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अनुच्छेद 370 हटाने के सौ दिन बाद भी नहीं बदले जम्मू-कश्मीर के हालात

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Published : Nov 12, 2019, 10:35 PM IST

जम्मू-कश्मीर में मंगलवार को अनुच्छेद 370 हटाये जाने के 100 दिन पूरे होने के बाद भी आम जनजीवन प्रभावित रहा.

कश्मीर में बाजार

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के मंगलवार को 100 दिन पूरे होने के बाद भी आम जनजीवन प्रभावित रहा. हालांकि, सुबह और शाम के समय बाजार खुले, लेकिन सड़कों पर लोग कम ही दिखाई दिए. लेकिन बंद रेल सेवाएं फिर सुचारु हो गयी हैं.

प्रदेश में सौ दिनों के बाद मंगलवार को रेल सेवाएं एक बार फिर शुरू कर दी गईं. इसके लिए सोमवार को श्रीनगर से बारामूला तक ट्रायल लिया गया था.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने बीते 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 और 35 ए को खत्म कर न सिर्फ राज्य का विशेष दर्जा खत्म कर दिया बल्कि राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में भी विभाजित कर दिया था. इसके साथ ही राज्य में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई थी.

प्रशासन का दावा है कि पाकिस्तान आतंकी गतिविधियों के लिए कश्मीर में फोन और इंटरनेट सेवाओं का इस्तेमाल करता है, इसलिए वहां इंटरनेट और फोन सेवाओं पर अभी पाबंदी लगी हुई है. इसके कारण घाटी में पत्रकारों और छात्रों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है.

कश्मीर में लगी पाबंदियों के कारण पत्रकारों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. पत्रकार अपने दफ्तरों के बजाए प्रशासन द्वारा स्थापित एनआईसी केंद्रों से काम करना पड़ रहा है.

वहीं इंटरनेट सेवाएं न होने के कारण छात्र अपने फॉर्म, स्कॉलरशिप आदि के आवेदन नही कर पा रहे हैं.

जम्मू प्रांत में बाबरी मस्जिद-राम मंदिर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसले के मद्देनजर धारा 144 लगा दी गयी थी. जिसे रविवार को हटा लिया गया, लेकिन कश्मीर घाटी में प्रतिबंध अब भी लागू हैं.

इस बीच, वाणिज्यिक केंद्र, लालचौक सहित शहर के सभी क्षेत्रों में सोमवार को सामान्य जीवन प्रभावित रहा, लेकिन बाजार सुबह से खुल गया, जो 12 बजे से पहले ही बंद हो गया. सड़कों पर निजी परिवहन के साथ, सड़क के किनारे की दुकानें दिनभर खुली रहीं, जबकि सार्वजनिक परिवहन का आंशिक परिवहन जारी रहा. इस बीच लोगों ने बुनियादी सामान के साथ साथ गर्म कपड़े और जूतों की खरीदारी की.

इसके अलावा घाटी के अन्य जिला मुख्यालयों और कस्बों में भी सोमवार को जनजीवन प्रभावित रहा. दिन के दौरान बाजार बंद रहे. हालांकि, सड़कों का परिवहन जारी रहा. वाहनों को भी इसी यातायात में देखा गया. कुछ स्थानों पर, दिन में एक बजे से बाजार खुल गये और बाजार शाम तक खुल गये, इस दौरान लोगों की काफी भीड़ देखी गयी.

घाटी के सरकारी कार्यालयों और बैंकों में सामान्य कामकाज बहाल है, हालांकि शिक्षण संस्थानों में शिक्षण प्रक्रिया 5 अगस्त से शुरू नहीं हुई है, लेकिन शिक्षण संस्थानों में छात्रों की पहल बढ़ गई है.
दसवीं और बारहवीं कक्षा की परीक्षाएं क्रमश: 29 और 30 अक्टूबर को स्टेट बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन द्वारा शुरू की गई थीं.

पढ़ें- जम्मू-कश्मीर के डोडा में सड़क हादसे में 16 लोगों की मौत

यह उल्लेखनीय है कि घाटी के ज्यादातर मुख्यधारा के नेता नजरबंद हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और संसद सदस्य डॉ,. फारूक अब्दुल्ला लगातार पीएसए के तहत अपने आवास पर नजरबंद हैं, जबकि उनके बेटे और पूर्व उमर अब्दुल्ला और पीडीपी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती हिरासत में हैं.

