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सुरक्षा बलों ने 19 साल में मारे 22 हजार आतंकी : गृह मंत्रालय

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Published : Dec 10, 2019, 11:29 PM IST

संसद में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए गृह मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि वर्ष 1990 से लेकर एक दिसंबर 2019 तक सुरक्षा बलों ने आतंकवादी हिंसा की घटनाओं में संलिप्त 22,527 आतंकवादियों को मार गिराया है.

गृह मंत्रालय
गृह मंत्रालय

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने स्वीकार किया है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद भी सीमा पार से आतंकी घुसपैठ की कोशिशें जारी हैं. अगस्त, 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद से अब तक घुसपैठ के 84 प्रयास हुए हैं. इस दौरान 59 आतंकियों के सीमा में घुसने की खबर है. लोकसभा में मंगलवार को एक सवाल के जवाब में गृह मंत्रालय ने यह जानकारी दी है.

दरअसल, आंध्र प्रदेश की इलुरु सीट से वाईएसआर कांग्रेस सांसद श्रीधर कोटागिरी ने पूछा था कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद नियंत्रण रेखा पार कर भारत में घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों की संख्या कितनी है. उन्होंने यह भी पूछा था कि भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए एवं पकड़े गए आतंकवादियों की संख्या कितनी है?

लिखित जवाब में गृह मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि वर्ष 1990 से लेकर एक दिसंबर 2019 तक सुरक्षा बलों ने आतंकवादी हिंसा की घटनाओं में संलिप्त 22,527 आतंकवादियों को मार गिराया है.

पढ़ें- CAB भारत का आतंरिक मुद्दा, किसी और को बोलने का हक नहीं : कांग्रेस

सुरक्षा बलों की प्रभावी निगरानी के कारण वर्ष 2005 से लेकर 31 अक्टूबर 2019 तक सीमापार से घुसपैठ के प्रयासों के दौरान 1011 आतंकी मारे गए, वहीं 42 आतंकी गिरफ्तार किए गए, जबकि 2253 आतंकवादी खदेड़े गए.

गृह मंत्रालय ने बताया कि घुसपैठ के प्रयासों को विफल करने के लिए निरंतर डोमिनेशन ऑपरेशन (निरंतर प्रभुत्व कायम रखने) की कार्रवाई की जा रही है. सीमा पर घुसपैठरोधी मजबूत ग्रिड भी उपलब्ध है.

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने स्वीकार किया है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद भी सीमा पार से आतंकी घुसपैठ की कोशिशें जारी हैं. अगस्त, 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद से अब तक घुसपैठ के 84 प्रयास हुए हैं. इस दौरान 59 आतंकियों के सीमा में घुसने की खबर है. लोकसभा में मंगलवार को एक सवाल के जवाब में गृह मंत्रालय ने यह जानकारी दी है.

दरअसल, आंध्र प्रदेश की इलुरु सीट से वाईएसआर कांग्रेस सांसद श्रीधर कोटागिरी ने पूछा था कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद नियंत्रण रेखा पार कर भारत में घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों की संख्या कितनी है. उन्होंने यह भी पूछा था कि भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए एवं पकड़े गए आतंकवादियों की संख्या कितनी है?

लिखित जवाब में गृह मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि वर्ष 1990 से लेकर एक दिसंबर 2019 तक सुरक्षा बलों ने आतंकवादी हिंसा की घटनाओं में संलिप्त 22,527 आतंकवादियों को मार गिराया है.

पढ़ें- CAB भारत का आतंरिक मुद्दा, किसी और को बोलने का हक नहीं : कांग्रेस

सुरक्षा बलों की प्रभावी निगरानी के कारण वर्ष 2005 से लेकर 31 अक्टूबर 2019 तक सीमापार से घुसपैठ के प्रयासों के दौरान 1011 आतंकी मारे गए, वहीं 42 आतंकी गिरफ्तार किए गए, जबकि 2253 आतंकवादी खदेड़े गए.

गृह मंत्रालय ने बताया कि घुसपैठ के प्रयासों को विफल करने के लिए निरंतर डोमिनेशन ऑपरेशन (निरंतर प्रभुत्व कायम रखने) की कार्रवाई की जा रही है. सीमा पर घुसपैठरोधी मजबूत ग्रिड भी उपलब्ध है.

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पीटीआई-भाषा संवाददाता 15:57 HRS IST




             
  • अगस्त के बाद सीमापार से जम्मू कश्मीर में घुसपैठ के 84 प्रयास, 59 आतंकियों के घुसने की आशंका : सरकार



नयी दिल्ली, 10 दिसंबर :भाषा: सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में बताया कि अगस्त में जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे संबंधी अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त किये जाने के बाद नियंत्रण रेखा पर सीमा पार से घुसपैठ के 84 प्रयास किये गए और इनमें 59 आतंकवादियों के घुस आने की आशंका है । निचले सदन में श्रीधर कोटागिरी के प्रश्न के लिखित उत्तर में गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा, ‘‘ वर्ष 1990 से एक दिसंबर 2019 तक सुरक्षा बलों द्वारा 22,557 आतंकवादियों को मार गिराया गया है । ’’ उन्होंने बताया कि सुरक्षा बलों की प्रभावी चौकसी के कारण वर्ष 2005 से लेकर 31 अक्तूबर 2019 तक सीमापार से घुसपैठ के प्रयासों के दौरान 1011 आतंकवादी मारे गए और 42 आतंकवादियों को गिरफ्तार कर लिया गया । इस दौरान 2253 आतंकवादियों को वापस भगाया गया । गृह राज्य मंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर आतंकवादियों द्वारा किये जाने वाले घुसपैठ के सीमापार से नियमित प्रयास प्रायोजित और समर्थित हैं । अगस्त 2019 के बाद से नियंत्रण रेखा पर सीमा पार से घुसपैठ के 84 प्रयास किये गए और इनमें 59 आतंकवादियों के घुस आने की आशंका है । उन्होंने कहा कि घुसपैठ के प्रयास जम्मू कश्मीर में हिंसा पैदा करने और मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने तथा घाटी में घटते आतंकवाद को बढ़ाने हेतु एक छद्म युद्ध के एजेंडे का हिस्सा है ।


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