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केंद्र के कृषि कानून के खिलाफ साझा आंदोलन का एलान

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Published : Oct 27, 2020, 7:44 PM IST

Updated : Oct 27, 2020, 8:55 PM IST

केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि विधेयकों के खिलाफ विरोध लगातार तेज होता जा रहा है. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिती ने केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन करने का एलान किया है. बता दें कि, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के साथ सौ से ज्यादा किसान संगठन जुड़े हैं.

AIKSCC agri laws
AIKSCC की बैठक

नई दिल्ली : देशभर में कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों का आंदोलन आने वाले दिनों में और व्यापक होने वाला है. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) में पहले देशभर के कई किसान संगठन जुड़े थे, लेकिन अब 160 से ज्यादा संगठनों ने AIKSCC के साथ मिल कर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ साझा आंदोलन करने का एलान किया है.

दिल्ली में 26 और 27 नवंबर को अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने किसान संगठनों के साथ बड़ी बैठक की जिसमें एकजुट हो कर बड़े आंदोलन को खड़ा करने की बात कही गई है. तीन कृषि कानून के अलावा प्रस्तावित बिजली बिल 2020 का भी विरोध किसान संगठनों द्वारा किया जा रहा है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

अब समन्वय समिति ने पांच सदस्यों की एक वर्किंग टीम बनाई है जो आंदोलन का नेतृत्व करेगी. मंगलवार को घोषित वर्किंग टीम में AIKSCC के संयोजक वीएम सिंह, बल्बीर सिंह राजेवाल, योगेंद्र यादव, गुरनाम सिंह और किसान नेता राजू शेट्टी शामिल हैं.

पढ़ें-राहुल गांधी बोले- नया कृषि कानून 'हर किसान की आत्मा पर आक्रमण'

किसान संगठनों ने पांच नवंबर को अखिल भारतीय रोड ब्लॉक करने का एलान किया है. देश के अलग-अलग राज्यों में किसान पूर्ण चक्का जाम करेंगे और कृषि कानूनों के प्रति अपना विरोध जताएंगे. इसके बाद 26 और 27 नवंबर को दिल्ली चलो का आह्वान किया गया है. देशभर से किसान एक बार फिर राजधानी दिल्ली में जुटेंगे और बड़ा विरोध प्रदर्शन करेंगे.

सरदार वीएम सिंह ने बताया कि किसान सरकार पर दबाव बनाएंगे और मांग करेंगे कि इन तीन कानूनों को वापस लिया जाए और प्रस्तावित बिजली कानून को रोका जाए. आम तौर पर लोगों के बीच यह धारणा है कि इन कानूनों का विरोध केवल पंजाब और हरियाणा में है, लेकिन किसान नेताओं का कहना है कि ऐसा प्रचारित कर किसानों को अलग थलग करने का प्रयास किया जा रहा है.

ईटीवी भारत से बीतचीत में वीएम सिंह ने कहा कि देश के हर राज्य में विरोध हो रहा है और अब जब AIKSCC के साथ 150 से ज्यादा संगठन और जुड़ गए हैं, तो उनके विरोध की ताकत बढ़ेगी.

सरकार लगातार यही कह रही है कि कृषि सुधार कानूनों का विरोध करने वाले लोग किसान नहीं हैं, बल्कि बिचौलिये हैं. किसान नेताओं का कहना है कि ऐसा कह कर सरकार के मंत्री भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं.

पढ़ें-किसान कानून के विरोध में किसान महासंघ ने मुख्यमंत्रियों को लिखा पत्र

किसान संगठनों ने पंजाब में केंद्र सरकार द्वारा माल गाड़ियों के संचालन को रोके जाने का भी विरोध किया है. उनका आरोप है कि सरकार जनता को ब्लैकमेल करने का प्रयास कर रही है और किसानों के आंदोलन को कमजोर करना चाहती है.

वीएम सिंह ने कहा कि उनका विरोध बिल्कुल भी राजनीतिक नहीं है. किसान आज इस बात को समझ रहा है कि यह कानून उनके फायदे के लिए नहीं लाए गए हैं. आज गुरुद्वारा रकाब गंज में हुई बैठक में देश के लगभग सभी राज्यों से किसान नेता मौजूद थे और सबने कृषि कानून के विरोध में आंदोलन को आगे बढ़ाने का समर्थन किया है.

