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जब 29 साल बाद केरल में मिली खोई हुई मां, फिर थम नहीं पाए खुशी के आंसू - ईटीवी भारत न्यूज

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले की रहने वाली एक महिला, जो कि 29 साल पहले घर से लापता हो गई थी, अब केरल के त्रिसूर जिले से मिली. उनके मिल जाने से परिवार वालों की खुशी का ठिकाना नहीं है.

अपने बच्चों के साथ केजाबाई पटेल.
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Published : Aug 29, 2019, 3:41 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 6:03 PM IST

राजनांदगांव: जीवन में सभी को मां एक बार ही मिलती है, लेकिन राजनांदगांव जिले के बिजेतला गांव के पटेल परिवार के भाइयों को जीवन में मां दो बार मिली. एक बार पहले और दूसरी बार 29 साल बाद. जी हां, ये कहानी शायद आपको थोड़ी फिल्मी लगे, लेकिन सौ प्रतिशत सच है.

देखें वीडियो.
  • जिले के घुमका थाने क्षेत्र के गांव बिजेतला में आज से करीब 29 साल पहले 35 साल की केजाबाई पटेल अपने मानसिक संतुलन ठीक नहीं होने की वजह से घर से लापता हो गई थीं.
  • परिजनों ने काफी तलाश की, दिन महीनों में बीते और महीने साल में, लेकिन दो बेटों और तीन बेटियों की मां का कहीं पता न चला.
  • दो-तीन साल की तलाश के बाद धीरे-धीरे परिवारवालों ने उसके वापस लौटने की उम्मीद भी छोड़ दी
  • पांच बच्चों वाले इस भरे-पूरे परिवार से मां का साया ही उठ गया और वो मां की याद में रोने लगते थे, लेकिन धीरे-धीरे वक्त के साथ बच्चों के आंसू भी सूख गए. समय बीतता गया सभी बच्चे बड़े हो गए.
  • फिर 29 साल बाद कुछ ऐसा हुआ, जिसका यकीन करना आसान नहीं था. जब परिवार को 29 साल बाद मां के जिंदा होने की खबर मिली, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

केरल से मिली केजाबाई

  • बीते 15 दिन पहले राजनांदगांव पुलिस को केरल राज्य के त्रिसूर जिला पुलिस से सूचना मिली कि राजनांदगांव की एक महिला केरल में है, जो स्वयं को राजनांदगांव जिले के घूमका क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम बिजेतला का होना बता रही है. राजनांदगांव पुलिस ने इस पते की तस्दीक की, तो पुलिस को मालूम चला कि लगभग 29 साल पहले पटेल परिवार से उनकी मां केजाबाई मानसिक बीमारी के चलते घर से निकल गई थीं. पटेल परिवार के सदस्यों को पुलिस ने जानकारी दी कि, उनकी मां केजाबाई केरल के त्रिसूर जिला के मायानूर में है.
  • इसके बाद पुलिस ने राजनांदगांव के कोतवाली थाने में पदस्थ पुलिसकर्मियों को उक्त परिवार के साथ केरल के लिए रवाना किया. ये पुलिसकर्मी वहां के परिवेश से काफी वाकिफ थे और वहां की स्थानीय भाषा भी जानते थे. पटेल परिवार के साथ वे लगभग 10 दिनों तक त्रिसूर में रहकर सारी कानूनी प्रक्रियाओं को पूरी कर केजाबाई को लेकर राजनंदगांव पहुंचे.

29 साल में केजाबाई ने जमा किए एक लाख रुपए

  • लगभग 29 साल पहले 35 वर्षीया केजाबाई खाली हाथ अपने घर से निकल कर केरल जा पहुंची थी. जहां उनकी मानसिक हालत को देखते हुए लोगों ने उन्हे भिक्षा देनी शुरू कर दिया. लोगों के मिलने वाले दान से केजाबाई का गुजर-बसर होने लगा.
  • लगभग 3 साल पहले केजाबाई बीमार होने पर लोगों की मदद से अस्पताल पहुंची, जहां डॉक्टरों ने उनका इलाज करना शुरू किया.
  • इसके बाद केजाबाई के पास एक गठरी मिली, जिसमें लोगों के दिए हुए पैसे मिले, जो 29 साल में 1 लाख 11 हजार 7 सौ 33 रुपये हो चुके थे.
  • इसके बाद इस गठरी के रुपए को केरल पुलिस ने न्यायालय के सामने पेश किया.

