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सुप्रीम कोर्ट में हमेशा मेरा अंश रहेगा : CJI रंजन गोगोई

निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई ने कार्यकाल के आखिरी दिन कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में हमेशा मेरा अंश रहेगा . हालांकि इस दौरान उन्होंने पत्रकारों को साक्षात्कार देने से मना कर दिया.

सीजेआई रंजन गोगोई (फाइल फोटो)
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Published : Nov 15, 2019, 8:47 PM IST

Updated : Nov 15, 2019, 10:02 PM IST

नई दिल्ली: 17 नवंबर को सीजेआई के पद से सेवानिवृत्त हो रहे न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने अपने विदाई समारोह के दौरान कहा कि सुप्रीम कोर्ट में हमेशा मेरा अंश रहेगा. वहीं, उन्होंने पत्रकारों को अलग-अलग साक्षात्कार देने में अपनी असमर्थता जाहिर की.

हालांकि, उन्होंने न्यायपालिका के कठिन समय में 'अफवाह और झूठ' को रोकने में प्रेस की परिपक्वता और व्यवहार को लेकर उसकी सराहना की.

देश के 46 वें एवं पूर्वोत्तर के किसी राज्य से भारत के प्रथम सीजेआई न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के लिये यह जरूरी नहीं है कि न्यायाधीश प्रेस के जरिये हमारे नागरिक वर्ग तक पहुंचे.

रंजन गोगोई का विदाई समारोह

रविवार 17 नवंबर को सीजेआई के पद से सेवानिवृत्त हो रहे न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, 'इस तरह की पहुंच (प्रेस तक) एक असाधारण स्थिति के लिये प्रतीकात्मक होनी चाहिए, जहां नियम में एक अपवाद की मांग हो.'

न्यायमूर्ति गोगोई और शीर्ष न्यायालय के तीन अन्य न्यायाधीशों न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने 12 जनवरी 2018 को एक अभूतपूर्व

संवाददाता सम्मेलन कर आरोप लगाया था कि उच्चतम न्यायालय में प्रशासन और मामलों का आवंटन सही तरीके से नहीं हो रहा. उस वक्त न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा सीजेआई थे.

सीजेआई ने पत्रकारों को लिखे तीन पृष्ठों के एक साझा पत्र में साक्षात्कार के अनुरोधों को मना कर दिया और कहा, 'मैं अलग-अलग मिलने के आपके अनुरोध को पूरा कर पाने में सक्षम नहीं हूं,'

पत्र में कहा गया है, 'मैं चाहता हूं कि आप इस बात की सराहना करें कि सामान्य स्वतंत्रताएं हमारे संस्थागत कामकाज में बखूबी संतुलित हैं-जब आपके पास बार हैं जिनके सदस्य

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इस्तेमाल ऐसी स्वंत्रताओं की सीमाओं से आगे भी कर सकते हैं, वहीं पीठ को इस बात की जरूरत है कि अपनी स्वतंत्रताओं का इस्तेमाल करने के दौरान इसके न्यायाधीश खामोश बने रहें.'

उन्होंने कहा,'यह नहीं कहा जा रहा कि न्यायाधीश नहीं बोले. वे बोल सकते हैं लेकिन सिर्फ कामकाजी आवश्यकता के लिये कड़वी सच्चाई अवश्य ही स्मृति में रहनी चाहिए.'

सीजेआई ने शीर्ष न्यायिक संस्था के मुश्किल वक्त के दौरान खबरों के लिये मीडिया की भूमिका की सराहना की.

पढ़ें- मोदी सरकार को बड़ी राहत, 'राफेल सौदे की नहीं होगी जांच'

न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, 'हमारे संस्थागत स्वास्थ्य का परिचय देने वाले मापदंडों में अच्छा प्रेस भी शामिल है. इस बारे में मैं यह कहना चाहूंगा कि बहुत हद तक प्रेस कोर मेरे कार्यालय और हमारी संस्था के प्रति मेरे कार्यकाल के दौरान उदार रहा.'

पत्र में कहा गया है कि यहां तक कि न्यायपालिका के मुश्किल वक्त में भी प्रेस के ज्यादातर लोगों ने परिपक्वता दिखाई और अच्छा व्यवहार किया. उन्होंने अफवाह और झूठ को रोकने के लिये असाधारण विवेक का इस्तेमाल किया.

न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि एक सार्वजनिक प्राधिकार होने के नाते, जिसे संवैधानिक कर्तव्यों का निवर्हन करने की जिम्मेदारी दी गई है, प्रेस का समर्थन पाने का विचार संस्था के हित में उनके समक्ष कभी विकल्प के रूप में नहीं आया.

