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REALITY CHECK: दून के हर गली-मोहल्ले में आसानी से मिल जाती है 'झुलसाने' वाली बोतल

राजधानी देहरादून में एसिड की अवैध बिक्री को लेकर ईटीवी भारत ने रियलिटी चेक किया. इसके तहत हमारी टीम ने शहर के बाजारों में जाकर एसिड खदीरने की कोशिश की. इसके अलावा हमने अधिकारियों के दावों को परखने की भी कोशिश की.

reality check on acid illegal sale
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Published : Jan 28, 2020, 12:01 AM IST

Updated : Feb 28, 2020, 5:26 AM IST

देहरादून: बॉलीवुड फिल्म 'छपाक' के रिलीज होने के बाद एक बार पूरे देश में फिर से एसिड चर्चाओं में आ गया है. हर जगह इसकी बिक्री से लेकर और सर्वाइवरों के बारे में बात की जा रही है. बात अगर देवभूमि उत्तराखंड की करें तो यहां भी अब तक एसिड अटैक की 10 से 12 घटनाएं हो चुकी हैं.

ऐसे में प्रशासन लगातार अवैध रूप से एसिड बिक्री पर रोक लगाने के लाख दावे करता है, मगर इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आती है. प्रशासन के दावों को परखने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने राजधानी के पॉश इलाकों सहित कई बाजारों में एसिड की बिक्री का रियलिटी चेक किया. इसके लिए ईटीवी भारत ने शासन-प्रशासन के नीति-नियंताओं की नब्ज भी टटोली और जाना कि आखिर क्या देवभूमि में वाकई एसिड की अवैध बिक्री पर रोक लग पाई है या नहीं?

देहरादून में एसिड का रियलिटी चेक

एसिड की अवैध बिक्री को लेकर तमाम सरकारें समय-समय पर कई प्रावधान करती रहती हैं. उत्तराखंड में भी शासन-प्रशासन ने एसिड की अवैध बिक्री को रोकने के लिए कई नियम-कानून बनाए हैं. क्या हैं एसिड की अवैध बिक्री को रोकने के लिए बनाये गये कानून, आईये आपको हुक्मरानों की ही जुबानी सुनाते हैं.

इस बारे में सबसे पहले हमारी टीम ने देहरादून जिलापूर्ति अधिकारी जसवंत सिंह कंडारी से बात की. उन्होंने सबसे पहले वही बात बताई जो हर कोई अधिकारी कहता है. उन्होंने अपनी बात की शुरुआत में कहा अवैध रूप से तेजाब बेचना दंडनीय अपराध है. उन्होंने बताया कि करीब तीन साल पहले तेजाब बिक्री को लेकर नये प्रावधान तय किये गये थे, जिस हिसाब से लाइसेंस जारी किए गए थे.

पढ़ें-अवैध रूप से एसिड बेचने वालों पर दून पुलिस का 'अटैक', होगी सख्त कार्रवाई

तेजाब खरीदने और बेचने के नियमों पर बोलते हुए उन्होंने बताया कि एसिड खरीदने वाले के लिए आधार कार्ड के साथ ही उसके इस्तेमाल की वाजिब जानकारी देना जरूरी होता है. बिना इस जानकारी के एसिड खरीदना और बेचना अवैध माना जाता है. जसवंत सिंह ने बताया कि दुकानों में टॉयलेट क्लीनर के नाम से बेचा जाने वाला तरल भी एसिड ही होता है. जिसमें H2So4 मौजूद होता है. इससे किसी को भी नुकसान पहुंचाया जा सकता है. उन्होंने बताया टॉयलेट क्लीनर को बेचने के लिए दुकानदार को एक रजिस्टर बनाना होता है. जिसमें खरीदने वाले की जानकारी अंकित करनी होती है. ऐसा न करना अपराध की श्रेणी में आता है.

पढ़ें-उत्तराखंड: एक साल में बढ़े 1.5 लाख बिजली उपभोक्ता, फिर भी घाटे में विभाग

ये तो थी कार्यालयों में बैठे नीति-नियंताओ और अधिकारियों की बात. उनकी बातों की पुष्टि के लिए हमारी टीम ने देहरादून के बाजारों की ओर रुख करते हुए धरातलीय हकीकत को टटोलने की कोशिश की. इस हकीकत में जो भी निकलकर सामने आया वो वाकई में चौंकाने वाला था. हमारी टीम को तब बड़ा ताजुज्ब हुआ जब हमने अधिकारी से बात करने के बाद राजधानी के पॉश इलाके नेहरू कॉलोनी की एक किराने की दुकान में खुले तौर पर एसिड बिकते देखा. जब हमने दुकानदार से एसिड खरीदा तो उसने बिना झिझक बिना किसी जानकारी के मात्र 25₹ में ये सामान हमारे हाथों में थमा दिया. जब हमने दुकानदार से कहा कि वे ये एसिड खुले तौर पर कैसे बेच रहे हैं तो उन्होंने कहा ये मात्र एक टॉयलेट क्लीनर है, इससे किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचता.

