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जानें विवादास्पद मामलों को सुलझाने में सीबीआई की अब तक की भूमिका

बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में जांच की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को दी है. जिसके बाद ईटीवी भारत ने सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक एनके सिंह से बातचीत की. जिसमें उन्होंने अब तक सीबीआई के द्वारा किए गए मामलों की जांच के बारे में बताया, इसके साथ ही किस मामले में सीबीआई विफल रही उसकी भी जानकारी दी.

Controversial cases of CBI
सीबीआई के विवादास्पद मामले
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Published : Aug 23, 2020, 7:14 PM IST

नई दिल्ली : बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की विवादास्पद मौत ने पूरे देश को हिला दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) को सौंपा है. सीबीआई को ज्यादा तर निष्पक्ष रूप से कानून की एक एजेंसी के रूप में कार्य करने में असफलता के लिए आलोचना की गई है. इसके बाद भी प्रभावशाली व्यक्तियों के उलझे मामलों की जांच के लिए सीबीआई की मांग रही है.

भ्रष्टाचार से लेकर हत्या तक, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) भारत में किसी भी मामलों की जांच करने वाली एक एजेंसी है. जब भी कोई महत्वपूर्ण केस होता है तो उसकी जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा जाता है. जिसमें राजनेताओं के केस, बैंक धोखाधड़ी, बड़े व्यवसायी और बलात्कार जैसे हाई प्रोफाइल मामले शामिल होते हैं, लेकिन सीबीआई के कई ऐसे मामले हैं, जिन्हें अब तक सुलझाया नहीं जा सका है. आइए जानते हैं सीबीआई के उतार-चढ़ाव वाले मामले.

सीबीआई के बारे में जानकारी लेने के लिए ईटीवी भारत ने सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक, एनके सिंह से खास बाचचीत की. उन्होंने बताया कि 'सीबीआई में कई उतार-चढ़ाव आए हैं, मैंने सीबीआई में 10 साल की सेवा दी थी. कोई भी संस्था आज वह नहीं है जो पहले थी, इसमें सीबीआई भी शामिल है. लोगों को सीबीआई पर बहुत भरोसा है, हालांकि कभी-कभी यह अच्छा काम करने में असफल रही है और कई बार इसे अच्छा काम करने के लिए क्रेडिट भी मिला है. मैंने सेंट किट्स फोर्जरी केस समेत कई भ्रष्टाचार के मामले संभाले हैं.'

पूर्व सीबीआई अधिकारी ने दो अक्टूबर, 1977 को इंदिरा गांधी को गिरफ्तार किया था. आगे सिंह बताते हैं कि 'किसी भी मामले को उठाने के लिए सीबीआई को सरकार से मंजूरी लेनी होगी जो पहले नहीं थी. इसने सीबीआई की स्वतंत्र स्वायत्ता पर एक छाया डाली है. फिर भी लोगों को सीबीआई पर भरोसा है.'

वह कहते हैं कि सीबीआई के काम में किसी प्रकार का राजनौतिक हस्तक्षेप सही नहीं है. हालांकि सरकार के पास सीबीआई की देखरेख करने की शक्ति है.

सीबीआई के कुछ सनसनीखेज मामले

स्टर्लिंग बायोटेक घोटाला : बदनाम स्टर्लिंग बायोटेक घोटाला, जिसमें चेतन संदेसरा और उनके भाई सांदेसरा शामिल थे. वड़ोदरा स्थित स्टर्लिंग बायोटेक के निदेशकों ने कथित तौर पर 5,700 करोड़ रुपये के लगभग छह बैंकों को धोखा दिया था. सीबीआई ने कुछ डेयरियों का पता लगाया, जिसमें स्टर्लिंग बायोटेक द्वारा जनवरी और जून 2011 में लोगों और फर्मों को किए गए भुगतान का विवरण था.

विजय माल्या मामला : विजय माल्या के बैंक धोखाधड़ी का मामला सबसे ज्यादा चर्चित मामले में से एक था. माल्या 9,000 करोड़ रुपये की हेराफेरी कर बैंकों को कथित रूप से ठगने के बाद माल्य 2016 में भारत से ब्रिटेन भाग गया.

चॉपर घोटाला : सीबीआई द्वारा संभाला गया सबसे संवेदनशील मामला 3,600 करोड़ रुपये का अगस्ता वेस्टलैंड चॉपर घोटाला है, जिसमें भारत के 12 अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टरों को इतालवी रक्षा विनिर्माण क्षेत्र की दिग्गज कंपनी फिनमेकेनिका द्वारा खरीदने के लिए सहमत होने के बाद बिचौलियों और यहां तक कि राजनेताओं पर रिश्वत देने का आरोप सामने आया था.

