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अद्भुत हिमाचल : इस अनूठे मंदिर में शिव दर्शन को उमड़ते हैं श्रद्धालु

ईटीवी भारत की खास सीरीज 'अद्भुत हिमाचल' में हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में जहां आकर भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं. इस मंदिर का नाम है जटोली शिव मंदिर.

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जटोली शिव मंदिर.
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Published : Jan 3, 2020, 5:33 PM IST

Updated : Jan 3, 2020, 6:21 PM IST

सोलन: हिमाचल प्रदेश में वैसे तो भगवान शिव के बहुत मंदिर हैं और सब मंदिरों का अपना-अपना महत्व भी है. इन्हीं में एक है सोलन से करीब सात किलोमीटर की दूरी पर जटोली शिव मंदिर स्थित है. दक्षिण-द्रविड़ शैली में बने इस मंदिर को बनने में करीब 39 साल का समय लगे थे. शिव भक्तों में इस मंदिर को लेकर गहरी आस्था देखने को मिलती है. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए आते हैं.

मंदिर परिसर में दाईं ओर भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित है. इसके 200 मीटर की दूरी पर शिवलिंग है. मंदिर का गुंबद 111 फीट ऊंचा है, जिसके कारण इसे एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है. मंदिर के ऊपर 11 फीट ऊंचे स्वर्ण कलश की स्थापना भी की गई है, जिस कारण अब इसकी ऊंचाई 122 फीट आंकी जाती है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

जटोली शिव मंदिर की मान्यताएं

सोलन शहर से करीब सात किलोमीटर की दूरी पर स्थित जटोली मंदिर के पीछे मान्यता है कि पौराणिक समय में भगवान शिव यहां आए और कुछ समय यहां रहे थे. 1974 में इस मंदिर की आधारशिला स्वामी कृष्णानंद परमहंस महाराज ने की थी. इसके बाद से यहां पर मंदिर का कार्य निरंतर चलता आ रहा है.

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सोलन जिले में स्थित भव्य शिव मंदिर.

वर्ष 1983 में जब स्वामी जी ने समाधि ले ली तब इसका कार्य मंदिर प्रबंधन कमेटी देखने लगी. उनके मार्गदर्शन और दिशा-निर्देश पर ही जटोली शिव मंदिर का निर्माण शुरू हुआ. मंदिर के कोने में स्वामी कृष्णानंद की गुफा भी है. खास बात यह है कि करोड़ों रुपये की लागत से बने इस मंदिर का निर्माण जनता के दिए गए पैसों से हुआ है. यहीं वजह है कि मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने में ही तीन दशक से भी अधिक का समय लग गया.

मंदिर देश की दक्षिण शैली के आधार पर बनाया गया है. मंदिर में कला और संस्कृति का अनूठा संगम भी देखने को मिलता है. मंदिर की ऊंचाई 111 फीट है और भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार यह मंदिर एशिया के सबसे ऊंचे मंदिरों में शामिल है.

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स्वामी कृष्णानंद परमहंस महाराज.

मंदिर के चारों तरफ विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गई हैं, जबकि मंदिर के अंदर स्फटिक मणि शिवलिंग की स्थापना के साथ भगवान शिव व पार्वती मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं. मंदिर के बिल्कुल ऊपरी छोर पर 11 फीट ऊंचे विशाल सोने के कलश की स्थापना की गई है.

आज भी मौजूद है चमत्कारी पानी का कुंड

कहा जाता है कि सोलन के लोगों को पानी की समस्या से जुझना पड़ा था. जिस देखते हुए स्वामी कृष्णानंद परमहंस ने भगवान शिव की घोर तपस्या की और त्रिशूल के प्रहार से जमीन से पानी निकाला. तब से लेकर आज तक जटोली में पानी की समस्या नहीं है. लोग इस पानी को चमत्कारी मानते हैं. मान्यता है कि इस जल में किसी भी बीमारी को ठीक करने के गुण हैं.

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जटोली शिव मंदिर.

मंदिर के पुजारी भूपेन्द्र दत्त शास्त्री के अनुसार मंदिर में स्फटिक शिवलिंग मौजूद है. यह मंदिर आम शिवलिंग से अलग है, जो कि दुनिया के कुछ ही मंदिरों में पाया जाता है. शिवपुराण में पारद को शिव का वीर्य कहा गया है. पारद का शिव से साक्षात संबंध होने से इसका अपना अलग ही महत्व है.

ये भी पढ़ें- सोलन भारत का एकमात्र शहर, जिसने चखाया था देश को मशरूम का स्‍वाद

हर रविवार को भंडारे का किया जाता है आयोजन

पर्यटन की दृष्टि से भी जटोली शिव मंदिर दीन प्रतिदिन अग्रसर होता जा रहा है हर साल लाखों सैलानी दर्शन के लिए देश और दुनिया से मंदिर का रुख करते हैं. भक्तों की आस्था का प्रतीक होने के कारण जिस भी श्रद्धालु की मन्नत पूरी होती है वो मंदिर में भंडारे का आयोजन करवाता है. वहीं मंदिर कमेटी की ओर से हर इतवार को भंडारे का आयोजन पूरे साल किया जाता है.

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जटोली शिव मंदिर का मुख्य द्वार.

कैसे पहुंचे जटोली शिव मंदिर

सोलन से राजगढ़ रोड़ होते हुए जटोली मंदिर जाया जा सकता है. सड़क से 100 सीढ़ियां चढ़कर भोलेनाथ के दर्शन होते हैं. यहां बस, टैक्सी और ऑटो से पहुंचा जा सकता है.