विक्रेताओं के इस मासूम से जवाब ने बिना कहे ही अधिकारियों के दावे की पोल खोल दी. ऐसा सिर्फ एक या दो दुकानों में ही नहीं बल्कि हर दुकान पर यही सिनेरियो नजर आया, जोकि बहुत की चौंकाने वाला था. जिससे एक बार फिर साफ हो जाता है कि नियम और कानून बनाने वाले केवल एसी दफ्तरों तक ही सीमित हैं. उनके बनाये कानून कागजों में कहने को कड़े हो सकते हैं लेकिन धरातल पर ये कानून बिना जहर वाले सांप की तरह हैं. जिनसे किसी को भी कोई फर्क नहीं पड़ता.

पढ़ें-मसूरी और धनोल्टी में बर्फबारी, तस्वीरों में देखें नजारा

बहरहाल, ईटीवी भारत ने एसिड के रियलिटी चेक में पाया कि राजधानी देहरादून में मुख्य चौक चौराहों को छोड़ दें तो सभी गली-कॉलोनियों में किराने की दुकान पर बड़ी ही आसानी से कम दरों में एसिड मिल जाता है. जोकि अपने आप में बहुत ही बड़ी चिंता का विषय है. ये रियलिटी चेक सरकार और प्रशासन में बैठे उन अधिकारियों के लिए भी एक बड़ा सबक है जो आलीशान दफ्तरों में बैठकर बड़े-बड़े दावे करते हैं, मगर करते कुछ नहीं. एसिड जैसे मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए एक जिम्मेदार मीडिया संस्थान होने के नाते ईटीवी भारत ने बाजार में धड़ल्ले से बेचे जा रहे एसिड की सच्चाई को सबके सामने रखा. अब शासन-प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वो भी इसे गंभीरता से लेते हुए इस पर कार्रवाई करते हुए एक नजीर पेश करें.

देहरादून: बॉलीवुड फिल्म 'छपाक' के रिलीज होने के बाद एक बार पूरे देश में फिर से एसिड चर्चाओं में आ गया है. हर जगह इसकी बिक्री से लेकर और सर्वाइवरों के बारे में बात की जा रही है. बात अगर देवभूमि उत्तराखंड की करें तो यहां भी अब तक एसिड अटैक की 10 से 12 घटनाएं हो चुकी हैं.

ऐसे में प्रशासन लगातार अवैध रूप से एसिड बिक्री पर रोक लगाने के लाख दावे करता है, मगर इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आती है. प्रशासन के दावों को परखने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने राजधानी के पॉश इलाकों सहित कई बाजारों में एसिड की बिक्री का रियलिटी चेक किया. इसके लिए ईटीवी भारत ने शासन-प्रशासन के नीति-नियंताओं की नब्ज भी टटोली और जाना कि आखिर क्या देवभूमि में वाकई एसिड की अवैध बिक्री पर रोक लग पाई है या नहीं?

देहरादून में एसिड का रियलिटी चेक

एसिड की अवैध बिक्री को लेकर तमाम सरकारें समय-समय पर कई प्रावधान करती रहती हैं. उत्तराखंड में भी शासन-प्रशासन ने एसिड की अवैध बिक्री को रोकने के लिए कई नियम-कानून बनाए हैं. क्या हैं एसिड की अवैध बिक्री को रोकने के लिए बनाये गये कानून, आईये आपको हुक्मरानों की ही जुबानी सुनाते हैं.

इस बारे में सबसे पहले हमारी टीम ने देहरादून जिलापूर्ति अधिकारी जसवंत सिंह कंडारी से बात की. उन्होंने सबसे पहले वही बात बताई जो हर कोई अधिकारी कहता है. उन्होंने अपनी बात की शुरुआत में कहा अवैध रूप से तेजाब बेचना दंडनीय अपराध है. उन्होंने बताया कि करीब तीन साल पहले तेजाब बिक्री को लेकर नये प्रावधान तय किये गये थे, जिस हिसाब से लाइसेंस जारी किए गए थे.

