नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एनआरसी के समन्वयक प्रतीक हजेला का तबादला 'तत्काल' यथासंभव अधिकतम अवधि के लिये किया जाये. शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी को अंतिम रूप देने और इसके आंकड़ों के प्रकाशन की संवेदनशील कवायद के लिये समन्वयक नियुक्त किया था.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई , न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन की विशेष पीठ ने हजेला को अधिक संभव अवधि के लिये अंतर-काडर तबादले पर उनके गृह राज्य में प्रतिनियुक्ति पर भेजने का आदेश दिया.
प्रतीक हजेला 1995 बैच के आईएएस अधिकारी रहे हैं. हजेला मध्य प्रदेश निवासी और असम-मेघालय काडर के हैं. केन्द्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने शीर्ष अदालत से इस अप्रत्याशित आदेश की वजह जाननी तो प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि, 'क्या कोई भी आदेश बगैर किसी कारण के दिया जा सकता है.'
हालांकि, पीठ ने यह आदेश पारित करने की कोई वजह स्पष्ट नहीं की लेकिन आदेश के बाद अटकलों को बल मिला. बता दें कि असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की अंतिम सूची के प्रकाशन के बाद आशंका जताई जा रही है कि इस विशाल और संवेदनशील काम की निगरानी के बाद हजेला को किसी प्रकार के खतरे की आशंका हो.
असम के एक प्रभावशाली छात्र संगठन ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) ने इस कदम का स्वागत करते हुए इसे एक सही निर्णय बताया गया है.
AASU ने कहा कि एनआरसी की अंतिम सूची में बहुत सारी गलतियां थीं. ईटीवी भारत से विशेष साक्षात्कार में AASU के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा, 'हम प्रक्रिया के पुन: सत्यापन की मांग कर रहे हैं.' उन्होंने कहा कि अंतिम एनआरसी सूची में अवैध विदेशियों के नाम भी शामिल हैं. 80 के दशक की शुरुआत में AASU ने असम में विदेशी-विरोधी आंदोलन शुरू किया. जिसने 1985 में केंद्र और राज्य सरकार को असम समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर कर दिया.
भट्टाचार्य ने कहा, 'हमने अदालत को यह भी बताया है कि अंतिम एनआरसी में गलतियां भी थीं. उन्होंने कहा कि एनआरसी समन्वयक ने एनआरसी को अपडेट करते समय सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों का भी उल्लंघन किया. उन्होंने ने कहा, 'हजेला ने पर्यवेक्षक की नियुक्ति नहीं की थी, न ही कोई सत्यापन किया गया था. यहां तक कि जिन अधिकारियों का संदिग्ध आचरण था, उन्हें भी एनआरसी अद्यतन प्रक्रिया के दौरान स्थानांतरित नहीं किया गया.
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शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी के मामले को आगे सुनवाई के लिये 26 नवंबर को सूचीबद्ध किया है. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, जो असम से हैं, 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं.
असम की बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय नागरिक पंजी अंतिम रूप दिये जाने के बाद 31 अगस्त को प्रकाशित हुयी थी और इससे राज्य में 19 लाख से अधिक आवेदकों के नाम बाहर कर दिये गये थे.
राष्ट्रीय नागरिक पंजी में नाम शामिल करने के लिये 3,30,27,661 व्यक्तियों ने आवेदन किया था. इनमें से 3,11,21,004 लोगों को नागरिक पंजी में शामिल किया गया है जबकि 19,06,657 को इससे बाहर रखा गया.
नागरिक पंजी के पहले मसौदे में 1.9 करोड़ लोगों के नाम प्रकाशित हुये थे. यह मसौदा 31 दिसंबर, 2017 की मध्य रात्रि को प्रकाशित किया गया था.