इंदौर : संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को 'धार्मिक आधार पर बनाया गया विभाजनकारी प्रावधान' बताते हुए यहां भारतीय जनता पार्टी के करीब 80 मुस्लिम नेताओं ने पार्टी की प्राथमिकता सदस्यता छोड़ने की घोषणा की है.
इन भाजपा नेताओं में शामिल राजिक कुरैशी फर्शीवाला ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि करीब 80 मुस्लिम नेताओं ने भाजपा के नवनियुक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को कल बृहस्पतिवार को पत्र भेजकर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता छोड़ दी है. इनमें भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चे के कई पदाधिकारी शामिल हैं.
कुरैशी ने कहा, 'सीएए के वजूद में आने के बाद हमारा अपने समुदाय के आयोजनों में शामिल होना दूभर होता जा रहा था. इन आयोजनों में लोग हमें यह कहकर कोसते थे कि हम सीएए जैसे विभाजनकारी कानून पर कब तक चुप रहेंगे?'
उन्होंने कहा, 'किसी भी समुदाय के वास्तविक तौर पर पीड़ित शरणार्थी को भारतीय नागरिकता मिलनी चाहिये. आप महज धर्म के आधार पर तय नहीं कर सकते कि फलां व्यक्ति घुसपैठिया या आतंकवादी है.'
सीएए के खिलाफ भाजपा छोड़ने वाले मुस्लिम नेताओं के पत्र में कहा गया, "भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के अंतर्गत किसी भी भारतीय नागरिक को समानता का अधिकार प्राप्त है. किंतु भारतीय जनता पार्टी नीत केंद्र सरकार के सीएए को धार्मिक आधार पर लागू कर देश को बांटने का कार्य किया गया है जो संविधान की मूल भावना के खिलाफ है.
गौरतलब है कि सीएए के विरोध में जिन भाजपा नेताओं ने पार्टी छोड़ने की घोषणा की है, उनमें से कुछ पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के करीबी माने जाते हैं.
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अल्पसंख्यक समुदाय के भाजपा नेताओं के सामूहिक इस्तीफे के बारे में पूछे जाने पर विजयवर्गीय ने बृहस्पतिवार शाम कहा, 'मुझे हालांकि इस मामले की जानकारी नहीं है, लेकिन अगर कोई व्यक्ति गुमराह हो रहा है, तो हम उसे समझाएंगे.'