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AASU और NESO ने कहा - जारी रहेगा नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध

सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर रोक लगाने से इनकार करते हुए केंद्र सरकार से इस बाबत रिपोर्ट मांगी है. सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के परिप्रेक्ष्य में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) और नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन (NESO) ने इस अधिनियम का विरोध जारी रखने का निर्णय लिया है.

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नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध जारी
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Published : Dec 18, 2019, 4:30 PM IST

Updated : Dec 18, 2019, 6:16 PM IST

नई दिल्ली : ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) और नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन (NESO) ने नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के परिप्रेक्ष्य में कहा है कि वे सीएए का विरोध जारी रखेंगे.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सीएए को चुनौती देने वाली 59 याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई की, लेकिन इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. हालांकि शीर्ष न्यायालय ने केंद्र से इस बाबत विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

तरुण गोगोई ने दिया बयान
असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने कहा, 'हमें पूरी उम्मीद है कि हमारे हक में फैसला सुनाया जाएगा. हम आशा करते हैं कि हमें न्याय मिलेगा.'

तरुण गोगोई का बयान

प्रशांत भूषण से ईटीवी भारत ने की बातचीत
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि 40 याचिकाएं दायर की गई थीं, इनमें से ज्यादातर को धर्म के आधार पर भेदभाव बताकर दायर किया गया था जबकि असम की तरफ से जो याचिकाएं दायर हुई थीं, वे सभी थोड़ी अलग थीं. उनमें कहना यह था कि देश के बाहर के लोगों को नागरिकता देकर हमारे राज्य में रहने दिया जा रहा है. जबकि यह हमारी पहचान के खिलाफ है.

प्रशांत भूषण का बयान

एएसयू अध्यक्ष की ईटीवी भारत से बातचीत
ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) अध्यक्ष दीपंका कुमार नाथ ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा, 'हम लोग सिटीजनशिप एमेंडमेंट एक्ट (सीएए) के खिलाफ अपना आंदोलन जारी रखेंगे, सरकार उन पर कुछ भी आरोप नहीं लगा सकती. सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी आज का निर्देश हमारे लिए एक जीत है.'

नाथ ने सीएए को लेकर केंद्र को जारी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए यह बात कही.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला
इसके पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की और इस कानून पर रोक लगाने से साफ तौर पर इनकार कर दिया.

भारत के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबड़े, न्यायमूर्ति बीआर गावैन और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की वाली पीठ ने इस मामले में 22 जनवरी से पहले केंद्र सरकार से रिपोर्ट मांगी है, जब यह मामला फिर से सुनवाई के लिए रखा जाएगा.

पढ़ें : CAA विरोध : हिंसा पर SC की सुनवाई, DMK ने कानून के खिलाफ लगाई याचिका

सेवानिवृत्त प्रोफेसर बसंत डेका का बयान
गुवाहाटी में हांडिक कॉलेज के सेवानिवृत्त प्रोफेसर बसंत डेका ने कहा, 'हम उम्मीद कर रहे हैं कि अदालत हमारे पक्ष में फैसला सुनाएगी. सीएए ऐतिहासिक असम समझौते के मूल सिद्धांत के खिलाफ है.' डेका एंटी-सीएए आंदोलन से जुड़े रहे हैं.

बसंत डेका का बयान

पदुम राजखोवा ने क्या कहा
अदालत के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए, असम साहित्य सभा के महासचिव पदुम राजखोवा ने ईटीवी भारत को बताया कि यह अधिनियम असम के लोगों की संख्या को कम कर देगा.

पदुम राजखोवा का बयान

राजखोवा ने कहा, 'यह एक्ट जनविरोधी है. हम सरकार को असम में अधिनियम को लागू करने की अनुमति नहीं देंगे. हम अपना आंदोलन जारी रखेंगे.'

ASS : असम आधारित साहित्यिक संगठन
आपको बता दें, ASS एक असम आधारित साहित्यिक संगठन है, जिसका उद्देश्य असमिया संस्कृति और साहित्य को बढ़ावा देना है. जब से नागरिकता संशोधन अधिनियम सामने आया है, साहित्य सभा ने भी इस अधिनियम का विरोध करने के लिए कदम उठाया है.

नई दिल्ली : ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) और नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन (NESO) ने नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के परिप्रेक्ष्य में कहा है कि वे सीएए का विरोध जारी रखेंगे.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सीएए को चुनौती देने वाली 59 याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई की, लेकिन इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. हालांकि शीर्ष न्यायालय ने केंद्र से इस बाबत विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

तरुण गोगोई ने दिया बयान
असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने कहा, 'हमें पूरी उम्मीद है कि हमारे हक में फैसला सुनाया जाएगा. हम आशा करते हैं कि हमें न्याय मिलेगा.'

