नई दिल्ली: राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सरकार को क्लीन चिट दे दी गई है. कोर्ट ने इस मामले से जुड़ी पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया. इस पर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने अपनी प्रतिक्रिया दी.
प्रशांत भूषण ने कहा कि जस्टिस जोसेफ ने डिटेल फैसला लिखा है. उनके अनुसार इस केस में एफआईआर दर्ज किए जाने के पर्याप्त आधार हैं. भूषण ने कहा कि जस्टिस जोसेफ ने लिखा है कि अगर सीबीआई को प्रारंभिक पूछताछ करनी हो, तो ऐसा होना चाहिए.
जजमेंट कुछ सूचनाओं पर आधारित है, जो सील कवर में कोर्ट को दिए गए. इसकी जानकारी याचिकाकर्ता को नहीं थी. ये नैसर्गिक न्याय के सिद्धान्त के खिलाफ है.
इसमें वह तथ्य भी शामिल था, कि पीएम ने 126 विमानों की खरीद का फैसला बदलकर 36 विमान खरीदने का फैसला लिया. प्रशांत भूषण ने बताया, मुख्य रूप से जस्टिस कौल ने फैसला लिखा है. उन्होंने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट राफेल सौदे के विस्तार में नहीं जा सकती, क्योंकि सरकार के शीर्ष अधिकारी इसमें शामिल रहे हैं.
प्रशांत भूषण ने कहा कि कई ऐसे तथ्य जो रिकॉर्ड पर लाए गए, जिससे सरकार की डिफेंस धराशायी हो गई. लेकिन, ललिता कुमारी के केस के आधार पर हमने एफआईआर की मांग की, जिसे खारिज कर दिया गया.
बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने राफेल लड़ाकू विमान सौदा मामले में नरेंद्र मोदी सरकार को बृहस्पतिवार को क्लीन चिट देते हुए कहा कि पुनर्विचार याचिकाएं सुनवायी योग्य नहीं हैं.
न्यायालय ने अपने 14 दिसंबर 2018 के फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग वाली याचिकाओं केा खारिज कर दिया. 14 दिसंबर के फैसले में कहा गया था कि 36 राफेल लड़ाकू विमानों को खरीदने में निर्णय निर्धारण की प्रक्रिया पर संदेह करने की कोई बात नहीं है.
उच्चतम न्यायालय ने इस दलील को खारिज कर दिया कि इस सौदे के संबंध में प्राथमिकी दर्ज करने की आवश्यकता है. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, 'हमने पाया कि पुनर्विचार याचिकाएं सुनवायी योग्य नहीं हैं.'
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पीठ में न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ भी शामिल थे.