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लद्दाख में 36 नए हेलीपैड बना रहा भारत - भारत और चीन

सैन्य संचालन और सहायता कार्यों को सक्षम करने के लिए लद्दाख में 36 नए हेलीपैड बनाने में भारत जुट गया है. इससे भारत की ताकत में बेहद इजाफा होगा. पढ़ें ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

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हेलीपैड
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Published : Dec 22, 2020, 6:30 PM IST

नई दिल्ली : भारत और चीन के तनाव के बीच लेह के क्षेत्रों में 36 नए हेलीपैड भारत बनाने जा रहा है. लद्दाख में कारगिल, पैंगोंग त्सो झील और फिंगर 4 क्षेत्र के निकट भी हेलीपैड बनाए जाएंगे. कारकोरम पास के पास दौलत बेग ओल्डी तक तेजी से सड़क निर्माण करने के बाद भारत ने चीन को यह दूसरा बड़ा झटका दिया है.

19 हेलीपैड लेह में और 17 कारगिल में बनेंगे

19 हेलीपैड लेह में और 17 कारगिल में बनेंगे. लगभग चार महीने में सभी के तैयार होने की उम्मीद है. इन हेलीपैड का इस्तेमाल मुख्य रूप से नागरिक उपयोगों को पूरा करने, कनेक्टिविटी बढ़ाने, पर्यटकों को फेरी देना, आपात स्थितियों में चिकित्सा के लिए होगा मगर मुख्य इस्तेमाल सैन्य हेलीकाप्टरों के लिए किया जाएगा. सूत्र के अनुसार, इन हेलीपैड्स पर ईंधन भरने की सुविधा, यात्री काउंटर, वेटिंग एरिया, सिक्योरिटी एरिया आदि होंगे.

प्रत्येक हेलीपैड पर दो एमआई 17 हेलीकॉप्टर की होगी जगह

प्रत्येक हेलीपैड पर कम से कम दो एमआई 17 हेलीकॉप्टर रखने की जगह होगी. एक सेवारत अधिकारी ने कहा कि रूस निर्मित एमआई 17 में कम से कम 21 मीटर पंख फैलाव है और 30 सैनिकों को ले जा सकता है. हेलीकॉप्टर को सामान्य इलाके में उतारना आसान होता है लेकिन लद्दाख में उच्च भूमि और पहाड़ी इलाके में उतरना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है. यही कारण है कि लद्दाख के दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों को जोड़ने वाले हेलीपैड्स पर सभी जरूरी इंतजाम किए जा रहे हैं.

सामान आपूर्ति और रक्षा में आएंगे काम

सर्दियों के महीनों में सैन्य बलों को सामान आपूर्ति करने में भी यह हेलीपैड काम आएंगे. केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख प्रशासन इस योजना में मदद कर रहा है. मुख्य कुशोक बकुला रिम्पोछे हवाई अड्डे के अलावा लद्दाख में छह उन्नत लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) हैं, जो भारतीय वायुसेना द्वारा संचालित हैं. भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान भी इन एएलजी पर उतर सकते हैं. इनसे मुख्य रूप से भारतीय वायुसेना के परिवहन विमान सी 17 ग्लोबमास्टर, सी 130J सुपर हरक्यूलिस, एएन 32 एस और आईएल 76 एस जैसे एयरलिफ्टर्स का उपयोग कर सेना के जवानों और सैन्य आपूर्ति को पहुंचाया जाता है.

चीन भी बना रहा हेलीपैड

एएलजी से सैन्य चौकियों के लिए अंतिम मील कनेक्टिविटी आमतौर पर हेलीकाप्टरों द्वारा प्रदान की जाती है. यह भी समझा जाता है कि लद्दाख से लेकर उत्तराखंड की सीमा से लेकर सिक्किम से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक नए हेलीपैड और हेलीपोर्ट स्थापित करने सहित चीन ने अपनी सैन्य सुविधाओं को बढ़ा दिया है. अमेरिकी थिंकटैंक स्ट्रैटफोर द्वारा सितंबर 2020 में किए एक आकलन के अनुसार, मई में लद्दाख संकट की शुरुआत के बाद चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चार हेलीपोर्ट का निर्माण कर रहा है.

