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दुनिया के एक तिहाई बच्चे ऑनलाइन शिक्षा से दूर : यूनीसेफ - रिमोट लर्निंग रिचाबिलिटी रिपोर्ट

दुनिया के कम से कम एक तिहाई स्कूली बच्चे यानी करीब 46.3 करोड़ बच्चे दूरस्थ शिक्षा का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं.46.3 करोड़ ऐसे बच्चे हैं जिनके स्कूल कोविड-19 की वजह से बंद हैं और उनके पास दूरस्थ शिक्षा का साधन नहीं है.

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दुनिया के एक तिहाई बच्चे दूरस्थ शिक्षा से दूर
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Published : Aug 29, 2020, 2:22 PM IST

हैदराबाद : संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ) ने कहा कि कोविड-19 महामारी के चलते बंद स्कूलों की वजह से दूरस्थ शिक्षा पर जोर है, लेकिन दुनिया के करीब एक तिहाई बच्चों के पास इसकी पहुंच ही नहीं है और इससे वैश्विक शिक्षा आपात की स्थिति उत्पन्न हो गई है.

यूनीसेफ ने कहा कि कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के लिए लागू लॉकडाउन एवं स्कूल बंदी की वजह से करीब डेढ़ अरब बच्चे प्रभावित हुए हैं. यूनीसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरियेटा फोरे ने कहा कम से कम 46.3 करोड़ ऐसे बच्चे हैं जिनके स्कूल कोविड-19 की वजह से बंद हैं और उनके पास दूरस्थ शिक्षा का साधन नहीं है.

उन्होंने कहा बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे हैं जिनकी पढ़ाई महीनों तक पूरी तरह से बाधित रही है और इससे वैश्विक शिक्षा आपातकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई है. बयान में फोरे ने कहा इसका नकारात्मक असर आने वाले दशकों तक अर्थव्यवस्था और समाज पर देखने को मिलेगा.

यूनिसेफ की रिमोट लर्निंग रिचाबिलिटी रिपोर्ट

यूनीसेफ द्वारा जारी रिपोर्ट में इलाके वार असमानता को रेखांकित किया गया, जिसके मुताबिक अफ्रीका के उप सहारा क्षेत्र के स्कूलों में अधिकतर बच्चे प्रभावित हुए हैं. वहीं, संख्या के हिसाब से दक्षिण एशिया में सबसे अधिक 14.7 करोड़ बच्चे दूरस्थ शिक्षा माध्यम से महरूम हैं. स्कूली बच्चों की शिक्षा पर महामारी के प्रभाव को समझने के लिए, यूनिसेफ अपनी रिमोट लर्निंग रिएक्शनबिलिटी रिपोर्ट लेकर आया है. रिपोर्ट दूरस्थ शिक्षा की सीमाओं को रेखांकित करती है और गहरी असमानताओं को उजागर करती है. रिमोट लर्निंग रिचाबिलिटी रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2020 में लॉकडाउन की शुरुआत में स्कूल बंद होने से लगभग 1.5 बिलियन स्कूली बच्चे प्रभावित हुए थे.यह रिपोर्ट 100 से अधिक देशों के पूर्व-प्राथमिक, प्राथमिक, निम्न-माध्यमिक और उच्च-माध्यमिक स्कूली बच्चों के बीच दूरस्थ शिक्षा के लिए तकनीक और उपकरणों की उपलब्धता को ध्यान में रखती है.यूनीसेफ ने बताया कि रिपोर्ट बनाने में गृह आधारित प्रौद्यागिकी और दूरस्थ अध्ययन के लिए जरूरी उपकरण जैसे टेलीविजन, रेडियो और इंटरनेट एवं इन माध्यमों से पढ़ाई जाने वाली सामग्री को आधार बनाया गया है.

यूनिसेफ की रिमोट लर्निंग रिचाबिलिटी रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में स्कूली बच्चों के बीच दूरस्थ शिक्षा की पहुंच का अभाव खतरनाक स्तर पर है. अफ्रीका में स्कूली बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हैं.

