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बीएस धनोआ ने 'गोल्डन एरो' 17 स्क्वाड्रन को फिर किया शुरु

भारतीय वायु सेना के एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने 17 स्क्वाड्रन को फिर से गठित किया है. कमांडिंग ऑफिसर ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह को स्क्वाड्रन प्रतीक चिह्न सौंपा गया...पढ़ें पूरी खबर...

बीएस धनोआ ने 'गोल्डन एरो' 17 स्क्वाड्रन को फिर किया शुरु
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Published : Sep 11, 2019, 12:11 AM IST

Updated : Sep 30, 2019, 4:44 AM IST

अंबाला: फ्रांस से खरीदे जाने वाले लड़ाकू विमान राफेल की तैनाती अंबाला वायुसेना स्टेशन पर की गई. भारतीय वायु सेना के एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने 17 स्कवाड्रन को फिर से गठित किया है. यह राफेल को संचालित करने वाली पहली इकाई होगी.

बीएस धनोआ ने 'गोल्डन एरो' 17 स्क्वाड्रन को फिर किया शुरु
iaf-resurrects 17 Squadron
ट्वीट सौ एएनआई

स्क्वाड्रन के गठन पर बोलते हुए वायुसेना प्रमुख ने कहा कि कमांडिंग ऑफिसर ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह को स्क्वाड्रन प्रतीक चिह्न सौंपते हुए मुझे खुशी हो रही है.

iaf-resurrects 17 Squadron
ट्वीट सौ एएनआई

पढ़ें: भारतीय वायुसेना में 20 साल बाद शुरू होगा 'गोल्डन एरो' 17 स्क्वाड्रन, जानें मकसद

भारतीय वायु सेना प्रमुख बी एस धनोआ मंगलवार को अंबाला एयर फोर्स स्टेशन पहुंचे. बता दें कि यहां एक समारोह में उन्होंने ' गोल्डन ऐरोज 17 स्कवाड्रन को फिर से गठित करने का ऐलान किया. बता दें कि कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने कहा कि, गोल्डन ऐरोज पेशेवर उत्कृष्टता और समर्पण का प्रतीक रहा है. अंबाला के साथ 17

iaf-resurrects 17 Squadron
ट्वीट सौ एएनआई

स्कवाड्रन का जुड़ाव 1951 में यहां बनने के बाद से ही है. यह अंबाला में फिर वापस आ गया है.

बता दें कि 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान एयर चीफ मार्शल धनोआ द्वारा 'गोल्डन एरो' 17 स्क्वाड्रन की कमान संभाली थी. 17 स्कवाड्रन को 1951 में बनाया गया था, जो शुरुआत में डेहविल्लैंड वैम्पायर एफ एम के 52 विमान उड़ाता था.

अंबाला: फ्रांस से खरीदे जाने वाले लड़ाकू विमान राफेल की तैनाती अंबाला वायुसेना स्टेशन पर की गई. भारतीय वायु सेना के एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने 17 स्कवाड्रन को फिर से गठित किया है. यह राफेल को संचालित करने वाली पहली इकाई होगी.

बीएस धनोआ ने 'गोल्डन एरो' 17 स्क्वाड्रन को फिर किया शुरु
iaf-resurrects 17 Squadron
ट्वीट सौ एएनआई

स्क्वाड्रन के गठन पर बोलते हुए वायुसेना प्रमुख ने कहा कि कमांडिंग ऑफिसर ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह को स्क्वाड्रन प्रतीक चिह्न सौंपते हुए मुझे खुशी हो रही है.

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ट्वीट सौ एएनआई

पढ़ें: भारतीय वायुसेना में 20 साल बाद शुरू होगा 'गोल्डन एरो' 17 स्क्वाड्रन, जानें मकसद

भारतीय वायु सेना प्रमुख बी एस धनोआ मंगलवार को अंबाला एयर फोर्स स्टेशन पहुंचे. बता दें कि यहां एक समारोह में उन्होंने ' गोल्डन ऐरोज 17 स्कवाड्रन को फिर से गठित करने का ऐलान किया. बता दें कि कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने कहा कि, गोल्डन ऐरोज पेशेवर उत्कृष्टता और समर्पण का प्रतीक रहा है. अंबाला के साथ 17

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ट्वीट सौ एएनआई

स्कवाड्रन का जुड़ाव 1951 में यहां बनने के बाद से ही है. यह अंबाला में फिर वापस आ गया है.

बता दें कि 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान एयर चीफ मार्शल धनोआ द्वारा 'गोल्डन एरो' 17 स्क्वाड्रन की कमान संभाली थी. 17 स्कवाड्रन को 1951 में बनाया गया था, जो शुरुआत में डेहविल्लैंड वैम्पायर एफ एम के 52 विमान उड़ाता था.

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DEF-IAF-RAFALE SQUADRON
IAF's 17 Squadron to be resurrected Tuesday; to be first Rafale unit
         New Delhi, Sep 9 (PTI) The Indian Air Force on Tuesday is expected to resurrect its 'Golden Arrows' 17 Squadron which will be the first unit to fly the multi-role Rafale fighter jets.
         IAF Chief B S Dhanoa will resurrect the 17 squadron at an event on Tuesday at the Ambala Air Force Station as it prepares to receive the Rafale jets, official sources said.
         The 'Golden Arrows' 17 Squadron was commanded by Air Chief Marshal Dhanoa during the Kargil war in 1999.
         The squadron, which operated from Bhatinda air base, was disbanded in 2016 after the IAF started gradual phasing out of Russian-origin Mig 21 jets.
         The squadron was formed in 1951, and initially it flew de Havilland Vampire F Mk 52 fighters.
         India is expected to receive the first Rafale jet by end of this month.
         The IAF has already completed preparations, including readying required infrastructure and training of pilots, to welcome the fighter aircraft.
         The sources said the first squadron of the aircraft will be deployed at the Ambala Air Force Station, considered one of the most strategically located bases of the IAF. The Indo-Pak border is around 220 km from there.
         The second squadron of Rafale will be stationed at Hasimara base in West Bengal.
         India had inked an inter-governmental agreement with France in September 2016 for procurement of 36 Rafale fighter jets at a cost of around Rs 58,000 crore.
         A number of IAF teams have already visited France to help Dassault Aviation, the manufacturer of Rafale, incorporate India-specific enhancements on-board the fighter aircraft
         The Rafale jets will come with various India-specific modifications, including Israeli helmet-mounted displays, radar warning receivers, low band jammers, 10-hour flight data recording, infra-red search and tracking systems among others.
         The Congress raised several questions about the deal, including on rates of the aircraft, and alleged corruption but the government has rejected the charges.
         The IAF spent around Rs 400 crore to develop required infrastructure like shelters, hangers and maintenance facilities at the two bases.
         In July 2017, Air Chief Marshal B S Dhanoa, during his visit to France, flew a Rafale jet at the Saint-Dizier airbase to gain first-hand experience of the aircraft.
         According to the deal, the delivery of the jets was to be completed in 67 months from the date the contract was inked. PTI MPB
AAR
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Last Updated : Sep 30, 2019, 4:44 AM IST
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