उन्होंने कहा, 'मैंने एक ऐसी संस्था से जुड़े रहने का रास्ता चुना, जिसकी मजबूती लोगों के भरोसे में निहित है और विश्वास अच्छे प्रेस के जरिये नहीं बल्कि पीठ के न्यायाधीशों के तौर पर हमारे काम से हासिल किया जाता हो.

पढ़ें- राजघाट पहुंचे प्रधान न्यायधीश रंजन गोगोई, बापू को दी श्रद्धांजलि

हालांकि, सीजेआई गोगोई रविवार को सेवानिवृत्त हो रहे हैं लेकिन शुक्रवार उनका अंतिम कार्य दिवस था. वह उच्चतम न्यायालय के कक्ष संख्या एक में पीठ में अंतिम बार शुक्रवार को शामिल हुए.

शीर्ष न्यायालय का कक्ष संख्या एक प्रधान न्यायाधीश का कक्ष होता है. न्यायमूर्ति गोगोई महज चार मिनट के लिए इस पीठ में बैठे. पीठ में उनके अतिरिक्त न्यायमूर्ति एसए बोबडे भी थे, जो देश के अगले प्रधान न्यायाधीश बनने वाले हैं.

नई दिल्ली: 17 नवंबर को सीजेआई के पद से सेवानिवृत्त हो रहे न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने अपने विदाई समारोह के दौरान कहा कि सुप्रीम कोर्ट में हमेशा मेरा अंश रहेगा. वहीं, उन्होंने पत्रकारों को अलग-अलग साक्षात्कार देने में अपनी असमर्थता जाहिर की.

हालांकि, उन्होंने न्यायपालिका के कठिन समय में 'अफवाह और झूठ' को रोकने में प्रेस की परिपक्वता और व्यवहार को लेकर उसकी सराहना की.

देश के 46 वें एवं पूर्वोत्तर के किसी राज्य से भारत के प्रथम सीजेआई न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के लिये यह जरूरी नहीं है कि न्यायाधीश प्रेस के जरिये हमारे नागरिक वर्ग तक पहुंचे.

रंजन गोगोई का विदाई समारोह

रविवार 17 नवंबर को सीजेआई के पद से सेवानिवृत्त हो रहे न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, 'इस तरह की पहुंच (प्रेस तक) एक असाधारण स्थिति के लिये प्रतीकात्मक होनी चाहिए, जहां नियम में एक अपवाद की मांग हो.'

न्यायमूर्ति गोगोई और शीर्ष न्यायालय के तीन अन्य न्यायाधीशों न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने 12 जनवरी 2018 को एक अभूतपूर्व

संवाददाता सम्मेलन कर आरोप लगाया था कि उच्चतम न्यायालय में प्रशासन और मामलों का आवंटन सही तरीके से नहीं हो रहा. उस वक्त न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा सीजेआई थे.

सीजेआई ने पत्रकारों को लिखे तीन पृष्ठों के एक साझा पत्र में साक्षात्कार के अनुरोधों को मना कर दिया और कहा, 'मैं अलग-अलग मिलने के आपके अनुरोध को पूरा कर पाने में सक्षम नहीं हूं,'

पत्र में कहा गया है, 'मैं चाहता हूं कि आप इस बात की सराहना करें कि सामान्य स्वतंत्रताएं हमारे संस्थागत कामकाज में बखूबी संतुलित हैं-जब आपके पास बार हैं जिनके सदस्य

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इस्तेमाल ऐसी स्वंत्रताओं की सीमाओं से आगे भी कर सकते हैं, वहीं पीठ को इस बात की जरूरत है कि अपनी स्वतंत्रताओं का इस्तेमाल करने के दौरान इसके न्यायाधीश खामोश बने रहें.'

उन्होंने कहा,'यह नहीं कहा जा रहा कि न्यायाधीश नहीं बोले. वे बोल सकते हैं लेकिन सिर्फ कामकाजी आवश्यकता के लिये कड़वी सच्चाई अवश्य ही स्मृति में रहनी चाहिए.'

सीजेआई ने शीर्ष न्यायिक संस्था के मुश्किल वक्त के दौरान खबरों के लिये मीडिया की भूमिका की सराहना की.

पढ़ें- मोदी सरकार को बड़ी राहत, 'राफेल सौदे की नहीं होगी जांच'

न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, 'हमारे संस्थागत स्वास्थ्य का परिचय देने वाले मापदंडों में अच्छा प्रेस भी शामिल है. इस बारे में मैं यह कहना चाहूंगा कि बहुत हद तक प्रेस कोर मेरे कार्यालय और हमारी संस्था के प्रति मेरे कार्यकाल के दौरान उदार रहा.'

