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असम NRC : शहीदों के परिवार और साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता होने पर भी सूची से नाम गायब

असम आंदोलन की पहली महिला शहीद बैजयंती देवी और उनके परिवार के सदस्योॆं को NRC अपग्रेड प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया है. इस मामले पर भारतीय गोरखा परिषद के राष्ट्रीय सचिव नंदति किराती देवान ने प्रतिक्रिया देते स्वतंत्रता सेनानियों और असम आंदोलन के शहीदों के परिवारों को एनआरसी से बाहर करना स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों का अपमान है. जानें पूरा मामला...

मीडिया से बात करते नंदति किराती देवान
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Published : Jul 1, 2019, 6:11 PM IST

Updated : Jul 1, 2019, 10:49 PM IST

गुवाहटी: साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता दुर्गा खतीवाड़ा, असम आंदोलन की पहली महिला शहीद बैजयंती देवी के परिवार के सदस्यों के साथ, नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) के पूर्ण मसौदे से बाहर रखा गया.

शहीद बैजयंती समेत साहित्य आकादमी विजेता को NRC में नहीं मिली जगह

बैजयंती देवी के साथ स्वतंत्रता सेनानी छबीलाल उपाध्याय की बड़ी पोती मंजू देवी को भी NRC अपग्रेड प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया है.

भारतीय गोरखा परिषद के राष्ट्रीय सचिव नंदति किराती देवान ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 'स्वतंत्रता सेनानियों और असम आंदोलन के शहीदों के परिवारों को एनआरसी से बाहर करके उनका अपमान किया गया है, यह न केवल गोरखाओं का अपमान है, बल्कि स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों का अपमान भी है.'

देवान ने कहा कि ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन ने अवैध प्रवासियों की पहचान और उन्हें वापस भेजने को लेकर 1979 से छह वर्षों तक असम आंदोलन चलाया था. इसी कारण 15 अगस्त 1985 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मौजूदगी में असम समझौता हुआ था.

उन्होंने कहा कि साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित और असम नेपाली साहित्य सभा के अध्यक्ष दुर्गा खतीवाड़ा का नाम 26 जून को NRC अधिकारियों द्वारा जारी की गई सूची से अलग कर दिया गया है.

देवान ने कहा है,' खेतीवाड़ा ने 1951 से अपने पिता की एनआरसी को विरासत के रूप में संभाल कर रखा है. हालांकि उनके परिवार के सभी सदस्यों के नाम एनआरसी में शामिल किए गए हैं, लेकिन उन्हें बाहर कर दिया गया.
भविष्य के कार्यों के बारे में पूछे जाने पर, देवान ने कहा कि हम नाम हटाने के कारणों का पता लगाने के लिए सक्षम अधिकारियों से प्रमाणित प्रतियां मांगी जाएंगी. इसके बाद मामले को अदालत में ले जाया जाएगा क्योंकि एनआरसी सुनवाई मामले में सर्वोच्च न्यायालय में भारतीय गोरखा परिषद पक्षकारों में से एक है.

वहीं, बैजयंती देवी के पिता अमर उपाध्याय ने कहा कि उनके पौत्र रोहिताक्ष और मिहिरन के नाम के साथ उनकी मां निर्मला देवी को भी एनआरसी सूची से बाहर कर दिया है.
उन्होंने कहा है कि तेजपुर से भी भारतीय गोरखा परिषद के संज्ञान में ऐसा ही एक और मामला आया है.जहां 'स्वतंत्रता सेनानी छोटेलाल उपाध्याय की बड़ी पोती मंजू देवी, जो असम में कांग्रेस पार्टी की संस्थापक थीं, को पैतृक वंश सिद्ध होने के बावजूद छोड़ दिया गया है.'

पढ़ें- NRC सूची से एक लाख लोगों को निकालना अन्याय, संसद में उठाएंगे मुद्दा: APCC अध्यक्ष

उन्होंने बताया कि मंजू को 2005 में 'डी' (संदिग्ध) मतदाता के रूप में चिह्नित किया गया था और इसीलिए उनके बेटे और बेटियों के साथ उनके नाम को एनआरसी सूची से बाहर कर दिया गया है. हालांकि मंजू देवी ने इस मामले पर एक आरटीआई दायर की,

जिसमें सोनितपुर के पुलिस अधीक्षक से एक मंजूरी प्रमाणपत्र प्राप्त किया और बिना किसी सकारात्मक परिणाम के इसकी प्रतिलिपि चुनाव विभाग को सौंप दी है.

