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AIKSCC के नेताओं ने कहा - कश्मीर के किसानों की स्थिति चिंताजनक

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Published : Nov 16, 2019, 11:01 PM IST

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने कहा है कि कश्मीर के किसानों की स्थिति सही नहीं है. सरकार वहां राष्ट्रीय आपदा घोषित कर किसानों के नुकसान का सर्वे कराए. उनकी स्थिति जानने के लिए एआईकेएससीसी की सात सदस्यीय टीम कश्मीर दौरे पर गयी थी. पढ़ें पूरी खबर...

एआईकेएससीसी के नेता

नई दिल्ली : अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) का मानना है कि अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर के किसानों की स्थिति चिंताजनक है. वहां पर यातायात और संचार सेवाएं ठप होने जाने से किसानों को भारी नुकसान हुआ है. उसके बाद मौसम की मार ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है. असमय बर्फबारी की वजह से सेब की फसल को तो नुकसान हुआ ही, साथ ही कई बागान भी ही बर्बाद हो गये.

घाटी किसानों का हाल जानने के लिए एआईकेएससीसी के सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंड के कश्मीर दौरे से लौटने के बाद समिति के संयोजक वी.एम. सिंह ने कहा, 'अगर हम कश्मीर को देश का अभिन्न हिस्सा मानते हैं तो हमें वहां के किसानों के साथ भी खड़ा होना पड़ेगा.'

कश्मीर के किसानों की दयनीय हालत के बारे जानकारी देते किसान नेता योगेंद्र यादव.

वी.एम. सिंह ने कहा कि ऐसे में जिन किसानों को फसल के साथ पेड़ के नुकसान की दोहरी मार झेलनी पड़ी है, उनके सामने आत्महत्या जैसी स्थिति है. आम तौर पर एक सेब के पेड़ को तैयार होने में 13 से 15 साल लगते हैं, जिसके बाद वो फल की पैदावार शुरू करता है.

एआईकेएससीसी के सह संयोजक और किसान नेता योगेंद्र यादव भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे. उन्होंने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि सेब किसानों से नाफेड के माध्यम से जो खरीद की गई, वो कुल पैदावार का एक प्रतिशत भी नहीं है और ऐसे में सरकार अपनी वाहवाही लूट रही है कि उसने कश्मीर के सेब किसानों से खरीद कर लिये हैं.

महाराष्ट्र के किसान नेता राजू शेट्टी ने एआईकेएससीसी की तरफ से सरकार से मांग की है कि कश्मीर के किसानों को इस संकट से उबारने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाना चाहिए.

समन्वय समिति ने इसे एक राष्ट्रीय आपदा घोषित कर सरकारी एजेंसी द्वारा नुकसान का सर्वे कराये जाने और उसके आधार पर किसानों को पर्याप्त मुआवजा देने की मांग की है.

पढ़ें : कश्मीर के किसानों के लिए अच्छी खबर, सेब के मिलेंगे बेहतर दाम

नई दिल्ली : अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) का मानना है कि अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर के किसानों की स्थिति चिंताजनक है. वहां पर यातायात और संचार सेवाएं ठप होने जाने से किसानों को भारी नुकसान हुआ है. उसके बाद मौसम की मार ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है. असमय बर्फबारी की वजह से सेब की फसल को तो नुकसान हुआ ही, साथ ही कई बागान भी ही बर्बाद हो गये.

घाटी किसानों का हाल जानने के लिए एआईकेएससीसी के सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंड के कश्मीर दौरे से लौटने के बाद समिति के संयोजक वी.एम. सिंह ने कहा, 'अगर हम कश्मीर को देश का अभिन्न हिस्सा मानते हैं तो हमें वहां के किसानों के साथ भी खड़ा होना पड़ेगा.'

कश्मीर के किसानों की दयनीय हालत के बारे जानकारी देते किसान नेता योगेंद्र यादव.

वी.एम. सिंह ने कहा कि ऐसे में जिन किसानों को फसल के साथ पेड़ के नुकसान की दोहरी मार झेलनी पड़ी है, उनके सामने आत्महत्या जैसी स्थिति है. आम तौर पर एक सेब के पेड़ को तैयार होने में 13 से 15 साल लगते हैं, जिसके बाद वो फल की पैदावार शुरू करता है.

एआईकेएससीसी के सह संयोजक और किसान नेता योगेंद्र यादव भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे. उन्होंने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि सेब किसानों से नाफेड के माध्यम से जो खरीद की गई, वो कुल पैदावार का एक प्रतिशत भी नहीं है और ऐसे में सरकार अपनी वाहवाही लूट रही है कि उसने कश्मीर के सेब किसानों से खरीद कर लिये हैं.

महाराष्ट्र के किसान नेता राजू शेट्टी ने एआईकेएससीसी की तरफ से सरकार से मांग की है कि कश्मीर के किसानों को इस संकट से उबारने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाना चाहिए.

समन्वय समिति ने इसे एक राष्ट्रीय आपदा घोषित कर सरकारी एजेंसी द्वारा नुकसान का सर्वे कराये जाने और उसके आधार पर किसानों को पर्याप्त मुआवजा देने की मांग की है.

पढ़ें : कश्मीर के किसानों के लिए अच्छी खबर, सेब के मिलेंगे बेहतर दाम

Intro:अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की एक सात सदस्यीय टीम कश्मीर के किसानों का हाल जानने के लिये वहां तीन दिन के दौरे पर थी । आज दिल्ली में घाटी के किसानों की स्थिति के बारे में बताते हुए किसान नेताओं ने जानकारी दी है कि 5 अगस्त के बाद वहाँ यातायात और संचार सेवाएं ठप हो जाने से किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा था । उसके बाद मौसम की मार ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है । असमय बर्फबारी की वजह से सेब की फसल को तो नुकसान हुआ ही साथ ही कई बागानों के तो पेड़ ही बर्बाद हो गए ।
आम तौर पर एक सेब के पेड़ को तैयार होने में 13 से 15 साल लगते हैं जिसके बाद वो फल की पैदावार शुरू करता है ।
ऐसे में जिन किसानों को फसल के साथ पेड़ के नुकसान की दोहरी मार झेलनी पड़ी है उनके सामने आत्महत्या जैसी स्थिति है ।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक वी एम सिंह ने ये जानकारी देते हुए कहा कि अगर हम कश्मीर को देश का अभिन्न हिस्सा मानते हैं तो हमें वहाँ के मिसानों के साथ भी खड़ा होना पड़ेगा ।
AIKSCC के सह संयोजक और किसान नेता योगेन्द्र यादव भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे । सरकार की भूमिका पर सवाल उठाते हुए योगेन्द्र यादव ने कहा कि सेब किसानों से नाफेड के माध्यम से जो खरीद की गई वो कुल पैदावार का एक प्रतिशत भी नहीं है । ऐसे में सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है कि उन्होंने कश्मीर के सेब किसानों से खरीद कर ली ।


Body:महाराष्ट्र से किसान नेता राजू शेट्टी ने AIKSCC की तरफ से सरकार से मांग की है कि कश्मीर के किसानों को इस संकट से उबारने के लिये सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिये । समन्वय समिति ने इसे एक राष्ट्रीय आपदा घोषित कर सरकारी एजेंसी द्वारा नुकसान के।सर्वे कराए जाने की मांग की है जिसके बाद किसानों को पर्याप्त मुआबजा देने की मांग भी की गई है ।


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