नई दिल्ली: असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के अंतिम मसौदे के प्रकाशन के दौरान राज्य में सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया जाएगा. उन्होंने कहा, 'गृहमंत्री ने हमें पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया है.'
वहीं जिन लोगों का इस मसौदे में नाम नहीं आया है, उन्हें अपने बेघर होने की चिंता लगी हुई है.
शाह से हुई बैठक के बारे में सोनोवाल ने बताया कि NRC के अंतिम मसौदे के प्रकाशन के दौरान राज्य में कुछ अराजक तत्वों द्वारा हिंसा की कोशिश की जा सकती है, इसके मद्देनजर राज्य में असम सहित बंगाल से भी सुरक्षा बलों की नियुक्ति की जाएगी. गृह मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि 31 अगस्त को एनआरसी प्रकाशन के बाद पश्चिम बंगाल सहित पड़ोसी राज्यों के केंद्रीय अर्धसैनिक बल असम में तैनात किए जाएंगे.
सोनोवाल ने कहा, 'हमें असम के लोगों से उम्मीद है कि वह इस बार सरकार का सहयोग करेंगे.' गौरतलब है कि NRC के अंतिम ड्राफ्ट में लगभग पांच लाख लोगों के नाम शामिल नहीं किये गए हैं. इसे लेकर असम के लोगों के बीच गहरी चिंता है.
सरकार को करना पड़ सकता है इन चुनौतियों का सामना
बता दें, असम के स्थायी निवासियों में कई लोग ऐसे हैं, जो एनआरसी के लिए आवेदन नहीं भर सके थे. शायद NRC के प्रति लोगों में कम जागरूकता और प्रशासनिक ढ़ील के कारण ये हुआ. इसके चलते NRC के अंतिम प्रकाशन में उन्हें आइडेंटिटी क्रीइसिस (पहचान का संकट) का सामना कर पड़ सकता है.
वहीं इस बारे में आम लोगों का कहना है कि जिन लोगों के नाम NRC में शामिल नहीं हुआ है, उनके लिए सरकार क्या कदम उठाएगी. लोगों में इस बात की चिंता है कि क्या असम के लोग अपनी ही धरती पर विदेशी हो जाएंगे.
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इस संबंध में ईटीवी भारत ने अधिवक्ता उपमन्यु हजारिका से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि तीन करोड़ 29 लाख 91 हजार 384 की वर्तमान आबादी में से अधिकांश ने एनआरसी के लिए आवेदन नहीं किया है.
उन्होंने बताया कि पहले मसौदे में राज्य में रहने वाले दो करोड़ 98 लाख 83 हजार लोगों के नाम शामिल किए गए थे और 40 लाख 7 हजार और 707 लोगों के नाम छोड़ दिए गए थे. उन्होंने बताया कि इतना ही नहीं NRC में 40 लाख लोगों के नाम गलत भी भर गए थे क्योंकि लोगों ने गलत डेटा और प्रमाणपत्र जमा किया था.
उन्होंने बताया कि NRC के पहले मसौदे में छूटे हुए लोगों को अपने डेटा को फिर से जमा करने और NRC की प्रक्रिया फिर से शुरू करने का मौका दिया गया था, लेकिन बचे हुए नामों में से केवल 36 लाख दो हजार लोगों ने ही अपने नाम का आवेदन दोबारा दिया.
उपमन्यु ने बताया कि इसके बाद 26 जून को एनआरसी प्राधिकरण ने एक और सूची प्रकाशित की, जहां एक लाख 32 हजार 462 D मतदाताओं के नाम प्रकाशित किए गए, जो पहले से ही प्रमाणित विदेशी नागरिक थे और उनके नाम गलती से एनआरसी के पहले मसौदे में शामिल हो गए थे.
उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट है कि इन लोगों में से अधिकांश का नाम अंतिम एनआरसी मसौदे में शामिल नहीं होगा. अब लोगों के बीच सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि राज्य प्रशासन असम के उन लोगों के लिए क्या करेगा, जिनका नाम जानकारी न होने की वजह से इस सूची में शामिल नहीं हो सका.
जानिए कौन होते है D मतदाता :
असम में 'डी मतदाता वे होते हैं, जो अपनी भारतीय नागरिकता के पक्ष में सबूत पेश नहीं कर पाते. इन्हें संदिग्ध बांग्लादेशी या डाउटफुल वोटर भी कहा जाता है.