इस मामले पर गोरखा परिषद के महासचिव ने प्रकाश दहल ने कहा कि यह असम आंदोलन पर एक धब्बा है क्योंकि इसमें पहली महिला शहीद के परिवार की राष्ट्रीयता को लेकर संदेह जताया गया है.

उन्होंने मांग की कि 'इस मुद्दे को अंतिम एनआरसी के प्रकाशन की अंतिम तिथि से पहले या उससे पहले हल किया जाना चाहिए.'

बता दें कि 20 शताब्दी से राज्य में लगातार बढ़ रहे अवैध प्रवासियों की पहचान करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एनआरसी अपडेशन का कार्य किया जा रहा है.

गुवाहटी: साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता दुर्गा खतीवाड़ा, असम आंदोलन की पहली महिला शहीद बैजयंती देवी के परिवार के सदस्यों के साथ, नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) के पूर्ण मसौदे से बाहर रखा गया.

शहीद बैजयंती समेत साहित्य आकादमी विजेता को NRC में नहीं मिली जगह

बैजयंती देवी के साथ स्वतंत्रता सेनानी छबीलाल उपाध्याय की बड़ी पोती मंजू देवी को भी NRC अपग्रेड प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया है.

भारतीय गोरखा परिषद के राष्ट्रीय सचिव नंदति किराती देवान ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 'स्वतंत्रता सेनानियों और असम आंदोलन के शहीदों के परिवारों को एनआरसी से बाहर करके उनका अपमान किया गया है, यह न केवल गोरखाओं का अपमान है, बल्कि स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों का अपमान भी है.'

देवान ने कहा कि ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन ने अवैध प्रवासियों की पहचान और उन्हें वापस भेजने को लेकर 1979 से छह वर्षों तक असम आंदोलन चलाया था. इसी कारण 15 अगस्त 1985 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मौजूदगी में असम समझौता हुआ था.

उन्होंने कहा कि साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित और असम नेपाली साहित्य सभा के अध्यक्ष दुर्गा खतीवाड़ा का नाम 26 जून को NRC अधिकारियों द्वारा जारी की गई सूची से अलग कर दिया गया है.

देवान ने कहा है,' खेतीवाड़ा ने 1951 से अपने पिता की एनआरसी को विरासत के रूप में संभाल कर रखा है. हालांकि उनके परिवार के सभी सदस्यों के नाम एनआरसी में शामिल किए गए हैं, लेकिन उन्हें बाहर कर दिया गया.
भविष्य के कार्यों के बारे में पूछे जाने पर, देवान ने कहा कि हम नाम हटाने के कारणों का पता लगाने के लिए सक्षम अधिकारियों से प्रमाणित प्रतियां मांगी जाएंगी. इसके बाद मामले को अदालत में ले जाया जाएगा क्योंकि एनआरसी सुनवाई मामले में सर्वोच्च न्यायालय में भारतीय गोरखा परिषद पक्षकारों में से एक है.

वहीं, बैजयंती देवी के पिता अमर उपाध्याय ने कहा कि उनके पौत्र रोहिताक्ष और मिहिरन के नाम के साथ उनकी मां निर्मला देवी को भी एनआरसी सूची से बाहर कर दिया है.
उन्होंने कहा है कि तेजपुर से भी भारतीय गोरखा परिषद के संज्ञान में ऐसा ही एक और मामला आया है.जहां 'स्वतंत्रता सेनानी छोटेलाल उपाध्याय की बड़ी पोती मंजू देवी, जो असम में कांग्रेस पार्टी की संस्थापक थीं, को पैतृक वंश सिद्ध होने के बावजूद छोड़ दिया गया है.'

पढ़ें- NRC सूची से एक लाख लोगों को निकालना अन्याय, संसद में उठाएंगे मुद्दा: APCC अध्यक्ष

उन्होंने बताया कि मंजू को 2005 में 'डी' (संदिग्ध) मतदाता के रूप में चिह्नित किया गया था और इसीलिए उनके बेटे और बेटियों के साथ उनके नाम को एनआरसी सूची से बाहर कर दिया गया है. हालांकि मंजू देवी ने इस मामले पर एक आरटीआई दायर की,

जिसमें सोनितपुर के पुलिस अधीक्षक से एक मंजूरी प्रमाणपत्र प्राप्त किया और बिना किसी सकारात्मक परिणाम के इसकी प्रतिलिपि चुनाव विभाग को सौंप दी है.