क्षेत्र दूरस्थ शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ स्कूली बच्चों का न्यूनतम अनुपात (%)दूरस्थ शिक्षा तक पहुँचने में असमर्थ स्कूली बच्चों की न्यूनतम संख्या
पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका49%67 मिलियन
पश्चिम और मध्य अफ्रीका48%54 मिलियन
पूर्वी एशिया 20%80 मिलियन
मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका40%37 मिलियन
दक्षिण एशिया38%147 मिलियन
पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया34%25 मिलियन
लातिन अमेरिका और कैरेबियन9%13 मिलियन
विश्वीय31%463 मिलियन


गरीब घरों के छात्र अधिक प्रभावित

गरीब घरों और ग्रामीण इलाके के बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं. गरीब घरों के 72 प्रतिशत स्कूली बच्चे दूरस्थ शिक्षा का उपयोग करने में असमर्थ हैं. उच्च-मध्य-आय वाले देशों में गरीब घरों के 86 प्रतिशत स्कूली बच्चे दूरस्थ शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ हैं. वैश्विक स्तर पर ग्रामीण इलाकों में तीन चौथाई स्कूली बच्चे रहते हैं.

भारत में स्कूली बच्चों पर कोरोना का प्रभाव

भारत में करीब 15 लाख स्कूल कोरोना महामारी के चलते बंद कर दिए गए हैं. इन स्कूलों के बंद रहने से करीब 28.6 करोड़ प्री-प्राइमरी और सेकैंडरी लेवल तक के स्टूडेंट की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. इनमें से करीब 49% छात्राएं भी शामिल हैं. यूनिसेफ की इस रिपोर्ट के मुताबिक करीब 60 लाख छात्र और छात्राएं पहले ही कोविड—19 महामारी के चलते स्कूली शिक्षा से बाहर हो गए हैं.

यूनिसेफ की भारतीय प्रतिनिधि डॉ. यास्मीन अली हक ने बताया कि स्कूल बंद हो चुके हैं. अभिभावकों के पास काम नहीं है. परिवार में लगातार तनाव बढ़ रहा है. इस पूरी पीढ़ी की पढ़ाई और सीखने की प्रक्रिया पूरी तरह बाधित हो चुकी है. डिजिटल एजुकेशन तक बहुत कम लोगों की पहुंच है और इन हालातों में सीखने के अंतर की समस्या का कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है. हमें सीखने की इस प्रक्रिया को चालू करने के लिए समाज, अभिभावक और स्वयंसेवकों को शामिल करके बच्चों तक पहुंचना होगा.

पढ़ें : सर्वे : ऑनलाइन शिक्षा के लिए 94% छात्रों के पास इंटरनेट सुविधा नहीं

हैदराबाद : संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ) ने कहा कि कोविड-19 महामारी के चलते बंद स्कूलों की वजह से दूरस्थ शिक्षा पर जोर है, लेकिन दुनिया के करीब एक तिहाई बच्चों के पास इसकी पहुंच ही नहीं है और इससे वैश्विक शिक्षा आपात की स्थिति उत्पन्न हो गई है.

यूनीसेफ ने कहा कि कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के लिए लागू लॉकडाउन एवं स्कूल बंदी की वजह से करीब डेढ़ अरब बच्चे प्रभावित हुए हैं. यूनीसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरियेटा फोरे ने कहा कम से कम 46.3 करोड़ ऐसे बच्चे हैं जिनके स्कूल कोविड-19 की वजह से बंद हैं और उनके पास दूरस्थ शिक्षा का साधन नहीं है.

उन्होंने कहा बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे हैं जिनकी पढ़ाई महीनों तक पूरी तरह से बाधित रही है और इससे वैश्विक शिक्षा आपातकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई है. बयान में फोरे ने कहा इसका नकारात्मक असर आने वाले दशकों तक अर्थव्यवस्था और समाज पर देखने को मिलेगा.

