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लघु उद्योग को बढ़ावा देगी रेलवे, 400 रेलवे स्टेशनों पर मिट्टी के कुल्हड़ में मिलेगी चाय-लस्सी

रेल मंत्रालय ने रेल यात्रियों के लिए देश के 400 रेलवे स्टेशनों पर मिट्टी के बर्तनों में खाने-पीने का सामानकराने का निर्णय किया है. पढ़ें पूरी खबर....

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Published : Sep 13, 2019, 10:43 AM IST

Updated : Sep 30, 2019, 10:39 AM IST

नई दिल्लीः रेल यात्रियों को जल्दी ही 400 रेलवे स्टेशनों पर चाय, लस्सी और खाने- पीने का सामान मिट्टी से बने कुल्हड़, गिलास और दूसरे बर्तनों में मिलने लगेगा. खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने गुरुवार को कहा कि रेल मंत्रालय ने 400 रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों को खाने-पीने का सामान मिट्टी से बने बर्तनों में उपलब्ध कराने का निर्णय किया है.

इस कदम से जहां एक तरफ स्थानीय और पर्यावरण अनुकूल उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा, प्लास्टिक के उपयोग पर अंकुश लगेगा वहीं दूसरी तरफ कुम्हारों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी.

केवीआईसी के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि रेलवे की इस पहल से उत्साहित आयोग कुम्हारों के बीच 30,000 इलेक्ट्रिक चाक का वितरण करने का फैसला किया है. साथ ही मिट्टी के बने सामानों को पुनर्चक्रमण और नष्ट करने के लिये मशीन (ग्राइंडिंग मशीन) भी उपलब्ध कराएगा.

उन्होंने कहा कि हम इस साल 30,000 इलेक्ट्रिक चाक दे रहे हैं. इससे रोजाना 2 करोड़ कुल्हड़ और मिट्टी के सामान बनाये जा सकते हैं. प्रक्रिया अगले 15 दिनों में शुरू हो जानी चाहिए.

केवीआईसी के बयान के अनुसार केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले महीने इस बारे में रेल मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर रेलवे स्टेशनों पर कुल्हड़ जैसे मिट्टी के बर्तन के उपयोग को लेकर संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने का आग्रह किया था.

उसके बाद केवीआईसी के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने भी इस संदर्भ में रेल मंत्री से मुलाकात की थी.

ये भी पढ़ेंः इस वर्ष भी 'भारतीय रेल रामायण सर्किट यात्रा'

उल्लेखनीय है कि रेलवे प्रयोग के तौर पर उत्तर प्रदेश के वाराणसी और रायबरेली रेलवे स्टेशनों पर इस साल जनवरी से मिट्टी के बने बर्तनों का उपयोग कर रहा था. इन दोनों स्टेशनों पर इस पहल से प्लास्टिक की समस्या से निपटने में मदद मिली है.

केवीआईसी के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए रेलवे ने विभिन्न रेल मंडलों के सभी प्रधान मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधकों और आईआरसीटीसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक (सीएमडी) को पत्र लिखकर स्थानीय रूप से उत्पादित पर्यावरण अनुकूल मिट्टी से बने कुल्हड़, गिलास और प्लेट के उपयोग करने का निर्देश दिया है. इन सामानों का उपयोग देश के 400 रेलवे स्टेशनों पर किया जाएगा.

खादी एवं ग्रमोद्योग आयोग कुम्हारों को सशक्त बनाने के लिये 'कुम्हार सशक्तिकरण योजना' चला रहा है. इसके तहत 31 मार्च 2019 तक 10,620 बिजली से चलने वाले चाक उपलब्ध कराये गये हैं.

केवीआईसी के अनुसार बिजली से चलने वाले चाक के कारण कुम्हारों की उत्पादन क्षमता काफी बढ़ी है.

नई दिल्लीः रेल यात्रियों को जल्दी ही 400 रेलवे स्टेशनों पर चाय, लस्सी और खाने- पीने का सामान मिट्टी से बने कुल्हड़, गिलास और दूसरे बर्तनों में मिलने लगेगा. खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने गुरुवार को कहा कि रेल मंत्रालय ने 400 रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों को खाने-पीने का सामान मिट्टी से बने बर्तनों में उपलब्ध कराने का निर्णय किया है.

इस कदम से जहां एक तरफ स्थानीय और पर्यावरण अनुकूल उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा, प्लास्टिक के उपयोग पर अंकुश लगेगा वहीं दूसरी तरफ कुम्हारों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी.

केवीआईसी के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि रेलवे की इस पहल से उत्साहित आयोग कुम्हारों के बीच 30,000 इलेक्ट्रिक चाक का वितरण करने का फैसला किया है. साथ ही मिट्टी के बने सामानों को पुनर्चक्रमण और नष्ट करने के लिये मशीन (ग्राइंडिंग मशीन) भी उपलब्ध कराएगा.