शारदा चिट फंड घोटाला : यह मामला 2013 में प्रकाश में आया था. इसमें सीबीआई द्वारा जांच की जा रही थी, जिसमें एक फर्जी कंपनी में 200 लोग शामिल थे. शारदा समूह पर पोंजी स्कीम चलाकर अपने कंपनी में निवेश करने वालों के एक लाख से अधिक की धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया था. सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी के खिलाफ भी आरोप पत्र दखिल किया था.

पढ़ें - सुशांत की पड़ोसी का खुलासा, 13 जून की रात बंद थी कमरे की लाइट

सीबीआई की विफलता
टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन में कथित भ्रष्टाचार के मामलों से लेकर सनसनीखेज आरुषि हत्याकांड जैसे आपराधिक मामलों तक, सीबीआई द्वारा की गई जांच ने न केवल ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट से बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने भी तीखी आलोचना मिली थी.

यूपीए के नेतृत्व में सरकार के दौरान प्रसिद्ध टू जी स्पेक्ट्रम के मामलों ने सीबीआई द्वारा चार अलग-अलग मामलों में चार्जशीट दाखिल करने के साथ-साथ लाखों पन्नों का दस्तावेज दाखिल किया, लेकिन एजेंसी एक भी आरोपी का दोष सिद्ध नहीं कर सकी.

इस साल मार्च में एक समाचार एजेंसी द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, सीबीआई ने 4,985 मामले दर्ज किए हैं, जिनमें 4,300 नियमित मामले और 685 प्रारंभिक पूछताछ, एक जनवरी 2015 से 29 फरवरी, 2020 के बीच की गई. सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, इस अवधि के दौरान सीबीआई ने 4,717 मामलों (3987 आरसी और 730 पीई) की जांच की.

एक जनवरी, 2015 से 29 फरवरी, 2020 तक सीबीआई ने 3,700 मामलों में आरोप पत्र दायर किए हैं.

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सीबीआई की सजा की दर 65-70 प्रतिशत है, जो दुनिया की सबसे अच्छी जांच एजेंसियों के लिए तुलनीय है, लेकिन यह सीबीई को आत्महत्या मामलों को निपटाने के लिए पर्याप्त नहीं है, जिनमें से एक भी अपने तार्किक निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा है.

एजेंसी ने अब तक मुट्ठी भर आत्महत्या मामलों की जांच की है, लेकिन उनमें से किसी में भी, सीबीआई यह साबित नहीं कर सकी कि संदिग्ध ने मृतक को आत्महत्या के लिए कैसे उकसाया.

उदाहरण के तौर पर सुशांत के अलावा सीबीआई बॉलीवुड अभिनेत्री जिया खान की मौत की जांच की थी. जिसमें सुरज पंचोली पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप था. सीबीआई ने इस मामले में 2017 में आरोप पत्र दायर किया, लेकिन इस केश में कुछ भी साबित नहीं कर पाई.

नई दिल्ली : बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की विवादास्पद मौत ने पूरे देश को हिला दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) को सौंपा है. सीबीआई को ज्यादा तर निष्पक्ष रूप से कानून की एक एजेंसी के रूप में कार्य करने में असफलता के लिए आलोचना की गई है. इसके बाद भी प्रभावशाली व्यक्तियों के उलझे मामलों की जांच के लिए सीबीआई की मांग रही है.

भ्रष्टाचार से लेकर हत्या तक, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) भारत में किसी भी मामलों की जांच करने वाली एक एजेंसी है. जब भी कोई महत्वपूर्ण केस होता है तो उसकी जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा जाता है. जिसमें राजनेताओं के केस, बैंक धोखाधड़ी, बड़े व्यवसायी और बलात्कार जैसे हाई प्रोफाइल मामले शामिल होते हैं, लेकिन सीबीआई के कई ऐसे मामले हैं, जिन्हें अब तक सुलझाया नहीं जा सका है. आइए जानते हैं सीबीआई के उतार-चढ़ाव वाले मामले.

सीबीआई के बारे में जानकारी लेने के लिए ईटीवी भारत ने सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक, एनके सिंह से खास बाचचीत की. उन्होंने बताया कि 'सीबीआई में कई उतार-चढ़ाव आए हैं, मैंने सीबीआई में 10 साल की सेवा दी थी. कोई भी संस्था आज वह नहीं है जो पहले थी, इसमें सीबीआई भी शामिल है. लोगों को सीबीआई पर बहुत भरोसा है, हालांकि कभी-कभी यह अच्छा काम करने में असफल रही है और कई बार इसे अच्छा काम करने के लिए क्रेडिट भी मिला है. मैंने सेंट किट्स फोर्जरी केस समेत कई भ्रष्टाचार के मामले संभाले हैं.'

पूर्व सीबीआई अधिकारी ने दो अक्टूबर, 1977 को इंदिरा गांधी को गिरफ्तार किया था. आगे सिंह बताते हैं कि 'किसी भी मामले को उठाने के लिए सीबीआई को सरकार से मंजूरी लेनी होगी जो पहले नहीं थी. इसने सीबीआई की स्वतंत्र स्वायत्ता पर एक छाया डाली है. फिर भी लोगों को सीबीआई पर भरोसा है.'