तरुण गोगोई का बयान

प्रशांत भूषण से ईटीवी भारत ने की बातचीत
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि 40 याचिकाएं दायर की गई थीं, इनमें से ज्यादातर को धर्म के आधार पर भेदभाव बताकर दायर किया गया था जबकि असम की तरफ से जो याचिकाएं दायर हुई थीं, वे सभी थोड़ी अलग थीं. उनमें कहना यह था कि देश के बाहर के लोगों को नागरिकता देकर हमारे राज्य में रहने दिया जा रहा है. जबकि यह हमारी पहचान के खिलाफ है.

प्रशांत भूषण का बयान

एएसयू अध्यक्ष की ईटीवी भारत से बातचीत
ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) अध्यक्ष दीपंका कुमार नाथ ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा, 'हम लोग सिटीजनशिप एमेंडमेंट एक्ट (सीएए) के खिलाफ अपना आंदोलन जारी रखेंगे, सरकार उन पर कुछ भी आरोप नहीं लगा सकती. सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी आज का निर्देश हमारे लिए एक जीत है.'

नाथ ने सीएए को लेकर केंद्र को जारी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए यह बात कही.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला
इसके पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की और इस कानून पर रोक लगाने से साफ तौर पर इनकार कर दिया.

भारत के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबड़े, न्यायमूर्ति बीआर गावैन और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की वाली पीठ ने इस मामले में 22 जनवरी से पहले केंद्र सरकार से रिपोर्ट मांगी है, जब यह मामला फिर से सुनवाई के लिए रखा जाएगा.

पढ़ें : CAA विरोध : हिंसा पर SC की सुनवाई, DMK ने कानून के खिलाफ लगाई याचिका

सेवानिवृत्त प्रोफेसर बसंत डेका का बयान
गुवाहाटी में हांडिक कॉलेज के सेवानिवृत्त प्रोफेसर बसंत डेका ने कहा, 'हम उम्मीद कर रहे हैं कि अदालत हमारे पक्ष में फैसला सुनाएगी. सीएए ऐतिहासिक असम समझौते के मूल सिद्धांत के खिलाफ है.' डेका एंटी-सीएए आंदोलन से जुड़े रहे हैं.

बसंत डेका का बयान

पदुम राजखोवा ने क्या कहा
अदालत के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए, असम साहित्य सभा के महासचिव पदुम राजखोवा ने ईटीवी भारत को बताया कि यह अधिनियम असम के लोगों की संख्या को कम कर देगा.

पदुम राजखोवा का बयान

राजखोवा ने कहा, 'यह एक्ट जनविरोधी है. हम सरकार को असम में अधिनियम को लागू करने की अनुमति नहीं देंगे. हम अपना आंदोलन जारी रखेंगे.'

ASS : असम आधारित साहित्यिक संगठन
आपको बता दें, ASS एक असम आधारित साहित्यिक संगठन है, जिसका उद्देश्य असमिया संस्कृति और साहित्य को बढ़ावा देना है. जब से नागरिकता संशोधन अधिनियम सामने आया है, साहित्य सभा ने भी इस अधिनियम का विरोध करने के लिए कदम उठाया है.

Intro:New Delhi: The All Assam Students Union (AASU) and North East Student Organisation (NESO) on Wednesday reiterated to continue its anti-Citizenship Amendment Act agitation across the region even as the Supreme Court (SC) has asked for a detailed report from the Centre on the Act.


Body:"We will continue our agitation against the anti people act (CAA). The government can't impose anything at their whims on us. Today's directive issued by the Supreme Court is a victory for us. At least, the court has asked the government to let it know the real intesion behind bringing the Act," said AASU president Dipanka Nath while talking to ETV Bharat.

Nath was referring to the Supreme Court's directives issued to the Centre over CAA.

The apex court issued notice to the Centre after hearing 59 petitions challenging the CAA. The court, however, refuses to stay on the operation of the new provision for granting citizenship to members of persecuted minorities in Bangladesh, Pakistan and Afghanistan.

The court comprising Chief Judtice of India Sharad Arvind Bobde, Justice BR Gavain and Justice Surya Kant has asked for its report before January 22 when the case will again be raised for hearing.

"We are expecting that the court a verdict in our favour...the CAA is against the basic principle of historic Assam Accord," said Basanta Deka, retired professor of Handique College in Guwahati. Deka was associated with the anti-CAA agitation.



Conclusion:Taking in the court's directives, Padum Rajkhowa, general secretary of Assam Sahitya Sabha (ASS) told ETV Bharat that this Act will minimise the numbers of indeginious people of Assam.

"This Act is anti people. We will never allow the government to implement the Act in Assam. We will continue our movement," said Rajkhowa.

The ASS is an Assam based literary organisation aims to promote Assamese culture and literature. Ever since, the Citizenship Amendment Act come to the fore, Sahitya Sabha too initiated its move to oppose the Act.

end.
Last Updated : Dec 18, 2019, 6:16 PM IST
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