नई दिल्ली: मेडिकल फील्ड को नियंत्रित और नियमित करने के लिए इंडियन सिविल सर्विस की तर्ज पर इंडियन मेडिकल सर्विस की मांग मेडिकल प्रोफेशनल्स ने तेज कर दी है. अब इनकी मांग का समर्थन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने भी किया है. आईएमए ने इंडियन मेडिकल सर्विस की सख्त जरूरत बताते हुए इसकी वकालत की है.
इंडियन मेडिकल सर्विस में वही अधिकारी होंगे जो इस फील्ड को अच्छी तरीके से जानते होंगे. वह अच्छे नीति निर्माता हो सकते हैं, लेकिन गैर प्रोफेशनल व्यक्ति जब एडमिनिस्ट्रेशन में आते हैं तो फिर कन्फ्यूजन पैदा होती है और मेडिकल प्रोफेशनल को उनके तहत काम करने में परेशानी होती है. इन्हीं सब परेशानियों को लेकर एम्स के डॉक्टर्स ने इंडियन मेडिकल सर्विस (आईएमएस) की मांग तेज कर दी है. इनकी मांग को इंडियन मेडिकल सर्विस ने भी अपना समर्थन दिया है.
एम्स के कार्डियो रेडियो डिपार्टमेंट के असिस्टेन्ट प्रोफेसर डॉ अमरिंदर सिंह ने बताया कि जिस तरीके से आईएएस, आईपीएस एक निर्धारित सिस्टम के तहत काम करते हैं. उस तरीके से हेल्थ सिस्टम काम नहीं कर पा रहा है, क्योंकि हेल्थ सिस्टम को चलाने के लिए एडमिनिस्ट्रेशन की आवश्यकता होती है. इस सिस्टम में जो लोग भी होते हैं वो नॉन मेडिकल फील्ड के होते हैं, जिन्हें हेल्थ सिस्टम में काम करने का अनुभव नहीं होता है. कन्फ्यूजन यहीं पैदा होती है. अगर एडमिनिस्ट्रेशन में कोई डॉक्टर होगा तो वह दूसरे डॉक्टर की समस्या और दुख तकलीफों को अच्छी तरीके से समझ सकता है. जब तक ऐसा नहीं होगा तब तक यह सिस्टम ठीक से काम नहीं कर सकता है.
डॉ अमरिंदर ने बताया कि अभी जैसे कोरोना का इंफेक्शन बहुत तेजी से फैल रहा है. आखिर हम इस पर कंट्रोल क्यों नहीं पाए? इसके लिए कहीं ना कहीं एडमिनिस्ट्रेशन जिम्मेदार है. जिनके पास फैसले लेने का अधिकार है. ऐसा तब हुआ जब सबसे पहले हमने लॉकडाउन किया. इसके बावजूद भारत दुनिया में सबसे तेजी से कोरोना फैलने वाला देश बन गया है. आज हमारे देश में 9 लाख कोरोना पॉजिटिव के मामले हो गए हैं. आखिर गलती कहां और किससे हुई जिसकी वजह से कोरोना महामारी को हम नियंत्रित नहीं कर पाए ?
'दूसरे देशों ने अच्छे प्रोफेशनल की मदद से कोरोना पर पाया काबू'
डॉ अमरिंदर ने बताया कि दक्षिण कोरिया ने बहुत बेहतरीन तरीके से कोरोना से निपटा. सबसे पहले कोरोना के बढ़ते मामले को रणनीति के साथ कम करने में सफलता पाई. बड़ी संख्या में लोगों को मास्क बांटे गए और इन्फेक्शन की गंभीरता के आधार पर सभी मरीजों को अलग-अलग बांट दिया गया. फिर आसानी से कंट्रोल कर लिया गया कोरोना पर. न्यूजीलैंड में आज एक भी केस नहीं है. आखिर इन्होंने कोरोना के ऊपर कैसे कंट्रोल किया? जाहिर सी बात है जहां पर उनकी हेल्थ सिस्टम के एडमिनिस्ट्रेशन में मेडिकल फील्ड से जुड़े हुए ऑफिसर हैं, जो हेल्थ सिस्टम के कामकाज को अच्छी तरीके से जानते हैं. इसीलिए भारतीय हेल्थ सिस्टम को पूरे बदलने की जरूरत है. इसके लिए बहुत जरूरी है इंडियन मेडिकल सर्विस को लागू करना. अब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी इंडियन हेल्थ सर्विस की वकालत कर दी है.
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'डॉक्टर्स के साथ होती है मारपीट'
डॉ सिंह के मुताबिक डॉक्टर के खिलाफ अस्पतालों में मारपीट के काफी मामले सामने आते हैं. इलाज में कुछ गड़बड़ी हुई नहीं या किसी मरीज की मौत हुई नहीं कि उनके ऊपर हमले शुरू हो जाते हैं. अगर इंडियन मेडिकल सर्विस का डर होता तो इस तरह की नौबत आती ही नहीं. प्राइमरी हेल्थ केयर सिस्टम लगभग चौपट हो गया है.
भारत में हेल्थ के ऊपर खर्च करने के लिए जीडीपी का एक फीसदी हिस्सा ही खर्च किया जाता है. कम से कम 4 फीसदी जीडीपी का हेल्थ सिस्टम पर खर्च होना चाहिए. जब तक यह सारी चीजें पूरी नहीं होगी हमारा हेल्थ सिस्टम पूरा ठीक नहीं हो पाएगा. हम प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से अपील करते हैं की जैसे ही कोरोना की महामारी खत्म हो वैसे ही इंडियन मेडिकल सर्विस को लागू कर दिया जाना चाहिए.