उन्होंने कहा कि हम इस साल 30,000 इलेक्ट्रिक चाक दे रहे हैं. इससे रोजाना 2 करोड़ कुल्हड़ और मिट्टी के सामान बनाये जा सकते हैं. प्रक्रिया अगले 15 दिनों में शुरू हो जानी चाहिए.

केवीआईसी के बयान के अनुसार केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले महीने इस बारे में रेल मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर रेलवे स्टेशनों पर कुल्हड़ जैसे मिट्टी के बर्तन के उपयोग को लेकर संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने का आग्रह किया था.

उसके बाद केवीआईसी के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने भी इस संदर्भ में रेल मंत्री से मुलाकात की थी.

ये भी पढ़ेंः इस वर्ष भी 'भारतीय रेल रामायण सर्किट यात्रा'

उल्लेखनीय है कि रेलवे प्रयोग के तौर पर उत्तर प्रदेश के वाराणसी और रायबरेली रेलवे स्टेशनों पर इस साल जनवरी से मिट्टी के बने बर्तनों का उपयोग कर रहा था. इन दोनों स्टेशनों पर इस पहल से प्लास्टिक की समस्या से निपटने में मदद मिली है.

केवीआईसी के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए रेलवे ने विभिन्न रेल मंडलों के सभी प्रधान मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधकों और आईआरसीटीसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक (सीएमडी) को पत्र लिखकर स्थानीय रूप से उत्पादित पर्यावरण अनुकूल मिट्टी से बने कुल्हड़, गिलास और प्लेट के उपयोग करने का निर्देश दिया है. इन सामानों का उपयोग देश के 400 रेलवे स्टेशनों पर किया जाएगा.

खादी एवं ग्रमोद्योग आयोग कुम्हारों को सशक्त बनाने के लिये 'कुम्हार सशक्तिकरण योजना' चला रहा है. इसके तहत 31 मार्च 2019 तक 10,620 बिजली से चलने वाले चाक उपलब्ध कराये गये हैं.

केवीआईसी के अनुसार बिजली से चलने वाले चाक के कारण कुम्हारों की उत्पादन क्षमता काफी बढ़ी है.

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BIZ-RAILWAYS-KULHAD
Passengers at 400 railway stations to soon be served tea in kulhads
         New Delhi, Sep 12 (PTI) Rail passengers will soon be served tea, snacks and meals in kulhads and other earthenware plates at 400 major stations across the country in deference to the wish of Prime Minister Narendra Modi to make India free from single-use plastic.
         Khadi and Village Industries Commission (KVIC) will be providing 30,000 electric potter wheels and also grinding machines to recycle/crush the earthenware, its chairman Vinai Kumar Saxena told PTI.
         "We are giving 30,000 potter wheels this year which can be used to produce 2 crore kulhads and other terracotta utensils daily," he said, adding the process should start within 15 days.
         The Ministry of Railways has already directed all Principal Chief Commercial Managers of different Zonal Railways and CMD IRCTC "to further proliferate use of locally-produced environment-savvy terracotta products like kulhad, glasses and plates for serving catering items at 400 railway Stations across Indian Railways", said Saxena.
         KVIC had earned kudos for its Kumhaar Sashaktikaran Yojana' (Potters' Empowerment Plan), which the Commission claims brought significant positive changes in the lives of potters across the country.
         The Railways is already using pottery products at Varanasi and Rae Bareilly railway stations in Uttar Pradesh.
         Consequent to its success at the two stations, MSME Minister Nitin Gadkari had written a letter to his Railways counterpart Piyush Goyal for issuing necessary directives to the concerned officials for adoption of locally-produced pottery products for serving tea, lassi and other food items in earthenware to enhance income of potters.
         Saxena has also urged the railways ministry to conduct an internal survey to get the feedback from Varanasi and Rae Bareilly stations, where the public transporter had adopted terracotta products.
         The feedback was reportedly very good and plastic menace had been reducing at both the stations that made the railway minister very happy, he said.
         Referring to Kumhar Sashaktikaran Yojana, he said till end-March 2019, KVIC has already distributed 10,620 electric potter wheels along with adequate blungers, pug-mills and electric kilns, which produce about 75 lakh kulhads and other terracotta items per day.
         In his address to the nation from Red Fort on Independence Day, Prime Minister Modi had given a clarion call to free India from single-use plastic.
         He had called upon the citizens to give up single-use plastic by October 2, the birth anniversary of Mahatma Gandhi.
          According to the Environment Ministry, about 20,000 tonnes of plastic waste is generated every day in the country and out of which only 13,000-14000 tonnes are collected.
         Meanwhile, the Railways has set a target of installing plastic water bottle crushers in 407 of its stations in metros and big cities. PTI RSN NKD CS
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Last Updated : Sep 30, 2019, 10:39 AM IST
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