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हिमाचल में केदारनाथ जैसी तबाही मचा सकती है 'सिस्सू' झील, वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी

हिमाचल प्रदेश में वैज्ञानिकों ने सरकार और जिला प्रशासन को स्पीति घाटी की सिस्सू झील को लेकर आगाह किया है. साथ ही वैज्ञानिक तरीके से इस झील को ब्लास्ट करने की सलाह भी दी है. इस झील का आकार 1965 में जहां 27 हेक्टेयर था वहीं अब इसका आकार 118 हेक्टेयर हो गया है.

हिमाचल में केदारनाथ जैसी तबाही मचा सकती है 'सिस्सू' झील.
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Published : Jul 19, 2019, 4:52 PM IST

शिमला: हिमाचल में भी केदारनाथ जैसी तबाही मच सकती है. स्पीति घाटी में सिस्सू झील अब बड़ा खतरा बन गई है. तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर से इस झील का आकार चार गुना बढ़ गया है और समय रहते इस झील को बढ़ने से रोका नहीं गया तो बड़ी तबाही मचा सकती है.

जानकारी देते वैज्ञानिक एसएस रंधावा.

वैज्ञानिकों ने सरकार और जिला प्रशासन को इस झील के खतरे से आगाह किया है और वैज्ञानिक तरीके से इस झील को ब्लास्ट करने की सलाह भी दी है. इस झील का आकार 1965 में जहां 27 हेक्टेयर था वहीं अब इसका आकार 118 हेक्टेयर हो गया है.

हिमाचल पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रधान वैज्ञानिक एसएस रन्धावा ने कहा कि ग्लेशियर के पिघलने से झीलें बन रही हैं. स्पीति के बेसिन बास्पा गीपागगत ग्लेशियर के आगे बनी झील का आकार हर साल बढ़ रहा है और अब इस झील से बड़ा खतरा हो सकता है.

पढ़ें: बिहार में वज्रपात से नौ लोगों की मौत, नवादा में हुआ हादसा

ये झील अगर टूटती है तो काफी नुकसान हो सकता है. इसको लेकर जिला प्रशासन को भी आगाह कर दिया है और इसे वैज्ञानिक तरीके से ब्लास्ट किया जा सकता है ताकि भविष्य में केदारनाथ जैसी त्रासदी यहां न हो.

रन्धावा ने कहा कि जिस तरह से तेजी से ग्लेशियर पिघल रहे हैं उससे झीलों का आकार भी बढ़ने लगा है. गेलशियर का पानी इसमें जमा हो रहा है और अगर झील टूटी तो निचले इलाकों में बाढ़ आने का खतरा बढ़ जाएगा.

शिमला: हिमाचल में भी केदारनाथ जैसी तबाही मच सकती है. स्पीति घाटी में सिस्सू झील अब बड़ा खतरा बन गई है. तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर से इस झील का आकार चार गुना बढ़ गया है और समय रहते इस झील को बढ़ने से रोका नहीं गया तो बड़ी तबाही मचा सकती है.

जानकारी देते वैज्ञानिक एसएस रंधावा.

वैज्ञानिकों ने सरकार और जिला प्रशासन को इस झील के खतरे से आगाह किया है और वैज्ञानिक तरीके से इस झील को ब्लास्ट करने की सलाह भी दी है. इस झील का आकार 1965 में जहां 27 हेक्टेयर था वहीं अब इसका आकार 118 हेक्टेयर हो गया है.

हिमाचल पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रधान वैज्ञानिक एसएस रन्धावा ने कहा कि ग्लेशियर के पिघलने से झीलें बन रही हैं. स्पीति के बेसिन बास्पा गीपागगत ग्लेशियर के आगे बनी झील का आकार हर साल बढ़ रहा है और अब इस झील से बड़ा खतरा हो सकता है.

पढ़ें: बिहार में वज्रपात से नौ लोगों की मौत, नवादा में हुआ हादसा

ये झील अगर टूटती है तो काफी नुकसान हो सकता है. इसको लेकर जिला प्रशासन को भी आगाह कर दिया है और इसे वैज्ञानिक तरीके से ब्लास्ट किया जा सकता है ताकि भविष्य में केदारनाथ जैसी त्रासदी यहां न हो.

रन्धावा ने कहा कि जिस तरह से तेजी से ग्लेशियर पिघल रहे हैं उससे झीलों का आकार भी बढ़ने लगा है. गेलशियर का पानी इसमें जमा हो रहा है और अगर झील टूटी तो निचले इलाकों में बाढ़ आने का खतरा बढ़ जाएगा.

Intro:हिमाचल में भी केदारनाथ जैसी तबाही मचा सकती है। स्पीति वेली में सिस्सू झील अब बड़ा खतरा बन गई है। तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर से इस झील का आकार चार गुना बढ़ गया है और समय रहते इस झील को बढ़ने से रोका नही गया तो बड़ी तबाही मचा सकती है। वैज्ञानिकों ने सरकार ओर जिला प्रशासन को इस झील के खतरे को आगाह किया है और वैज्ञानिक तरीके से इस झील को ब्लास्ट करने की सलाह भी दी है। इस झील का आकार 1965 में जहा 27 हेक्टेयर था वही 2018 में इसका आकार 118 हेक्टेयर हो गया है।


Body:हिमाचल पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगकी विभाग के प्रधान वैज्ञानिक एसएस रन्धावा ने कहा कि ग्लेशियर के पिघलने से झीलें बन रही है। स्पीति के बेसिन बास्पा गीपागगत ग्लेशियर के आगे बनी झील का आकार हर साल बढ़ रहा है और अब इस झील से बड़ा खतरा हो सकता है । ये झील यदि टूटती है तो काफी नुकसान हो सकता है । इसको लेकर जिला प्रशासन को भी आगाह कर दिया है और इसे वैज्ञानिक तरीक़े से ब्लास्ट किया जा सकता है ताकि भविष्य में केदारनाथ जैसी त्रासदी यहां न हो।


Conclusion:रन्धावा ने कहा कि जिस तरह से तेजी से ग्लेशियर पिघल रहे है उससे झीलों का आकार भी बढ़ने लगा है। गेलशियर का पानी इसमें जमा हो रहा है और यदि ये झील अगर टूटती है तो निवहले इलाको में बाढ़ आने का खतरा बढ़ जाएगा।
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