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श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन के चार साल, गांव के विकास में अहम भूमिका - नरेंद्र सिंह तोमर ने कार्यक्रम का उद्घाटन

दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल स्टेडियम में आज श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन की चौथी वर्षगांठ मनाई गई. इस योजना को 21 फरवरी 2016 में लागू किया गया था. जानें क्या है ये योजना और इसका लाभ...

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श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन की चौथी वर्षगांठ
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Published : Feb 25, 2020, 2:50 AM IST

Updated : Mar 2, 2020, 11:40 AM IST

नई दिल्ली : दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आज श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन (रूरल अर्बन) की चौथी वर्षगांठ का आयोजन किया गया. इस योजना का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 फरवरी 2016 को किया था. इसका उद्देश्य दूरदराज और ग्रामीण इलाकों में शहर जैसी सुविधाएं स्थापित करना है.

इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों को विकसित करने के लिए क्लस्टर्स में बांटा गया है और वहां सुविधाओं के साथ-साथ रोजगार के अवसर बढ़ाने पर भी काम करना इस मिशन का हिस्सा है.

आज केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा की रुर्बन मिशन भारतीय संस्कृति और परंपरा को जीवंत रखने की योजना है.

किसी भी क्षेत्र के विकास में वहां के समुदाय के हितों का ध्यान में रखना जरूरी होता है और क्षेत्र और क्लस्टर के विकास में यह फलदाई साबित हुआ है. केंद्रीय मंत्री ने सभी से आवाहन किया कि वह 'सबका साथ सबका विकास' के उद्देश्य को पूरी प्रतिबद्धता के साथ पूरा करने के लिए काम करें.

श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन की चौथी वर्षगांठ

उन्होंने कहा कि जब केंद्र और राज्य सरकारों के साथ समुदायों की भावना भी जुड़ जाती है तो क्लस्टर का विकास और उनसे संबंधित योजनाएं भी अपना उद्देश्य प्राप्त करने में सफल होती हैं.

पढ़ें- दिल्ली हिंसा के बाद कई मेट्रो स्टेशन बंद, गृह राज्यमंत्री ने कहा- रची गई साजिश

ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने मिशन की सफलताओं के बारे में बताते हुए कहा कि अभी तक कुल 300 क्लस्टर बनाए गए थे, जिसमें की 296 क्लस्टर को मंजूरी दे दी गई है.

यह मिशन ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को रोजगार के अवसर मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ शहरी सुविधाएं जैसे कि स्मार्ट क्लासरूम, पाइप से पानी आपूर्ति, बेहतर सड़क, एग्रो प्रोसेसिंग इत्यादि की सुविधाएं मुहैया कराता है, जोकि उस क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए बेहद उपयोगी होते हैं.

जानिए क्या है श्यामा प्रसाद रुर्बन मिशन : इस योजना के तहत शहरों के पास के सभी गांवों को समूह यानि की क्लस्टर में वर्गीकृत किया जाता है. प्रत्येक क्लस्टर को हर साल 10 करोड़ रुपए की राशि दी जाएगी, जिससे गांवों की बुनियादी सुविधाओं पर खर्च किया जाएगा.

नई दिल्ली : दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आज श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन (रूरल अर्बन) की चौथी वर्षगांठ का आयोजन किया गया. इस योजना का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 फरवरी 2016 को किया था. इसका उद्देश्य दूरदराज और ग्रामीण इलाकों में शहर जैसी सुविधाएं स्थापित करना है.

इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों को विकसित करने के लिए क्लस्टर्स में बांटा गया है और वहां सुविधाओं के साथ-साथ रोजगार के अवसर बढ़ाने पर भी काम करना इस मिशन का हिस्सा है.

आज केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा की रुर्बन मिशन भारतीय संस्कृति और परंपरा को जीवंत रखने की योजना है.

किसी भी क्षेत्र के विकास में वहां के समुदाय के हितों का ध्यान में रखना जरूरी होता है और क्षेत्र और क्लस्टर के विकास में यह फलदाई साबित हुआ है. केंद्रीय मंत्री ने सभी से आवाहन किया कि वह 'सबका साथ सबका विकास' के उद्देश्य को पूरी प्रतिबद्धता के साथ पूरा करने के लिए काम करें.

श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन की चौथी वर्षगांठ

उन्होंने कहा कि जब केंद्र और राज्य सरकारों के साथ समुदायों की भावना भी जुड़ जाती है तो क्लस्टर का विकास और उनसे संबंधित योजनाएं भी अपना उद्देश्य प्राप्त करने में सफल होती हैं.

पढ़ें- दिल्ली हिंसा के बाद कई मेट्रो स्टेशन बंद, गृह राज्यमंत्री ने कहा- रची गई साजिश

ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने मिशन की सफलताओं के बारे में बताते हुए कहा कि अभी तक कुल 300 क्लस्टर बनाए गए थे, जिसमें की 296 क्लस्टर को मंजूरी दे दी गई है.

यह मिशन ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को रोजगार के अवसर मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ शहरी सुविधाएं जैसे कि स्मार्ट क्लासरूम, पाइप से पानी आपूर्ति, बेहतर सड़क, एग्रो प्रोसेसिंग इत्यादि की सुविधाएं मुहैया कराता है, जोकि उस क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए बेहद उपयोगी होते हैं.

जानिए क्या है श्यामा प्रसाद रुर्बन मिशन : इस योजना के तहत शहरों के पास के सभी गांवों को समूह यानि की क्लस्टर में वर्गीकृत किया जाता है. प्रत्येक क्लस्टर को हर साल 10 करोड़ रुपए की राशि दी जाएगी, जिससे गांवों की बुनियादी सुविधाओं पर खर्च किया जाएगा.

Last Updated : Mar 2, 2020, 11:40 AM IST
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