पत्र में कहा गया है कि यहां तक कि न्यायपालिका के मुश्किल वक्त में भी प्रेस के ज्यादातर लोगों ने परिपक्वता दिखाई और अच्छा व्यवहार किया. उन्होंने अफवाह और झूठ को रोकने के लिये असाधारण विवेक का इस्तेमाल किया.

न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि एक सार्वजनिक प्राधिकार होने के नाते, जिसे संवैधानिक कर्तव्यों का निवर्हन करने की जिम्मेदारी दी गई है, प्रेस का समर्थन पाने का विचार संस्था के हित में उनके समक्ष कभी विकल्प के रूप में नहीं आया.

उन्होंने कहा, 'मैंने एक ऐसी संस्था से जुड़े रहने का रास्ता चुना, जिसकी मजबूती लोगों के भरोसे में निहित है और विश्वास अच्छे प्रेस के जरिये नहीं बल्कि पीठ के न्यायाधीशों के तौर पर हमारे काम से हासिल किया जाता हो.

पढ़ें- राजघाट पहुंचे प्रधान न्यायधीश रंजन गोगोई, बापू को दी श्रद्धांजलि

हालांकि, सीजेआई गोगोई रविवार को सेवानिवृत्त हो रहे हैं लेकिन शुक्रवार उनका अंतिम कार्य दिवस था. वह उच्चतम न्यायालय के कक्ष संख्या एक में पीठ में अंतिम बार शुक्रवार को शामिल हुए.

शीर्ष न्यायालय का कक्ष संख्या एक प्रधान न्यायाधीश का कक्ष होता है. न्यायमूर्ति गोगोई महज चार मिनट के लिए इस पीठ में बैठे. पीठ में उनके अतिरिक्त न्यायमूर्ति एसए बोबडे भी थे, जो देश के अगले प्रधान न्यायाधीश बनने वाले हैं.

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CJI-LETTER
Outgoing CJI Gogoi declines requests for interviews, lauds media for maturity in trying times of SC
         New Delhi, Nov 15 (PTI) Outgoing Chief Justice India (CJI) Ranjan Gogoi on Friday expressed his inability to have one-to-one interview with scribes and lauded the press for its "maturity" and "character" in preventing "canards and falsehood" in "trying times" of the judiciary.
         Justice Gogoi, the 46th CJI and the first from a north-eastern state, said it was not the requirement of the Supreme Court that judges "reach out to our citizenry through the press".
         "Such outreach (to the press) ought to be symbolic of an extraordinary situation demanding an exception to the norm," said Justice Gogoi who would demit office on November 17, a Sunday.
         Justice Gogoi and three other senior most apex court judges -- Justices J Chelameswar, Madan B Lokur and Kurian Joseph had held an unprecedented press conference on January 12, 2018 alleging that the administration and allocation of cases in the apex court, then headed by the then CJI Dipak Misra, was "not in order".
         In a three-page common letter to journalists, the CJI declined the request for interviews and said: "I would not be able to meet your request for a one-to-one meet."
         The letter said: "I am keen that you would appreciate that the ordinary freedoms are finely balanced in our institutional functioning - while you have the Bar whose members can exercise their freedom of speech to the extent of even pushing the boundaries of such freedom, the bench requires its judges to maintain silence, while exercising their freedoms.
         "This is not to say that Judges do not speak. They do speak, but only out of functional necessity, and no more. Bitter truth must remain in memory."
         The CJI lauded the role of media for its reportage during the "trying times" of the apex judicial institution.
         "Good press is also a parameter amongst others that is known to be indicative of our institutional health. In such view, I do wish to put on record that by and large, the press corps has been kind to my office as well as to our institution during my tenure at the helm of the institution.
         "Even during trying times. When our institution was keeping an ambush or two at bay, most members of the press displayed maturity and character ad exercised exceptional discretion to prevent canards and falsehood from clogging the news space," the letter said.          
         Justice Gogoi said that as a public functionary, who was entrusted with onerous Constitutional duties to perform, the idea of "courting the press" never came as a choice for him in the interest of the institution.
         "I chose to belong to an institution whose strength lay in public confidence and trust earned not through good press, but through our work as Judges on the bench.
         "In fact, our work-places are, by our functional necessity, required to be public places as justice is ordained to be delivered in presence of ordinary citizens to ensure that it is never far removed from them. In that view, our institutional connect and interface with the citizenry is proximate," the letter said.
         Though the CJI is officially retiring on November 17, a Sunday, Friday was his last working day. PTI PKS SJK RKS
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Last Updated : Nov 15, 2019, 10:02 PM IST
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