पुलिस ने उठाया केजबाई को लाने का बीड़ा
3 साल तक केजाबाई का त्रिसूर में उपचार चलता रहा और उनकी मानसिक स्थिति ठीक होती गई. याददाश्त लौटने पर केजाबाई ने अपने आप को घर से दूर पाया और घरवालों की चिंता में उसने अपनी बीती जिंदगी को याद कर अपने घर का पता पुलिस को बताया. केरल पुलिस ने राजनांदगांव पुलिस से संपर्क किया और बिना FIR और गुम इंसान दर्ज हुए ही राजनांदगांव पुलिस ने मानवता दिखाते हुए केजाबाई को केरल से लाने का इंतजाम कराया.

न्यायालय के आदेश के बाद दे दिए गए जमा पैसे
त्रिसूर में केजाबाई को मातृ सदन ने आश्रय मिला था. 29 साल पहले अपने बच्चों से बिछड़ी केजाबाई आज 65 साल की हो गई हैं. आज दोनों राज्यों की पुलिस की मानवता की वजह से वह अपने बच्चों के बीच लौटी हैं. बचपन में खोयी हुई मां इन बच्चों को युवावस्था में दोबारा मिली. वहीं केरल में न्यायालय के आदेश के बाद केजाबाई के जमा किए हुए 1 लाख 11 हजार 7 सौ 33 रुपये भी उसे लौटा दिए गए हैं. केजाबाई को लेने पूरा परिवार रात में राजनांदगांव एसपी कार्यालय पहुंचा, जहां अपनी मां के साथ उन्होंने फोटो भी खिंचवायी और घर रवाना हुए.

पढ़ें: तमिलनाडु: NIA ने की पांच जगहों पर छापेमारी, जब्त किए लैपटॉप, मोबाइल

बात पते की यह है कि दुनिया में आज भी मानवता जिंदा है. लापता और बेसहारा और विक्षिप्त हुए लोगों की भी समाजसेवी संस्थाओं को फिक्र है. वहीं पुलिस का चेहरा हमेशा निगेटिव ही नहीं पॉजिटिव भी होता है.

राजनांदगांव: जीवन में सभी को मां एक बार ही मिलती है, लेकिन राजनांदगांव जिले के बिजेतला गांव के पटेल परिवार के भाइयों को जीवन में मां दो बार मिली. एक बार पहले और दूसरी बार 29 साल बाद. जी हां, ये कहानी शायद आपको थोड़ी फिल्मी लगे, लेकिन सौ प्रतिशत सच है.

देखें वीडियो.
  • जिले के घुमका थाने क्षेत्र के गांव बिजेतला में आज से करीब 29 साल पहले 35 साल की केजाबाई पटेल अपने मानसिक संतुलन ठीक नहीं होने की वजह से घर से लापता हो गई थीं.
  • परिजनों ने काफी तलाश की, दिन महीनों में बीते और महीने साल में, लेकिन दो बेटों और तीन बेटियों की मां का कहीं पता न चला.
  • दो-तीन साल की तलाश के बाद धीरे-धीरे परिवारवालों ने उसके वापस लौटने की उम्मीद भी छोड़ दी
  • पांच बच्चों वाले इस भरे-पूरे परिवार से मां का साया ही उठ गया और वो मां की याद में रोने लगते थे, लेकिन धीरे-धीरे वक्त के साथ बच्चों के आंसू भी सूख गए. समय बीतता गया सभी बच्चे बड़े हो गए.
  • फिर 29 साल बाद कुछ ऐसा हुआ, जिसका यकीन करना आसान नहीं था. जब परिवार को 29 साल बाद मां के जिंदा होने की खबर मिली, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

केरल से मिली केजाबाई

  • बीते 15 दिन पहले राजनांदगांव पुलिस को केरल राज्य के त्रिसूर जिला पुलिस से सूचना मिली कि राजनांदगांव की एक महिला केरल में है, जो स्वयं को राजनांदगांव जिले के घूमका क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम बिजेतला का होना बता रही है. राजनांदगांव पुलिस ने इस पते की तस्दीक की, तो पुलिस को मालूम चला कि लगभग 29 साल पहले पटेल परिवार से उनकी मां केजाबाई मानसिक बीमारी के चलते घर से निकल गई थीं. पटेल परिवार के सदस्यों को पुलिस ने जानकारी दी कि, उनकी मां केजाबाई केरल के त्रिसूर जिला के मायानूर में है.
  • इसके बाद पुलिस ने राजनांदगांव के कोतवाली थाने में पदस्थ पुलिसकर्मियों को उक्त परिवार के साथ केरल के लिए रवाना किया. ये पुलिसकर्मी वहां के परिवेश से काफी वाकिफ थे और वहां की स्थानीय भाषा भी जानते थे. पटेल परिवार के साथ वे लगभग 10 दिनों तक त्रिसूर में रहकर सारी कानूनी प्रक्रियाओं को पूरी कर केजाबाई को लेकर राजनंदगांव पहुंचे.