यूनिसेफ की रिमोट लर्निंग रिचाबिलिटी रिपोर्ट

यूनीसेफ द्वारा जारी रिपोर्ट में इलाके वार असमानता को रेखांकित किया गया, जिसके मुताबिक अफ्रीका के उप सहारा क्षेत्र के स्कूलों में अधिकतर बच्चे प्रभावित हुए हैं. वहीं, संख्या के हिसाब से दक्षिण एशिया में सबसे अधिक 14.7 करोड़ बच्चे दूरस्थ शिक्षा माध्यम से महरूम हैं. स्कूली बच्चों की शिक्षा पर महामारी के प्रभाव को समझने के लिए, यूनिसेफ अपनी रिमोट लर्निंग रिएक्शनबिलिटी रिपोर्ट लेकर आया है. रिपोर्ट दूरस्थ शिक्षा की सीमाओं को रेखांकित करती है और गहरी असमानताओं को उजागर करती है. रिमोट लर्निंग रिचाबिलिटी रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2020 में लॉकडाउन की शुरुआत में स्कूल बंद होने से लगभग 1.5 बिलियन स्कूली बच्चे प्रभावित हुए थे.यह रिपोर्ट 100 से अधिक देशों के पूर्व-प्राथमिक, प्राथमिक, निम्न-माध्यमिक और उच्च-माध्यमिक स्कूली बच्चों के बीच दूरस्थ शिक्षा के लिए तकनीक और उपकरणों की उपलब्धता को ध्यान में रखती है.यूनीसेफ ने बताया कि रिपोर्ट बनाने में गृह आधारित प्रौद्यागिकी और दूरस्थ अध्ययन के लिए जरूरी उपकरण जैसे टेलीविजन, रेडियो और इंटरनेट एवं इन माध्यमों से पढ़ाई जाने वाली सामग्री को आधार बनाया गया है.

यूनिसेफ की रिमोट लर्निंग रिचाबिलिटी रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में स्कूली बच्चों के बीच दूरस्थ शिक्षा की पहुंच का अभाव खतरनाक स्तर पर है. अफ्रीका में स्कूली बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हैं.

क्षेत्र दूरस्थ शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ स्कूली बच्चों का न्यूनतम अनुपात (%)दूरस्थ शिक्षा तक पहुँचने में असमर्थ स्कूली बच्चों की न्यूनतम संख्या
पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका49%67 मिलियन
पश्चिम और मध्य अफ्रीका48%54 मिलियन
पूर्वी एशिया 20%80 मिलियन
मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका40%37 मिलियन
दक्षिण एशिया38%147 मिलियन
पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया34%25 मिलियन
लातिन अमेरिका और कैरेबियन9%13 मिलियन
विश्वीय31%463 मिलियन


गरीब घरों के छात्र अधिक प्रभावित

गरीब घरों और ग्रामीण इलाके के बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं. गरीब घरों के 72 प्रतिशत स्कूली बच्चे दूरस्थ शिक्षा का उपयोग करने में असमर्थ हैं. उच्च-मध्य-आय वाले देशों में गरीब घरों के 86 प्रतिशत स्कूली बच्चे दूरस्थ शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ हैं. वैश्विक स्तर पर ग्रामीण इलाकों में तीन चौथाई स्कूली बच्चे रहते हैं.

भारत में स्कूली बच्चों पर कोरोना का प्रभाव

भारत में करीब 15 लाख स्कूल कोरोना महामारी के चलते बंद कर दिए गए हैं. इन स्कूलों के बंद रहने से करीब 28.6 करोड़ प्री-प्राइमरी और सेकैंडरी लेवल तक के स्टूडेंट की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. इनमें से करीब 49% छात्राएं भी शामिल हैं. यूनिसेफ की इस रिपोर्ट के मुताबिक करीब 60 लाख छात्र और छात्राएं पहले ही कोविड—19 महामारी के चलते स्कूली शिक्षा से बाहर हो गए हैं.

यूनिसेफ की भारतीय प्रतिनिधि डॉ. यास्मीन अली हक ने बताया कि स्कूल बंद हो चुके हैं. अभिभावकों के पास काम नहीं है. परिवार में लगातार तनाव बढ़ रहा है. इस पूरी पीढ़ी की पढ़ाई और सीखने की प्रक्रिया पूरी तरह बाधित हो चुकी है. डिजिटल एजुकेशन तक बहुत कम लोगों की पहुंच है और इन हालातों में सीखने के अंतर की समस्या का कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है. हमें सीखने की इस प्रक्रिया को चालू करने के लिए समाज, अभिभावक और स्वयंसेवकों को शामिल करके बच्चों तक पहुंचना होगा.

पढ़ें : सर्वे : ऑनलाइन शिक्षा के लिए 94% छात्रों के पास इंटरनेट सुविधा नहीं

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