नई दिल्ली : एम्स में कामकाज की हालत को लेकर नर्स यूनियन का प्रदर्शन बुधवार को लगातार तीसरे दिन भी जारी रहा. दिल्ली के प्रमुख अस्पतालों में से एक एम्स अब तक 47 नर्सों समेत 329 कर्मी कोविड-19 से संक्रमित पाए जा चुके हैं.
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया को लिखे पत्र में नर्स यूनियन ने अस्पताल के कोविड-19 क्षेत्रों में व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों के साथ चार घंटे की समान पाली, कोविड-19 और गैर कोविड-19 क्षेत्रों के बीच समान रोटेशन नीति लागू करने समेत कई मांगे रखी हैं.
यूनियन के अध्यक्ष हरीश काजला ने कहा कि छह घंटे और अक्सर सात से आठ घंटे काम करना पड़ता है. व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) पहनने और उतारने से विशेषकर महिला कर्मियों की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है.
उन्होंने कहा, 'हमारे कई कर्मचारी शरीर पर चकत्ते और मूत्राशय में संक्रमण जैसी स्वास्थ्य जटिलताओं का सामना कर रहे हैं, जबकि कई अन्य का वजन कम हुआ है.'
काजला ने कहा, 'महिलाओं को मासिक धर्म से संबंधित समस्याएं हो रही हैं क्योंकि वे पीपीई के साथ सेनेटरी पैड नहीं बदल सकती हैं, न ही वॉशरूम जा सकती हैं. एक बार जब आप पीपीई पहन लेते हैं तो इसे उतारना मुश्किल होता है. लिहाजा हमें ड्यूटी पर वयस्क डायपर पहनने पड़ते हैं, जोकि बहुत असहज होते हैं. सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के कारण हमें तेजी से संक्रमण की चपेट में आने का खतरा होता है.'
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गौरतलब है कि एम्स में एक फरवरी से अबतक फैकल्टी सदस्यों, रेजिडेंट डॉक्टरों और नर्सों समेत 329 कर्मी कोविड-19 से संक्रमित पाए जा चुके हैं. इनमें से तीन की मौत हो चुकी है.