शहडोल: जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का, फिर देखना फिजूल है कद आसमान का. पर हौसला बनाने की कोई उम्र नहीं होती, तभी तो 80 साल की जोधइया बाई के हौसले के आगे युवा पानी भरते नजर आते हैं. 30 साल की उम्र में पति का साथ छूटने के बाद बच्चों की परवरिश का जिम्मा जोधइया बाई के कंधों पर आ गया और मजदूरी के सहारे बच्चों की भूख मिटाने लगीं, लेकिन कम आय के चलते बच्चों को कई बार फांका भी मारना पड़ जाता था, तभी 60 साल की उम्र में स्वामी आशीष ने जोधइया बाई को ब्रश पकड़ा दिया, फिर तो जोधइया बाई खुद ही अपने सपनों में रंग भरने लगीं और देखते ही देखते एक नामी कलाकार बन गईं.
शहडोल संभाग के उमरिया जिले के लोढ़ा गांव की रहने वाली बैगा आदिसावासी जोधइया बाई इन दिनों चर्चा में हैं क्योंकि 80 साल की उम्र में भी उनकी कलाकारी की दुनिया मुरीद है. उनकी बनाई कला की प्रदर्शनी इटली के मिलान शहर में लगी है. जो 11 अक्टूबर तक चलेगी. उनके हुनर की धाक ऐसी है कि प्रदर्शनी के आमंत्रण पत्र का कवर पेज भी जोधइया बाई की पेंटिंग से रंग दिया गया है. कहने के लिए तो जोधइया बाई अनपढ़ हैं, वो इटली को सिर्फ सोनिया गांधी के घर के नाम से जानती हैं. पर उनकी कला अच्छे-खासे पढ़े-लिखों के पसीने छुड़ाने के लिए काफी है.
पढ़ें-इटली के मिलान की प्रदर्शनी में दिखाई जा रही 80 वर्ष की वृद्ध आदिवासी महिला की पेंटिग
जोधइया बाई के गुरू जनगण तस्वीर खाना के संचालक आशीष स्वामी जोधइया बाई के कला से बहुत प्रभावित हैं, वे कहते हैं कि उनमें एक अलग ही टैलेंट है, तभी तो इतने कम समय में इतना कुछ सीख लिया, जोधइया ने बढ़ती उम्र को भी अपनी कामयाबी के आड़े नहीं आने दिया. उसी का नतीजा है कि इटली जैसे देश में उनकी कलाकारी की कद्र हो रही है, अब फ्रांस में भी उनकी चित्रकारी प्रदर्शित की जाएगी.
जोधइया बाई बैगा की चित्रकारी मध्यप्रदेश के जनजातीय संग्रहालय, शांति निकेतन, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा सहित कई अलग अलग जगहों पर प्रदर्शित की जा चुकी है, 80 साल की उम्र में भी जोधइया बाई बैगा का जोश 20 साल के युवा से कम नहीं है. जो अपने हुनर से बुजुर्गों के साथ-साथ युवाओं व समाज के लिए बड़ी नजीर पेश कर रही हैं.