प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉ कफील खान पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) हटाने का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने कफील खान की तुरंत रिहा करने का आदेश भी दिया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डाक्टर कफील खान की रासुका को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है. हाईकोर्ट ने रासुका अवधि बढ़ाने के आदेश को भी अवैध करार दिया.
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति एस डी सिंह की खंडपीठ ने नुजहत परवीन की बंदीप्रत्यक्षीकरण (Habeas corpus) याचिका पर दिया है. हाईकोर्ट ने डॉ. कफील खान पर रासुका लगाने के डीएम अलीगढ़ के आदेश और उसके कन्फर्मेशन को भी रद्द कर दिया है.
इससे पहले, 28 अगस्त को कफील खान मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए / रासुका) निरुद्घ करने के खिलाफ दायर याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. डॉ. खान पर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी को लेकर भड़काऊ भाषण देने के मामले में रासुका के तहत कार्रवाई की गई थी. डॉ. कफील को रासुका में निरुद्घ किए जाने को लेकर चुनौती दी गई थी. कफील की मां नुजहत परवीन की ओर से बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की गई थी.
सीएए को लेकर भड़काऊ बयानबाजी करने के लिए जिलाधिकारी अलीगढ़ ने 13 फरवरी, 2020 को कफील खान को रासुका में निरुद्घ करने का आदेश दिया था. यह अवधि दो बार बढ़ाई जा चुकी है. याचिका में निरूद्घि की वैधता को चुनौती दी गई है. हालांकि कफील खान को गोरखपुर के गुलहरिया थाने में दर्ज एक मुकदमे में 29 जनवरी, 2020 को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका था. जेल में रहते हुए रासुका तामील कराया गया है.
याची ने डॉ. कफील खान की रासुका को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. कोर्ट ने हाईकोर्ट को मूल पत्रावली भेजते हुए तय करने का आदेश दिया है. इस मामले में प्रदेश सरकार और याची के सीनियर वकील द्वारा पहले भी कई बार समय मांगा गया था.