बढ़ते विरोध के साथ सरकार पर दबाव बनना लाजमी है. आरएसएस से सम्बद्ध भारतीय किसान संघ ने भी स्पष्ट कहा है कि यह कानून किसान के लिए नहीं, बल्कि व्यापारियों के लिए लाए गए हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में मोदी सरकार को किसानों के बड़े आंदोलन का सामना करना पड़ेगा.

नई दिल्ली : देशभर में कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों का आंदोलन आने वाले दिनों में और व्यापक होने वाला है. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) में पहले देशभर के कई किसान संगठन जुड़े थे, लेकिन अब 160 से ज्यादा संगठनों ने AIKSCC के साथ मिल कर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ साझा आंदोलन करने का एलान किया है.

दिल्ली में 26 और 27 नवंबर को अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने किसान संगठनों के साथ बड़ी बैठक की जिसमें एकजुट हो कर बड़े आंदोलन को खड़ा करने की बात कही गई है. तीन कृषि कानून के अलावा प्रस्तावित बिजली बिल 2020 का भी विरोध किसान संगठनों द्वारा किया जा रहा है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

अब समन्वय समिति ने पांच सदस्यों की एक वर्किंग टीम बनाई है जो आंदोलन का नेतृत्व करेगी. मंगलवार को घोषित वर्किंग टीम में AIKSCC के संयोजक वीएम सिंह, बल्बीर सिंह राजेवाल, योगेंद्र यादव, गुरनाम सिंह और किसान नेता राजू शेट्टी शामिल हैं.

पढ़ें-राहुल गांधी बोले- नया कृषि कानून 'हर किसान की आत्मा पर आक्रमण'

किसान संगठनों ने पांच नवंबर को अखिल भारतीय रोड ब्लॉक करने का एलान किया है. देश के अलग-अलग राज्यों में किसान पूर्ण चक्का जाम करेंगे और कृषि कानूनों के प्रति अपना विरोध जताएंगे. इसके बाद 26 और 27 नवंबर को दिल्ली चलो का आह्वान किया गया है. देशभर से किसान एक बार फिर राजधानी दिल्ली में जुटेंगे और बड़ा विरोध प्रदर्शन करेंगे.

सरदार वीएम सिंह ने बताया कि किसान सरकार पर दबाव बनाएंगे और मांग करेंगे कि इन तीन कानूनों को वापस लिया जाए और प्रस्तावित बिजली कानून को रोका जाए. आम तौर पर लोगों के बीच यह धारणा है कि इन कानूनों का विरोध केवल पंजाब और हरियाणा में है, लेकिन किसान नेताओं का कहना है कि ऐसा प्रचारित कर किसानों को अलग थलग करने का प्रयास किया जा रहा है.

ईटीवी भारत से बीतचीत में वीएम सिंह ने कहा कि देश के हर राज्य में विरोध हो रहा है और अब जब AIKSCC के साथ 150 से ज्यादा संगठन और जुड़ गए हैं, तो उनके विरोध की ताकत बढ़ेगी.

सरकार लगातार यही कह रही है कि कृषि सुधार कानूनों का विरोध करने वाले लोग किसान नहीं हैं, बल्कि बिचौलिये हैं. किसान नेताओं का कहना है कि ऐसा कह कर सरकार के मंत्री भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं.

पढ़ें-किसान कानून के विरोध में किसान महासंघ ने मुख्यमंत्रियों को लिखा पत्र

किसान संगठनों ने पंजाब में केंद्र सरकार द्वारा माल गाड़ियों के संचालन को रोके जाने का भी विरोध किया है. उनका आरोप है कि सरकार जनता को ब्लैकमेल करने का प्रयास कर रही है और किसानों के आंदोलन को कमजोर करना चाहती है.

वीएम सिंह ने कहा कि उनका विरोध बिल्कुल भी राजनीतिक नहीं है. किसान आज इस बात को समझ रहा है कि यह कानून उनके फायदे के लिए नहीं लाए गए हैं. आज गुरुद्वारा रकाब गंज में हुई बैठक में देश के लगभग सभी राज्यों से किसान नेता मौजूद थे और सबने कृषि कानून के विरोध में आंदोलन को आगे बढ़ाने का समर्थन किया है.

बढ़ते विरोध के साथ सरकार पर दबाव बनना लाजमी है. आरएसएस से सम्बद्ध भारतीय किसान संघ ने भी स्पष्ट कहा है कि यह कानून किसान के लिए नहीं, बल्कि व्यापारियों के लिए लाए गए हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में मोदी सरकार को किसानों के बड़े आंदोलन का सामना करना पड़ेगा.

Last Updated : Oct 27, 2020, 8:55 PM IST
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