सोलन: हिमाचल प्रदेश में वैसे तो भगवान शिव के बहुत मंदिर हैं और सब मंदिरों का अपना-अपना महत्व भी है. इन्हीं में एक है सोलन से करीब सात किलोमीटर की दूरी पर जटोली शिव मंदिर स्थित है. दक्षिण-द्रविड़ शैली में बने इस मंदिर को बनने में करीब 39 साल का समय लगे थे. शिव भक्तों में इस मंदिर को लेकर गहरी आस्था देखने को मिलती है. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए आते हैं.

मंदिर परिसर में दाईं ओर भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित है. इसके 200 मीटर की दूरी पर शिवलिंग है. मंदिर का गुंबद 111 फीट ऊंचा है, जिसके कारण इसे एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है. मंदिर के ऊपर 11 फीट ऊंचे स्वर्ण कलश की स्थापना भी की गई है, जिस कारण अब इसकी ऊंचाई 122 फीट आंकी जाती है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

जटोली शिव मंदिर की मान्यताएं

सोलन शहर से करीब सात किलोमीटर की दूरी पर स्थित जटोली मंदिर के पीछे मान्यता है कि पौराणिक समय में भगवान शिव यहां आए और कुछ समय यहां रहे थे. 1974 में इस मंदिर की आधारशिला स्वामी कृष्णानंद परमहंस महाराज ने की थी. इसके बाद से यहां पर मंदिर का कार्य निरंतर चलता आ रहा है.

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सोलन जिले में स्थित भव्य शिव मंदिर.

वर्ष 1983 में जब स्वामी जी ने समाधि ले ली तब इसका कार्य मंदिर प्रबंधन कमेटी देखने लगी. उनके मार्गदर्शन और दिशा-निर्देश पर ही जटोली शिव मंदिर का निर्माण शुरू हुआ. मंदिर के कोने में स्वामी कृष्णानंद की गुफा भी है. खास बात यह है कि करोड़ों रुपये की लागत से बने इस मंदिर का निर्माण जनता के दिए गए पैसों से हुआ है. यहीं वजह है कि मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने में ही तीन दशक से भी अधिक का समय लग गया.

मंदिर देश की दक्षिण शैली के आधार पर बनाया गया है. मंदिर में कला और संस्कृति का अनूठा संगम भी देखने को मिलता है. मंदिर की ऊंचाई 111 फीट है और भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार यह मंदिर एशिया के सबसे ऊंचे मंदिरों में शामिल है.

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स्वामी कृष्णानंद परमहंस महाराज.

मंदिर के चारों तरफ विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गई हैं, जबकि मंदिर के अंदर स्फटिक मणि शिवलिंग की स्थापना के साथ भगवान शिव व पार्वती मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं. मंदिर के बिल्कुल ऊपरी छोर पर 11 फीट ऊंचे विशाल सोने के कलश की स्थापना की गई है.

आज भी मौजूद है चमत्कारी पानी का कुंड

कहा जाता है कि सोलन के लोगों को पानी की समस्या से जुझना पड़ा था. जिस देखते हुए स्वामी कृष्णानंद परमहंस ने भगवान शिव की घोर तपस्या की और त्रिशूल के प्रहार से जमीन से पानी निकाला. तब से लेकर आज तक जटोली में पानी की समस्या नहीं है. लोग इस पानी को चमत्कारी मानते हैं. मान्यता है कि इस जल में किसी भी बीमारी को ठीक करने के गुण हैं.

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जटोली शिव मंदिर.

मंदिर के पुजारी भूपेन्द्र दत्त शास्त्री के अनुसार मंदिर में स्फटिक शिवलिंग मौजूद है. यह मंदिर आम शिवलिंग से अलग है, जो कि दुनिया के कुछ ही मंदिरों में पाया जाता है. शिवपुराण में पारद को शिव का वीर्य कहा गया है. पारद का शिव से साक्षात संबंध होने से इसका अपना अलग ही महत्व है.

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हर रविवार को भंडारे का किया जाता है आयोजन

पर्यटन की दृष्टि से भी जटोली शिव मंदिर दीन प्रतिदिन अग्रसर होता जा रहा है हर साल लाखों सैलानी दर्शन के लिए देश और दुनिया से मंदिर का रुख करते हैं. भक्तों की आस्था का प्रतीक होने के कारण जिस भी श्रद्धालु की मन्नत पूरी होती है वो मंदिर में भंडारे का आयोजन करवाता है. वहीं मंदिर कमेटी की ओर से हर इतवार को भंडारे का आयोजन पूरे साल किया जाता है.

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जटोली शिव मंदिर का मुख्य द्वार.

कैसे पहुंचे जटोली शिव मंदिर

सोलन से राजगढ़ रोड़ होते हुए जटोली मंदिर जाया जा सकता है. सड़क से 100 सीढ़ियां चढ़कर भोलेनाथ के दर्शन होते हैं. यहां बस, टैक्सी और ऑटो से पहुंचा जा सकता है.

Intro:एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर 111 फीट ऊंचाई वाले शिव मंदिर को बनाने में 39 सालों का समय लगा था हर साल शिवरात्रि के दिन यहां भंडारे का आयोजन किया जाता है हरिद्वार को यहां पर लोगों का तांता लगा रहता है


Body:चंडीगढ़ से 90 किलोमीटर की दूरी पर सोलन पहुंचने पर सोलन से राजगढ़ की तरफ जाने वाले रोड में 6 किलोमीटर की दूरी पर जिंदोली शिव मंदिर आता है यहां पर गाड़ी और बस के माध्यम से लोग आ जा सकते हैं


Conclusion:Nearest Airport.... Chandigarh
Nearest bus stand....Solan

Hotel.... Himani hotel solan
Paragon hotel solan
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Last Updated : Jan 3, 2020, 6:21 PM IST
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