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असम NRC: 10 दिन में आएगा अंतिम मसौदा, कई लोगों में बेघर होने की चिंता

असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. इस दौरान दोनों के बीच राज्य में सुरक्षा को लेकर बातचीत की गई. बता दें, NRC का अंतिम मसौदा पेश होने में 10 दिन बचे हैं, ऐसे में वह लोग जिनका नाम इस सूची में नहीं आया हैं, अपनी नागरिकता को लेकर चिंतित हैं. पढ़ें पूरी खबर...

असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल
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Published : Aug 19, 2019, 9:47 PM IST

Updated : Sep 27, 2019, 2:09 PM IST

नई दिल्ली: असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के अंतिम मसौदे के प्रकाशन के दौरान राज्य में सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया जाएगा. उन्होंने कहा, 'गृहमंत्री ने हमें पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया है.'

वहीं जिन लोगों का इस मसौदे में नाम नहीं आया है, उन्हें अपने बेघर होने की चिंता लगी हुई है.

गृहमंत्री अमित शाह से मिले असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल

शाह से हुई बैठक के बारे में सोनोवाल ने बताया कि NRC के अंतिम मसौदे के प्रकाशन के दौरान राज्य में कुछ अराजक तत्वों द्वारा हिंसा की कोशिश की जा सकती है, इसके मद्देनजर राज्य में असम सहित बंगाल से भी सुरक्षा बलों की नियुक्ति की जाएगी. गृह मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि 31 अगस्त को एनआरसी प्रकाशन के बाद पश्चिम बंगाल सहित पड़ोसी राज्यों के केंद्रीय अर्धसैनिक बल असम में तैनात किए जाएंगे.

सोनोवाल ने कहा, 'हमें असम के लोगों से उम्मीद है कि वह इस बार सरकार का सहयोग करेंगे.' गौरतलब है कि NRC के अंतिम ड्राफ्ट में लगभग पांच लाख लोगों के नाम शामिल नहीं किये गए हैं. इसे लेकर असम के लोगों के बीच गहरी चिंता है.

सरकार को करना पड़ सकता है इन चुनौतियों का सामना

धिवक्ता उपमन्यु हजारिका के साथ बातचीत

बता दें, असम के स्थायी निवासियों में कई लोग ऐसे हैं, जो एनआरसी के लिए आवेदन नहीं भर सके थे. शायद NRC के प्रति लोगों में कम जागरूकता और प्रशासनिक ढ़ील के कारण ये हुआ. इसके चलते NRC के अंतिम प्रकाशन में उन्हें आइडेंटिटी क्रीइसिस (पहचान का संकट) का सामना कर पड़ सकता है.

वहीं इस बारे में आम लोगों का कहना है कि जिन लोगों के नाम NRC में शामिल नहीं हुआ है, उनके लिए सरकार क्या कदम उठाएगी. लोगों में इस बात की चिंता है कि क्या असम के लोग अपनी ही धरती पर विदेशी हो जाएंगे.

पढ़ें-असम सरकार के अधिकारी पर एनआरसी कर सरकता है कारवाई, दस्तावेजों की जांच में अनियमितता का आरोप

इस संबंध में ईटीवी भारत ने अधिवक्ता उपमन्यु हजारिका से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि तीन करोड़ 29 लाख 91 हजार 384 की वर्तमान आबादी में से अधिकांश ने एनआरसी के लिए आवेदन नहीं किया है.

उन्होंने बताया कि पहले मसौदे में राज्य में रहने वाले दो करोड़ 98 लाख 83 हजार लोगों के नाम शामिल किए गए थे और 40 लाख 7 हजार और 707 लोगों के नाम छोड़ दिए गए थे. उन्होंने बताया कि इतना ही नहीं NRC में 40 लाख लोगों के नाम गलत भी भर गए थे क्योंकि लोगों ने गलत डेटा और प्रमाणपत्र जमा किया था.

उन्होंने बताया कि NRC के पहले मसौदे में छूटे हुए लोगों को अपने डेटा को फिर से जमा करने और NRC की प्रक्रिया फिर से शुरू करने का मौका दिया गया था, लेकिन बचे हुए नामों में से केवल 36 लाख दो हजार लोगों ने ही अपने नाम का आवेदन दोबारा दिया.

उपमन्यु ने बताया कि इसके बाद 26 जून को एनआरसी प्राधिकरण ने एक और सूची प्रकाशित की, जहां एक लाख 32 हजार 462 D मतदाताओं के नाम प्रकाशित किए गए, जो पहले से ही प्रमाणित विदेशी नागरिक थे और उनके नाम गलती से एनआरसी के पहले मसौदे में शामिल हो गए थे.

उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट है कि इन लोगों में से अधिकांश का नाम अंतिम एनआरसी मसौदे में शामिल नहीं होगा. अब लोगों के बीच सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि राज्य प्रशासन असम के उन लोगों के लिए क्या करेगा, जिनका नाम जानकारी न होने की वजह से इस सूची में शामिल नहीं हो सका.

जानिए कौन होते है D मतदाता :
असम में 'डी मतदाता वे होते हैं, जो अपनी भारतीय नागरिकता के पक्ष में सबूत पेश नहीं कर पाते. इन्हें संदिग्ध बांग्लादेशी या डाउटफुल वोटर भी कहा जाता है.