वह कहते हैं कि सीबीआई के काम में किसी प्रकार का राजनौतिक हस्तक्षेप सही नहीं है. हालांकि सरकार के पास सीबीआई की देखरेख करने की शक्ति है.

सीबीआई के कुछ सनसनीखेज मामले

स्टर्लिंग बायोटेक घोटाला : बदनाम स्टर्लिंग बायोटेक घोटाला, जिसमें चेतन संदेसरा और उनके भाई सांदेसरा शामिल थे. वड़ोदरा स्थित स्टर्लिंग बायोटेक के निदेशकों ने कथित तौर पर 5,700 करोड़ रुपये के लगभग छह बैंकों को धोखा दिया था. सीबीआई ने कुछ डेयरियों का पता लगाया, जिसमें स्टर्लिंग बायोटेक द्वारा जनवरी और जून 2011 में लोगों और फर्मों को किए गए भुगतान का विवरण था.

विजय माल्या मामला : विजय माल्या के बैंक धोखाधड़ी का मामला सबसे ज्यादा चर्चित मामले में से एक था. माल्या 9,000 करोड़ रुपये की हेराफेरी कर बैंकों को कथित रूप से ठगने के बाद माल्य 2016 में भारत से ब्रिटेन भाग गया.

चॉपर घोटाला : सीबीआई द्वारा संभाला गया सबसे संवेदनशील मामला 3,600 करोड़ रुपये का अगस्ता वेस्टलैंड चॉपर घोटाला है, जिसमें भारत के 12 अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टरों को इतालवी रक्षा विनिर्माण क्षेत्र की दिग्गज कंपनी फिनमेकेनिका द्वारा खरीदने के लिए सहमत होने के बाद बिचौलियों और यहां तक कि राजनेताओं पर रिश्वत देने का आरोप सामने आया था.

शारदा चिट फंड घोटाला : यह मामला 2013 में प्रकाश में आया था. इसमें सीबीआई द्वारा जांच की जा रही थी, जिसमें एक फर्जी कंपनी में 200 लोग शामिल थे. शारदा समूह पर पोंजी स्कीम चलाकर अपने कंपनी में निवेश करने वालों के एक लाख से अधिक की धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया था. सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी के खिलाफ भी आरोप पत्र दखिल किया था.

पढ़ें - सुशांत की पड़ोसी का खुलासा, 13 जून की रात बंद थी कमरे की लाइट

सीबीआई की विफलता
टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन में कथित भ्रष्टाचार के मामलों से लेकर सनसनीखेज आरुषि हत्याकांड जैसे आपराधिक मामलों तक, सीबीआई द्वारा की गई जांच ने न केवल ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट से बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने भी तीखी आलोचना मिली थी.

यूपीए के नेतृत्व में सरकार के दौरान प्रसिद्ध टू जी स्पेक्ट्रम के मामलों ने सीबीआई द्वारा चार अलग-अलग मामलों में चार्जशीट दाखिल करने के साथ-साथ लाखों पन्नों का दस्तावेज दाखिल किया, लेकिन एजेंसी एक भी आरोपी का दोष सिद्ध नहीं कर सकी.

इस साल मार्च में एक समाचार एजेंसी द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, सीबीआई ने 4,985 मामले दर्ज किए हैं, जिनमें 4,300 नियमित मामले और 685 प्रारंभिक पूछताछ, एक जनवरी 2015 से 29 फरवरी, 2020 के बीच की गई. सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, इस अवधि के दौरान सीबीआई ने 4,717 मामलों (3987 आरसी और 730 पीई) की जांच की.

एक जनवरी, 2015 से 29 फरवरी, 2020 तक सीबीआई ने 3,700 मामलों में आरोप पत्र दायर किए हैं.

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सीबीआई की सजा की दर 65-70 प्रतिशत है, जो दुनिया की सबसे अच्छी जांच एजेंसियों के लिए तुलनीय है, लेकिन यह सीबीई को आत्महत्या मामलों को निपटाने के लिए पर्याप्त नहीं है, जिनमें से एक भी अपने तार्किक निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा है.

एजेंसी ने अब तक मुट्ठी भर आत्महत्या मामलों की जांच की है, लेकिन उनमें से किसी में भी, सीबीआई यह साबित नहीं कर सकी कि संदिग्ध ने मृतक को आत्महत्या के लिए कैसे उकसाया.

उदाहरण के तौर पर सुशांत के अलावा सीबीआई बॉलीवुड अभिनेत्री जिया खान की मौत की जांच की थी. जिसमें सुरज पंचोली पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप था. सीबीआई ने इस मामले में 2017 में आरोप पत्र दायर किया, लेकिन इस केश में कुछ भी साबित नहीं कर पाई.

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