इस मामले पर गोरखा परिषद के महासचिव ने प्रकाश दहल ने कहा कि यह असम आंदोलन पर एक धब्बा है क्योंकि इसमें पहली महिला शहीद के परिवार की राष्ट्रीयता को लेकर संदेह जताया गया है.

उन्होंने मांग की कि 'इस मुद्दे को अंतिम एनआरसी के प्रकाशन की अंतिम तिथि से पहले या उससे पहले हल किया जाना चाहिए.'

बता दें कि 20 शताब्दी से राज्य में लगातार बढ़ रहे अवैध प्रवासियों की पहचान करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एनआरसी अपडेशन का कार्य किया जा रहा है.

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AS-NRC-GORKHA
Sahitya Akademi awardee, family of Assam Agitation martyr excluded from NRC
          Guwahati, Jun 30 (PTI) Sahitya Akademi awardee Durga Khatiwada along with the family members of Baijyanti Devi, the first woman martyr of Assam Agitation, have been excluded from the complete draft of the National Register of Citizens (NRC), an organisation of the Gorkhas said Sunday
          Along with them, Manju Devi, the great granddaughter of freedom fighter Chabilal Upadhyay, has also been left out from the NRC upgrade process, they said.
          These three prominent cases involved Gorkhas and the NRC process has disrespected the community by excluding them, and the matter may be taken to court if not resolved, Bharatiya Gorkha Parisangh (BhaGoPa) National Secretary Nanda Kirati Dewan said at a press conference here.
          "Families of freedom fighters and martyrs of Assam Agitation have been disrespected by excluding them from NRC. This is not only disrespect to the Gorkhas, but also an insult to the freedom fighters and martyrs," Dewan said.
          The six-year-long Assam Agitation over identification and deportation of illegal immigrants was launched by the All Assam Students Union in 1979. It culminated with the signing of the Assam Accord on August 15, 1985, in the presence of the then prime minister Rajiv Gandhi.
          He said Sahitya Akademi awardee and president of Assam Nepali Sahitya Sabha Durga Khatiwada's name has appeared in the Exclusion List released by the NRC authorities on June 26.
          "Khatiwada holds 1951 NRC of his father as legacy. Although names of all his family members' have been included in the NRC, he was excluded," Dewan added.
          Baijyanti Devi's father Amar Upadhyay said names of his grandsons Rohitakash and Mihiran along with their mother Nirmala Devi also featured in the exclusion list.
          He said, "The names of their father and grandfather have appeared in the draft NRC. Their legacy person is Baijayanti Devi's father who is around 90 years old."
          Dewan said another important case of exclusion from NRC came to the notice of BhaGoPa in Gorkha-dominated Tezpur.
          "Manju Devi, the great granddaughter of freedom fighter Chabilal Upadhyay, who was the founder of Congress party in Assam, has also been left out despite having shown proven parental lineage," he said.
          Manju Devi was told that she had been marked 'D' (doubtful) Voter in 2005 and that is why her name along with those of her sons and daughters were excluded.
          Manju Devi filed an RTI on this matter, got a clearance certificate from the Sonitpur Superintendent of Police and submitted its copy to the election department, without any positive result, Dewan said.
          "If this continues, she cannot make it to the NRC. The Foreigners' Tribubal has so far not issued any notice to Manju Devi in this matter. Her fate just hangs in limbo," he said.
          Asked about their future course of action, Dewan said, certified copies will be sought from the competent authorities to ascertain the reasons of the exclusions.
          The matter will then be taken to court as the BhaGoPa is one of the parties in the Supreme Court on the NRC hearing case, he added.
          BhaGoPa state general secretary Prakash Dahal said it is a blot on Assam Movement that the family of its first woman martyr has been left out doubting their nationality.
          "The issue should be resolved on or before last date of publication of the final NRC," he added.
          The Supreme Court-monitored NRC updation exercise is being carried out in Assam to identify illegal immigrants in the state which faced an influx of people from Bangladesh since the early 20th century.
          The draft published on July 30 last year included the names of 2.9 crore people out of total applicants of 3.29 crore, leaving out 40 lakh people.
          The first draft published during the intervening nights of December 31 and January 1 of 2017-19 contained 1.9 crore names. An Additional Draft Exclusion List consisting of 1.02 lakh persons from NRC was published on June 26 this year. PTI TR NN
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Last Updated : Jul 1, 2019, 10:49 PM IST
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