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इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायधीश ने जजों की नियुक्ति पर उठाए सवाल - appointment on nepotism

इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायधीश रंगनाथ पांडे ने पीएम मोदी को पत्र लिखते हुए कहा है कि जजों की नियुक्तियां भाई-भतीजा और जातिवाद के आधार पर हो रही हैं.

न्यायधीश रंगनाथ पांडे (सौ. इलहाबाद हाईकोर्ट.इन)
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Published : Jul 3, 2019, 1:20 PM IST

लखनऊ: इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायधीश रंगनाथ पांडे ने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्तियों सवाल उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने न्यायधीशों की नियुक्तियों में भाई-भतीजा और जातिवाद का आरोप लगाया है.

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पीएम मोदी को लिखा पत्र

उन्होंने पत्र में लिखा है कि न्यायधीश नियुक्ति प्रक्रिया में कोई मापदंड तय नहीं है,इस समय केवल जातिवाद और परिवार को आधार पर नियुक्तियां हो रही हैं.

उन्होंने पत्र में लिखा है कि भारतीय संविधान भारत को एक लोकतांत्रिक राष्ट्र घोषित करता है, तथा इसके तीन में से एक सर्वाधिक महत्वापूर्ण न्यायपालिका (उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय) दुर्भाग्यवश वंशवाद व जातिवाद से बुरी तरह

ग्रस्त है, यहां न्यायधीशों के परिवार का सदस्य होना ही अगला न्यायधीश होना सुनिश्चित करता है.

पढ़ें- कांग्रेस में आंतरिक टकराव के आसार, SC के झटकों से अटकलों का दौर शुरू

राजनीतिक कार्यकर्ता का मूल्यांकन उसके कार्य के आधार पर चुनावों में जनता के द्वारा किया जाता है. प्रशासनिक अधिकारी को सेवा में आने के लिए परीक्षाओं को पास करना होता है.

न्यायधीश पांडे ने आगे लिखा कि अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायाधीशों को भी प्रतियोगी परीक्षाओं में योग्यता सिद्ध कर ही चयनित होने का अवसर मिलता है. लेकिन लेकिन हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति का हमारे पास कोई मापदंड नहीं है. प्रचलित कसौटी है तो सिर्फ परिवारवाद और जातिवाद.

लखनऊ: इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायधीश रंगनाथ पांडे ने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्तियों सवाल उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने न्यायधीशों की नियुक्तियों में भाई-भतीजा और जातिवाद का आरोप लगाया है.

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पीएम मोदी को लिखा पत्र

उन्होंने पत्र में लिखा है कि न्यायधीश नियुक्ति प्रक्रिया में कोई मापदंड तय नहीं है,इस समय केवल जातिवाद और परिवार को आधार पर नियुक्तियां हो रही हैं.

उन्होंने पत्र में लिखा है कि भारतीय संविधान भारत को एक लोकतांत्रिक राष्ट्र घोषित करता है, तथा इसके तीन में से एक सर्वाधिक महत्वापूर्ण न्यायपालिका (उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय) दुर्भाग्यवश वंशवाद व जातिवाद से बुरी तरह

ग्रस्त है, यहां न्यायधीशों के परिवार का सदस्य होना ही अगला न्यायधीश होना सुनिश्चित करता है.

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राजनीतिक कार्यकर्ता का मूल्यांकन उसके कार्य के आधार पर चुनावों में जनता के द्वारा किया जाता है. प्रशासनिक अधिकारी को सेवा में आने के लिए परीक्षाओं को पास करना होता है.

न्यायधीश पांडे ने आगे लिखा कि अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायाधीशों को भी प्रतियोगी परीक्षाओं में योग्यता सिद्ध कर ही चयनित होने का अवसर मिलता है. लेकिन लेकिन हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति का हमारे पास कोई मापदंड नहीं है. प्रचलित कसौटी है तो सिर्फ परिवारवाद और जातिवाद.

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