29 साल में केजाबाई ने जमा किए एक लाख रुपए

  • लगभग 29 साल पहले 35 वर्षीया केजाबाई खाली हाथ अपने घर से निकल कर केरल जा पहुंची थी. जहां उनकी मानसिक हालत को देखते हुए लोगों ने उन्हे भिक्षा देनी शुरू कर दिया. लोगों के मिलने वाले दान से केजाबाई का गुजर-बसर होने लगा.
  • लगभग 3 साल पहले केजाबाई बीमार होने पर लोगों की मदद से अस्पताल पहुंची, जहां डॉक्टरों ने उनका इलाज करना शुरू किया.
  • इसके बाद केजाबाई के पास एक गठरी मिली, जिसमें लोगों के दिए हुए पैसे मिले, जो 29 साल में 1 लाख 11 हजार 7 सौ 33 रुपये हो चुके थे.
  • इसके बाद इस गठरी के रुपए को केरल पुलिस ने न्यायालय के सामने पेश किया.

पुलिस ने उठाया केजबाई को लाने का बीड़ा
3 साल तक केजाबाई का त्रिसूर में उपचार चलता रहा और उनकी मानसिक स्थिति ठीक होती गई. याददाश्त लौटने पर केजाबाई ने अपने आप को घर से दूर पाया और घरवालों की चिंता में उसने अपनी बीती जिंदगी को याद कर अपने घर का पता पुलिस को बताया. केरल पुलिस ने राजनांदगांव पुलिस से संपर्क किया और बिना FIR और गुम इंसान दर्ज हुए ही राजनांदगांव पुलिस ने मानवता दिखाते हुए केजाबाई को केरल से लाने का इंतजाम कराया.

न्यायालय के आदेश के बाद दे दिए गए जमा पैसे
त्रिसूर में केजाबाई को मातृ सदन ने आश्रय मिला था. 29 साल पहले अपने बच्चों से बिछड़ी केजाबाई आज 65 साल की हो गई हैं. आज दोनों राज्यों की पुलिस की मानवता की वजह से वह अपने बच्चों के बीच लौटी हैं. बचपन में खोयी हुई मां इन बच्चों को युवावस्था में दोबारा मिली. वहीं केरल में न्यायालय के आदेश के बाद केजाबाई के जमा किए हुए 1 लाख 11 हजार 7 सौ 33 रुपये भी उसे लौटा दिए गए हैं. केजाबाई को लेने पूरा परिवार रात में राजनांदगांव एसपी कार्यालय पहुंचा, जहां अपनी मां के साथ उन्होंने फोटो भी खिंचवायी और घर रवाना हुए.

पढ़ें: तमिलनाडु: NIA ने की पांच जगहों पर छापेमारी, जब्त किए लैपटॉप, मोबाइल

बात पते की यह है कि दुनिया में आज भी मानवता जिंदा है. लापता और बेसहारा और विक्षिप्त हुए लोगों की भी समाजसेवी संस्थाओं को फिक्र है. वहीं पुलिस का चेहरा हमेशा निगेटिव ही नहीं पॉजिटिव भी होता है.

Intro:राजनांदगांव. जीवन में मां एक बार ही मिलती है , लेकिन राजनांदगांव जिले के बिजेतला के पटेल परिवार के भाइयों को जीवन में मां दो बार मिली! लेकिन 29 साल बाद!

राजनांदगांव जिले के घुमका थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम बिजेतला में आज से लगभग 29 वर्ष पूर्व 35 वर्षीया केजा बाई पटेल अपने मानसिक संतुलन ठीक नहीं होने के चलते घर से निकल गई। परिजनों ने काफी तलाश की , दिन महीनों में बीते और महीने साल में , लेकिन केजा बाई का कहीं पता नहीं चला। दो-तीन साल की तलाश के बाद परिजनों ने उसके वापस लौटने की उम्मीद भी छोड़ दी। इस परिवार के दो लड़के और तीन लड़कियों के सिर से मां का साया काफी दूर जा चुका था। बच्चे मां की याद में रोने लगते थे। धीरे-धीरे बच्चों के आंसू भी सूख गए। वक्त बीतता गया और बच्चे बड़े हो गए। फिर 29 साल बाद कुछ ऐसा हुआ कि इस परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, क्योंकि 29 साल बाद मां के जीवित होने की खबर आई और वे खुशी से झूम उठे।