इनके अलावा अलगावादी नेता सैयद अली गिलानी और मीरवाइज उमर फारूक भी हिरासत में हैं.

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के मंगलवार को 100 दिन पूरे होने के बाद भी आम जनजीवन प्रभावित रहा. हालांकि, सुबह और शाम के समय बाजार खुले, लेकिन सड़कों पर लोग कम ही दिखाई दिए. लेकिन बंद रेल सेवाएं फिर सुचारु हो गयी हैं.

प्रदेश में सौ दिनों के बाद मंगलवार को रेल सेवाएं एक बार फिर शुरू कर दी गईं. इसके लिए सोमवार को श्रीनगर से बारामूला तक ट्रायल लिया गया था.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने बीते 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 और 35 ए को खत्म कर न सिर्फ राज्य का विशेष दर्जा खत्म कर दिया बल्कि राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में भी विभाजित कर दिया था. इसके साथ ही राज्य में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई थी.

प्रशासन का दावा है कि पाकिस्तान आतंकी गतिविधियों के लिए कश्मीर में फोन और इंटरनेट सेवाओं का इस्तेमाल करता है, इसलिए वहां इंटरनेट और फोन सेवाओं पर अभी पाबंदी लगी हुई है. इसके कारण घाटी में पत्रकारों और छात्रों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है.

कश्मीर में लगी पाबंदियों के कारण पत्रकारों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. पत्रकार अपने दफ्तरों के बजाए प्रशासन द्वारा स्थापित एनआईसी केंद्रों से काम करना पड़ रहा है.

वहीं इंटरनेट सेवाएं न होने के कारण छात्र अपने फॉर्म, स्कॉलरशिप आदि के आवेदन नही कर पा रहे हैं.

जम्मू प्रांत में बाबरी मस्जिद-राम मंदिर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसले के मद्देनजर धारा 144 लगा दी गयी थी. जिसे रविवार को हटा लिया गया, लेकिन कश्मीर घाटी में प्रतिबंध अब भी लागू हैं.

इस बीच, वाणिज्यिक केंद्र, लालचौक सहित शहर के सभी क्षेत्रों में सोमवार को सामान्य जीवन प्रभावित रहा, लेकिन बाजार सुबह से खुल गया, जो 12 बजे से पहले ही बंद हो गया. सड़कों पर निजी परिवहन के साथ, सड़क के किनारे की दुकानें दिनभर खुली रहीं, जबकि सार्वजनिक परिवहन का आंशिक परिवहन जारी रहा. इस बीच लोगों ने बुनियादी सामान के साथ साथ गर्म कपड़े और जूतों की खरीदारी की.

इसके अलावा घाटी के अन्य जिला मुख्यालयों और कस्बों में भी सोमवार को जनजीवन प्रभावित रहा. दिन के दौरान बाजार बंद रहे. हालांकि, सड़कों का परिवहन जारी रहा. वाहनों को भी इसी यातायात में देखा गया. कुछ स्थानों पर, दिन में एक बजे से बाजार खुल गये और बाजार शाम तक खुल गये, इस दौरान लोगों की काफी भीड़ देखी गयी.

घाटी के सरकारी कार्यालयों और बैंकों में सामान्य कामकाज बहाल है, हालांकि शिक्षण संस्थानों में शिक्षण प्रक्रिया 5 अगस्त से शुरू नहीं हुई है, लेकिन शिक्षण संस्थानों में छात्रों की पहल बढ़ गई है.
दसवीं और बारहवीं कक्षा की परीक्षाएं क्रमश: 29 और 30 अक्टूबर को स्टेट बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन द्वारा शुरू की गई थीं.

पढ़ें- जम्मू-कश्मीर के डोडा में सड़क हादसे में 16 लोगों की मौत

यह उल्लेखनीय है कि घाटी के ज्यादातर मुख्यधारा के नेता नजरबंद हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और संसद सदस्य डॉ,. फारूक अब्दुल्ला लगातार पीएसए के तहत अपने आवास पर नजरबंद हैं, जबकि उनके बेटे और पूर्व उमर अब्दुल्ला और पीडीपी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती हिरासत में हैं.

इनके अलावा अलगावादी नेता सैयद अली गिलानी और मीरवाइज उमर फारूक भी हिरासत में हैं.

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