नई दिल्ली : भारत और चीन के तनाव के बीच लेह के क्षेत्रों में 36 नए हेलीपैड भारत बनाने जा रहा है. लद्दाख में कारगिल, पैंगोंग त्सो झील और फिंगर 4 क्षेत्र के निकट भी हेलीपैड बनाए जाएंगे. कारकोरम पास के पास दौलत बेग ओल्डी तक तेजी से सड़क निर्माण करने के बाद भारत ने चीन को यह दूसरा बड़ा झटका दिया है.

19 हेलीपैड लेह में और 17 कारगिल में बनेंगे

19 हेलीपैड लेह में और 17 कारगिल में बनेंगे. लगभग चार महीने में सभी के तैयार होने की उम्मीद है. इन हेलीपैड का इस्तेमाल मुख्य रूप से नागरिक उपयोगों को पूरा करने, कनेक्टिविटी बढ़ाने, पर्यटकों को फेरी देना, आपात स्थितियों में चिकित्सा के लिए होगा मगर मुख्य इस्तेमाल सैन्य हेलीकाप्टरों के लिए किया जाएगा. सूत्र के अनुसार, इन हेलीपैड्स पर ईंधन भरने की सुविधा, यात्री काउंटर, वेटिंग एरिया, सिक्योरिटी एरिया आदि होंगे.

प्रत्येक हेलीपैड पर दो एमआई 17 हेलीकॉप्टर की होगी जगह

प्रत्येक हेलीपैड पर कम से कम दो एमआई 17 हेलीकॉप्टर रखने की जगह होगी. एक सेवारत अधिकारी ने कहा कि रूस निर्मित एमआई 17 में कम से कम 21 मीटर पंख फैलाव है और 30 सैनिकों को ले जा सकता है. हेलीकॉप्टर को सामान्य इलाके में उतारना आसान होता है लेकिन लद्दाख में उच्च भूमि और पहाड़ी इलाके में उतरना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है. यही कारण है कि लद्दाख के दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों को जोड़ने वाले हेलीपैड्स पर सभी जरूरी इंतजाम किए जा रहे हैं.

सामान आपूर्ति और रक्षा में आएंगे काम

सर्दियों के महीनों में सैन्य बलों को सामान आपूर्ति करने में भी यह हेलीपैड काम आएंगे. केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख प्रशासन इस योजना में मदद कर रहा है. मुख्य कुशोक बकुला रिम्पोछे हवाई अड्डे के अलावा लद्दाख में छह उन्नत लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) हैं, जो भारतीय वायुसेना द्वारा संचालित हैं. भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान भी इन एएलजी पर उतर सकते हैं. इनसे मुख्य रूप से भारतीय वायुसेना के परिवहन विमान सी 17 ग्लोबमास्टर, सी 130J सुपर हरक्यूलिस, एएन 32 एस और आईएल 76 एस जैसे एयरलिफ्टर्स का उपयोग कर सेना के जवानों और सैन्य आपूर्ति को पहुंचाया जाता है.

चीन भी बना रहा हेलीपैड

एएलजी से सैन्य चौकियों के लिए अंतिम मील कनेक्टिविटी आमतौर पर हेलीकाप्टरों द्वारा प्रदान की जाती है. यह भी समझा जाता है कि लद्दाख से लेकर उत्तराखंड की सीमा से लेकर सिक्किम से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक नए हेलीपैड और हेलीपोर्ट स्थापित करने सहित चीन ने अपनी सैन्य सुविधाओं को बढ़ा दिया है. अमेरिकी थिंकटैंक स्ट्रैटफोर द्वारा सितंबर 2020 में किए एक आकलन के अनुसार, मई में लद्दाख संकट की शुरुआत के बाद चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चार हेलीपोर्ट का निर्माण कर रहा है.

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