पढ़ें-अवैध रूप से एसिड बेचने वालों पर दून पुलिस का 'अटैक', होगी सख्त कार्रवाई

तेजाब खरीदने और बेचने के नियमों पर बोलते हुए उन्होंने बताया कि एसिड खरीदने वाले के लिए आधार कार्ड के साथ ही उसके इस्तेमाल की वाजिब जानकारी देना जरूरी होता है. बिना इस जानकारी के एसिड खरीदना और बेचना अवैध माना जाता है. जसवंत सिंह ने बताया कि दुकानों में टॉयलेट क्लीनर के नाम से बेचा जाने वाला तरल भी एसिड ही होता है. जिसमें H2So4 मौजूद होता है. इससे किसी को भी नुकसान पहुंचाया जा सकता है. उन्होंने बताया टॉयलेट क्लीनर को बेचने के लिए दुकानदार को एक रजिस्टर बनाना होता है. जिसमें खरीदने वाले की जानकारी अंकित करनी होती है. ऐसा न करना अपराध की श्रेणी में आता है.

पढ़ें-उत्तराखंड: एक साल में बढ़े 1.5 लाख बिजली उपभोक्ता, फिर भी घाटे में विभाग

ये तो थी कार्यालयों में बैठे नीति-नियंताओ और अधिकारियों की बात. उनकी बातों की पुष्टि के लिए हमारी टीम ने देहरादून के बाजारों की ओर रुख करते हुए धरातलीय हकीकत को टटोलने की कोशिश की. इस हकीकत में जो भी निकलकर सामने आया वो वाकई में चौंकाने वाला था. हमारी टीम को तब बड़ा ताजुज्ब हुआ जब हमने अधिकारी से बात करने के बाद राजधानी के पॉश इलाके नेहरू कॉलोनी की एक किराने की दुकान में खुले तौर पर एसिड बिकते देखा. जब हमने दुकानदार से एसिड खरीदा तो उसने बिना झिझक बिना किसी जानकारी के मात्र 25₹ में ये सामान हमारे हाथों में थमा दिया. जब हमने दुकानदार से कहा कि वे ये एसिड खुले तौर पर कैसे बेच रहे हैं तो उन्होंने कहा ये मात्र एक टॉयलेट क्लीनर है, इससे किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचता.

विक्रेताओं के इस मासूम से जवाब ने बिना कहे ही अधिकारियों के दावे की पोल खोल दी. ऐसा सिर्फ एक या दो दुकानों में ही नहीं बल्कि हर दुकान पर यही सिनेरियो नजर आया, जोकि बहुत की चौंकाने वाला था. जिससे एक बार फिर साफ हो जाता है कि नियम और कानून बनाने वाले केवल एसी दफ्तरों तक ही सीमित हैं. उनके बनाये कानून कागजों में कहने को कड़े हो सकते हैं लेकिन धरातल पर ये कानून बिना जहर वाले सांप की तरह हैं. जिनसे किसी को भी कोई फर्क नहीं पड़ता.

पढ़ें-मसूरी और धनोल्टी में बर्फबारी, तस्वीरों में देखें नजारा

बहरहाल, ईटीवी भारत ने एसिड के रियलिटी चेक में पाया कि राजधानी देहरादून में मुख्य चौक चौराहों को छोड़ दें तो सभी गली-कॉलोनियों में किराने की दुकान पर बड़ी ही आसानी से कम दरों में एसिड मिल जाता है. जोकि अपने आप में बहुत ही बड़ी चिंता का विषय है. ये रियलिटी चेक सरकार और प्रशासन में बैठे उन अधिकारियों के लिए भी एक बड़ा सबक है जो आलीशान दफ्तरों में बैठकर बड़े-बड़े दावे करते हैं, मगर करते कुछ नहीं. एसिड जैसे मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए एक जिम्मेदार मीडिया संस्थान होने के नाते ईटीवी भारत ने बाजार में धड़ल्ले से बेचे जा रहे एसिड की सच्चाई को सबके सामने रखा. अब शासन-प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वो भी इसे गंभीरता से लेते हुए इस पर कार्रवाई करते हुए एक नजीर पेश करें.

Intro:Special Story--- Note- फीड FTP से (02_reality_check_on_acid_illegal_sale_pkg_7205800) नाम से है। एंकर- पूरे देश में इन दिनों एसिड अटैक को लेकर चर्चाएं जोरों पर है ऐसे में देवभूमि उत्तराखंड की बात करें तो उत्तराखंड में अब तक 10 से 12 घटनाएं एसिड अटैक की हो चुकी है तो वही एसिड पीड़ितों के साथ-साथ एसिड की अवैध बिक्री को लेकर भी शासन प्रशासन द्वारा लाख दावे किए जाते हैं। तो इन्हीं दावों की जमीनी हकीकत जानने ईटीवी भारत संवाददाता राजधानी के बाजार में निकले और जाना कि तेजाब की अवैध बिक्री पर कितना लगाम लग चुका है। देखिए एसिड बिक्री पर ईटीवी भारत का यह रियलटी चैक।


