नई दिल्ली: एअर इंडिया पायलट यूनियनों ने सोमवार को नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी के साथ मुलाकात करने की मांग की. पायलट यूनियन के सदस्यों ने आरोप लगाया कि उन्हें गुमराह किया जा रहा है और निजीकरण की प्रक्रिया को पटरी से उतारने की साजिश रची जा रही है.
भारतीय पायलट गिल्ड (आईपीजी) और इंडियन कमर्शियल पायलट एसोसिएशन (आईसीपीए) ने केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी को लिखे एक पत्र में कहा कि, ‘16 जुलाई 2020 की प्रेस कॉन्फ्रेंस से स्पष्ट है कि एअर इंडिया की वर्तमान स्थिति के बारे में अधिकारियों ने ब्रीफ करते हुए गलत जानकारी दी, कि बोर्ड वेतन में कटौती नहीं कर रहा है और इसको लेकर पायलटों से बात की जा रही है.’
आईसीपीए ने कहा कि यह एक बातचीत नहीं थी, बल्कि केंद्रीय नागर विमानन मंत्रालय का आदेश था, जो हमें बताया गया. हम यह भी कहना चाहते हैं कि वो तथाकथित बातचीत किसी भी तरह से सौहाद्रपूर्ण नहीं थी. आईपीजी और आईसीपीए ने पिछले सप्ताह बंसल को भेजे गए एक संयुक्त पत्र में कहा कि कोरोना वायरस महामारी के बीच एअर इंडिया ने पायलट के वेतन में 60 प्रतिशत कटौती का प्रस्ताव रखा गया है.
पायलटों ने पुरी को लिखे पत्र में कहा कि एअर इंडिया प्रबंधन अलाउंस को कम करने के बजाय कर्मचारी की कंपनी की सही लागत पर कटौती करने की कोशिश कर रहा है. पायलट यूनियनों ने केंद्रीय मंत्री से कहा कि निजीकरण की प्रक्रिया को पटरी से उतारने की साजिश रचने का यह जानबूझकर अनैतिक एजेंडा चलाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हम आपसे अनुरोध करते हैं कि यूनियन के साथ तत्काल एक बैठक की जाए, जिससे की इस संकट को रोका जा सके.
दरअसल 16 जुलाई को एक प्रेस वार्ता में नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ये दलील दी थी कि सभी एअरलाइंस कंपनियां लागत में कटौती कर रही हैं और अगर ऐसा नहीं किया गया तो एयर इंडिया सर्वाइव नहीं कर पाएगी.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भले ही एअर इंडिया सरकारी निर्भरता चाहती हो, लेकिन मौजूदा हालात में सरकार इस स्थिति में नहीं है. कोरोना की वजह से संकट और गहरा गया है, ऐसे में सरकार हर साल 500 से 600 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वहन नहीं कर सकती.