेला

जब देवी रजस्वला होती हैं, उसे अम्बुवाची पर्व कहा जाता है. हर साल यह पर्व जून में तिथि के अनुसार, 22 जून से 26 जून के दौरान मनाया जाता है.

ऐतिहासिक मंदिर का गर्भगृह अंबुबाची उत्सव के दौरान भक्तों के लिए बंद हो जाता है. मान्यता के अनुसार देवी कामाख्या अपने वार्षिक मासिक धर्म के लिए गर्भगृह के अंदर बंद हो जाती हैं. चार दिन बाद बाद मंदिर फिर से खुलता है.

इस अवधि के दौरान भक्त भक्ति गीत गाते हैं और बाहर इंतजार करते हैं. मंदिर के खुलने के बाद, भक्तों को देवी मां के दर्शन और पूजा करने की अनुमति दी जाती है.

इस अवधि के दौरान, हिंदू धर्म को मानने वाले पूजा नहीं करते हैं और ना ही किसी भी धार्मिक गतिविधियों में शामिल होते हैं. इस दौरान किसान अपनी भूमि की भी जुताई नहीं करते हैं.

हालांकि वर्तमान में कोरोना वायरस के कारण देश लोकडॉउन मोड पर है. लोगों में कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण को देखते हुए देश में किसी तरह का भी कोई आयोजन नहीं किया जा रहा है.

कामाख्या मंदिर के पुजारी मोहित शर्मा ने कहा कि, लॉकडाउन में सरकारी आदेश का पालन करना आवश्यक है और कोरोना वायरस को लेकर जो दिशानिर्देश जारी किए गए हैं उसको देखते हुए हमने इस वर्ष अंबुबाची मेला का आयोजन नहीं करने का फैसला किया है. क्योंकि हमें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना है.

उन्होंने कहा कि चुंकि इस पर्व को देखने देश-विदेश से लोग यहां आते हैं. होटल, फ्लाइट, ट्रेन की बुकिंग करते हैं, इसलिए हमने पहले ही इसकी सूचना सभी को दे दी है.
उन्होंने यह भी कहा कि यह पहली बार है कि मंदिर प्राधिकरण ने कार्यक्रम का आयोजन नहीं करने का फैसला किया है.

गुवाहाटी : वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने देश और दुनिया में सभी बड़े आयोजनों पर ग्रहण लगा दिया है. जानकारी के मुताबिक इस वर्ष असम स्थित गुवाहाटी के विश्व प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर में अंबुबाची मेले का आयोजन रद कर दिया गया है.

कामाख्या मंदिर प्रबंधन समिति ने कोरोना वायरस महामारी के कारण यह फैसला लिया है.

गुवाहाटी के कामाख्या मंदिर में प्रति वर्ष जून में लगने वाले अंबुबाची मेले में लाखों की संख्या में देश विदेश से श्रद्धालुओं की भीड़ यहां जुटती है.

अंबुबाची पर्व को पूर्व का कुंभ भी कहा जाता है. क्योंकि इस शक्तिपीठ की मान्यता अधिक है जिसके कारण लाखों की संख्या में लोग दर्शन को पहुंचते हैं.

असम के गुवाहाटी से लगभग 9 किलोमीटर दूर नीलांचल पहाड़ी पर देवी का एक भव्य कामाख्या मंदिर स्थित है. यहां पर देवी सती का योनिभाग गिरा था.

यहां पर देवी की मूर्ति नहीं बल्कि योनिभाग की पूजा की जाती है, जिसे हमेशा फूलों से ढ़ककर रखा जाता है.

कामाख्या मंदिर में अंबुबाची मेला

जब देवी रजस्वला होती हैं, उसे अम्बुवाची पर्व कहा जाता है. हर साल यह पर्व जून में तिथि के अनुसार, 22 जून से 26 जून के दौरान मनाया जाता है.

ऐतिहासिक मंदिर का गर्भगृह अंबुबाची उत्सव के दौरान भक्तों के लिए बंद हो जाता है. मान्यता के अनुसार देवी कामाख्या अपने वार्षिक मासिक धर्म के लिए गर्भगृह के अंदर बंद हो जाती हैं. चार दिन बाद बाद मंदिर फिर से खुलता है.

इस अवधि के दौरान भक्त भक्ति गीत गाते हैं और बाहर इंतजार करते हैं. मंदिर के खुलने के बाद, भक्तों को देवी मां के दर्शन और पूजा करने की अनुमति दी जाती है.

इस अवधि के दौरान, हिंदू धर्म को मानने वाले पूजा नहीं करते हैं और ना ही किसी भी धार्मिक गतिविधियों में शामिल होते हैं. इस दौरान किसान अपनी भूमि की भी जुताई नहीं करते हैं.

हालांकि वर्तमान में कोरोना वायरस के कारण देश लोकडॉउन मोड पर है. लोगों में कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण को देखते हुए देश में किसी तरह का भी कोई आयोजन नहीं किया जा रहा है.

कामाख्या मंदिर के पुजारी मोहित शर्मा ने कहा कि, लॉकडाउन में सरकारी आदेश का पालन करना आवश्यक है और कोरोना वायरस को लेकर जो दिशानिर्देश जारी किए गए हैं उसको देखते हुए हमने इस वर्ष अंबुबाची मेला का आयोजन नहीं करने का फैसला किया है. क्योंकि हमें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना है.

उन्होंने कहा कि चुंकि इस पर्व को देखने देश-विदेश से लोग यहां आते हैं. होटल, फ्लाइट, ट्रेन की बुकिंग करते हैं, इसलिए हमने पहले ही इसकी सूचना सभी को दे दी है.
उन्होंने यह भी कहा कि यह पहली बार है कि मंदिर प्राधिकरण ने कार्यक्रम का आयोजन नहीं करने का फैसला किया है.

Last Updated : Apr 24, 2020, 5:48 PM IST
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