Body:वीओ- पूरे देश में तेजाब हमले की घटनाएं जवलंत मुद्दा है। इन घटनाओं बार बार यह भी सवाल उठता है कि आखिर बाजार में इस खतरनाक पदार्थ की उपलब्धता कैसे इतनी आसान है और कैसे किसी संकीर्ण मानसिकता वाले व्यक्ति को यह खतरनाक तरल पदार्थ आसानी से मई जाता है। तेजाब की अवैध बिक्री को लेकर समय-समय पर तमाम सरकारें कई प्रावधान करती है तो वही उत्तराखंड में बात करें तो शासन प्रशासन द्वारा तेजाब की अवैध बिक्री को लेकर कई नियम कानून बनाए गए हैं। आइए आपको हुक्मरानों से जुबान से ही सुनाते हैं कि तेजाब को लेकर शहर में किस तरह के कानून लागू है। यह है दावा--- देहरादून जिलापूर्ति अधिकारी जसवंत सिंह कंडारी के अनुसार तजब की अवैध बिक्री एक दंडनीय अपराध है और तेजाब पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। उन्होंने बताया कि करीब 3 साल पहले किसकी बिक्री को लेकर प्रावधान के तहत लाइसेंस जारी किए गए थे और नियम है कि बिना खरीदने वाले के आधार कार्ड और तेजाब के इस्तेमाल की जानकारी के बिना तेजाब बेचना अवैध माना जायेगा। इसके अलावा उन्हीने यह भी बताया कि दुकानों में टॉयलेट क्लिनर के नाम से बेचा जाने वाला तरल भी एसिड ही है जिसमे H2So4 मोजूद होता है और इससे भी नुकसान पहुंचाया जा सकता है। ये है हकीकत---- लेकिन इन सब बातों के उलट जब हम देहरादून शहर के बाजारों में गए तो वहां कुछ और ही मंजर देखने को मिला। बाजार में आसानी से हमें तेजाब के रूप में बाजार में तरल पदार्थ बाजार में किराने की दुकान में बिकता हुआ मिला। देहरादून के सबसे पॉश इलाके नेहरू कॉलोनी जहां सत्ता और हुकमाराम की नाक के नीचे किराने की दुकान पर तेजाब बिना किसी झिझक के दुकानदारों ने मात्र 25₹ में किसी की जिंदगी तबाह करने का यह समान हमारे हाथों में थमा दिया वो भी बिना यह जाने की हम इसका क्या करने वाले हैं। और जब हमारे द्वारा उन्हें ये बताया गया कि यह तेजाब किसी की जिंदगी तबाह कर सकता है तो तेजाब विक्रेता द्वारा दलील दी गयी कि यह केवल टॉयलेट क्लिनर है और इससे कोई नुकसान किसी को नही पहुंचाया जा सकता है। इन विक्रेताओं को इस बात से कोई लेना देना नही की यह तेजाब किसी के बाथरूम में सफाई के लिए इस्तेमाल होने जा रहा है या फिर किसी के चेहरे पर हमेशा हमेशा के लिए उसकी जिंदगी नरक करने के लिए जा रहा है। इस तेजाब की अवैध बिक्री करने वालो का यह कहना कि यह तेजाब बिल्कुल बेअसर है इससे किसी को नुकसान नही पहुंचाया जा सकता है इस दावे को भी हमने परखने की कोशिश की ओर इस सवाल को जिलापूर्ति अधिकारी जसवंत सिंह कंडारी से पूछा तो उन्होंने साफ साफ इस बात को बताया कि दुकानों पर बिकने वाला यह तरल वहीं तेजाब है जो कि किसी की भी जिंदगी को बर्बाद कर सकता है। उन्होए बताया कि इसमें सल्फ्यूरिक एसिड मोजूद है और यह शरीर को बुरे तरीके से नुकसान पहुंचा सकता है। उन्होंने बताया दुकानों पर इस टॉयलेट क्लिनर को बेचने के लिए दुकानदार को रजिस्टर बनाना होता है। खरीदने वाले कि जानकारी अंकित करनी होती है और खरीदने वाले का आधार कार्ड भी लेना होता है लेकिन हमारे रियलिटी चैक में ऐसा हमे कहीं नजर नही आया।


Conclusion: बरहाल उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में तेजाब की अवैध बिक्री की बात करें तो मुख्य चौक चौराहों को छोड़कर शहर के सभी गली कॉलोनीयों में मौजूद किराने की दुकानो पर तेजाब के नाम से बेचे जाने वाला यह तरल आपको आसानी से 20 से ₹25 में प्लास्टिक की बोतल में मिल जाएगा। जिससे साफ होता है कि चाहे देश में कितना ही हम एसिड अटैक की घटनाओं पर बहस कर ले लेकिन जमीन पर जाते-जाते हमारा सरकारी तंत्र घुटनों पर नजर आता है।
Last Updated : Feb 28, 2020, 5:26 AM IST
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