बाइट- केजा बाई के पुत्र और पुत्री

Body:बीते लगभग 15 दिन पूर्व राजनांदगांव पुलिस को केरल राज्य के त्रिसूर जिला पुलिस से सूचना मिली कि राजनांदगांव की एक महिला केरल में है जो स्वयं को राजनांदगांव जिले के घूमका क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम बिजेतला का होना बता रही है। राजनांदगांव पुलिस ने इस पते की तस्दीक की तो पुलिस को मालूम हुआ कि लगभग 29 साल पहले पटेल परिवार से उनकी मां केजा बाई मानसिक बीमारी के चलते घर से निकल गई थी । पटेल परिवार के सदस्यों को पुलिस ने जानकारी दी कि उनकी मां केजा बाई केरल के त्रिसूर जिला के मायानूर में है। इसके बाद पुलिस ने राजनांदगांव शहर के कोतवाली थाने में पदस्थ पुलिसकर्मियों को उक्त परिवार के साथ केरल के लिए रवाना किया । यह पुलिसकर्मी वहां की परिवेश से काफी वाकिफ थे और वहां की स्थानीय भाषा भी जानते थे। पटेल परिवार के साथ वे लगभग 10 दिनों तक त्रिसूर जिला में रहकर सारी कानूनी प्रक्रियाओं को पूरी करते रहे और इसके बाद वे केजा बाई को लेकर वे राजनंदगांव पहुंचे।
बाईट- प्रकाश नायक कॉन्स्टेबल

लगभग 29 साल पहले 35 वर्षीया केजा बाई अपने घर से निकल कर केरल जा पहुंची थी। जहां उसकी मानसिक हालत को देखते हुए लोगों ने उसे भिक्षा देनी शुरू कर दी। लोगों से मिलने वाले दान से केजा बाई का गुजर-बसर होने लगा। लगभग 3 वर्ष पूर्व तेजा भाई के बीमार होने पर लोगों की मदद से वह अस्पताल तक पहुंची। जहां उसका डॉक्टरों ने ईलाज करना शुरू किया। इसके बाद केजा बाई के पास मिली गठरी से लोगों के द्वारा दिए जाने वाले रुपए मिले । जो इस 29 वर्ष में 1 लाख 11 हजार 7 सौ 33 रूपये हो चुके थे। इसके बाद इस गठरी के रुपए को केरल पुलिस ने न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया और न्यायालय के आदेश पर इन रूपयों को जमा रख दिया। 3 वर्ष तक केजा बाई का उपचार चलता रहा और उसकी मानसिक स्थिति ठीक होती गई। याददाश्त लौटने पर केजा बाई ने अपने आप को घर से दूर पाया और घरवालों की चिंता में उसने अपने बीती जिंदगी को याद करते हुए अपने घर का पता पुलिस को बताया। इसके बाद केरल पुलिस ने राजनांदगांव पुलिस से संपर्क किया, बिना एफआईआर और गुम इंसान दर्ज हुए भी राजनंदगांव पुलिस ने मानवता दिखाते हुए केजा बाई को केरल से लाने का इंतजाम करवाया।
बाइट- यूबी एस चौहान, एडिशनल एसपी राजनंदगांव। Conclusion: लगभग 3 वर्षों से केरल के त्रिसूर जिला में केजा बाई को मातृ सदन ने आश्रय मिला हुआ था। 29 साल पहले अपने बच्चों से बिछडी़ केजा बाई आज 65 साल की हो चुकी है। आज दोनों राज्यों की पुलिस की मानवता की वजह से वह अपने बच्चों के बीच लौट चुकी है और बचपन में खोई हुई मां इन बच्चों को युवावस्था में दोबारा मिली। जिससे केजा बाई का परिवार मां के अपनी जिंदगी में दोबारा आने का स्वागत कर रहा है । वहीं केरल में न्यायालय के आदेश के बाद केजा बाई के जमा किए हुए 1 लाख 11 हजार 7 सौ 33 रूपये भी उसे लौटा दिए गए हैं। केजा बाई को लेने पूरा परिवार रात में राजनांदगांव पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचा था , जहां अपनी मां के साथ उन्होंने फोटो भी खिचाई और घर के लिए रवाना हुए । इस तरह से बरसों पहले बिछडी़ मां अपने बच्चों के जीवन में दोबारा लौट आई।
Last Updated : Sep 28, 2019, 6:03 PM IST
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