नई दिल्ली: असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के अंतिम मसौदे के प्रकाशन के दौरान राज्य में सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया जाएगा. उन्होंने कहा, 'गृहमंत्री ने हमें पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया है.'

वहीं जिन लोगों का इस मसौदे में नाम नहीं आया है, उन्हें अपने बेघर होने की चिंता लगी हुई है.

गृहमंत्री अमित शाह से मिले असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल

शाह से हुई बैठक के बारे में सोनोवाल ने बताया कि NRC के अंतिम मसौदे के प्रकाशन के दौरान राज्य में कुछ अराजक तत्वों द्वारा हिंसा की कोशिश की जा सकती है, इसके मद्देनजर राज्य में असम सहित बंगाल से भी सुरक्षा बलों की नियुक्ति की जाएगी. गृह मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि 31 अगस्त को एनआरसी प्रकाशन के बाद पश्चिम बंगाल सहित पड़ोसी राज्यों के केंद्रीय अर्धसैनिक बल असम में तैनात किए जाएंगे.

सोनोवाल ने कहा, 'हमें असम के लोगों से उम्मीद है कि वह इस बार सरकार का सहयोग करेंगे.' गौरतलब है कि NRC के अंतिम ड्राफ्ट में लगभग पांच लाख लोगों के नाम शामिल नहीं किये गए हैं. इसे लेकर असम के लोगों के बीच गहरी चिंता है.

सरकार को करना पड़ सकता है इन चुनौतियों का सामना

धिवक्ता उपमन्यु हजारिका के साथ बातचीत

बता दें, असम के स्थायी निवासियों में कई लोग ऐसे हैं, जो एनआरसी के लिए आवेदन नहीं भर सके थे. शायद NRC के प्रति लोगों में कम जागरूकता और प्रशासनिक ढ़ील के कारण ये हुआ. इसके चलते NRC के अंतिम प्रकाशन में उन्हें आइडेंटिटी क्रीइसिस (पहचान का संकट) का सामना कर पड़ सकता है.

वहीं इस बारे में आम लोगों का कहना है कि जिन लोगों के नाम NRC में शामिल नहीं हुआ है, उनके लिए सरकार क्या कदम उठाएगी. लोगों में इस बात की चिंता है कि क्या असम के लोग अपनी ही धरती पर विदेशी हो जाएंगे.

पढ़ें-असम सरकार के अधिकारी पर एनआरसी कर सरकता है कारवाई, दस्तावेजों की जांच में अनियमितता का आरोप

इस संबंध में ईटीवी भारत ने अधिवक्ता उपमन्यु हजारिका से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि तीन करोड़ 29 लाख 91 हजार 384 की वर्तमान आबादी में से अधिकांश ने एनआरसी के लिए आवेदन नहीं किया है.

उन्होंने बताया कि पहले मसौदे में राज्य में रहने वाले दो करोड़ 98 लाख 83 हजार लोगों के नाम शामिल किए गए थे और 40 लाख 7 हजार और 707 लोगों के नाम छोड़ दिए गए थे. उन्होंने बताया कि इतना ही नहीं NRC में 40 लाख लोगों के नाम गलत भी भर गए थे क्योंकि लोगों ने गलत डेटा और प्रमाणपत्र जमा किया था.

उन्होंने बताया कि NRC के पहले मसौदे में छूटे हुए लोगों को अपने डेटा को फिर से जमा करने और NRC की प्रक्रिया फिर से शुरू करने का मौका दिया गया था, लेकिन बचे हुए नामों में से केवल 36 लाख दो हजार लोगों ने ही अपने नाम का आवेदन दोबारा दिया.

उपमन्यु ने बताया कि इसके बाद 26 जून को एनआरसी प्राधिकरण ने एक और सूची प्रकाशित की, जहां एक लाख 32 हजार 462 D मतदाताओं के नाम प्रकाशित किए गए, जो पहले से ही प्रमाणित विदेशी नागरिक थे और उनके नाम गलती से एनआरसी के पहले मसौदे में शामिल हो गए थे.

उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट है कि इन लोगों में से अधिकांश का नाम अंतिम एनआरसी मसौदे में शामिल नहीं होगा. अब लोगों के बीच सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि राज्य प्रशासन असम के उन लोगों के लिए क्या करेगा, जिनका नाम जानकारी न होने की वजह से इस सूची में शामिल नहीं हो सका.

जानिए कौन होते है D मतदाता :
असम में 'डी मतदाता वे होते हैं, जो अपनी भारतीय नागरिकता के पक्ष में सबूत पेश नहीं कर पाते. इन्हें संदिग्ध बांग्लादेशी या डाउटफुल वोटर भी कहा जाता है.

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countdown : 10 more days for NRC final draft...... 



guwahati, 19 august: Only 10 days left for the publish of final NRC . Now the exitement before the NRC publish is increasing among the people of the state. while it is clear that there are almost 5 lakh people will not have their name in the final draft. most of the indigenious people of assam have not applied for NRC due to the less concern of the people andthe authority as well. however, now a question of their fate is rising as they might have to face indentity crisis after the final NRC publish . the intellectual and common people asking that will the government would be able to save the indigenious assamese people from becoming  forigner in their own land? 

in a conversation with advocate Upamanyu Hazrika he said that among the current population of  3 crore 29 lakh 91 thousand 384 of assam most of them did not applied for NRC. In the first draft, the names of 2 crore 98 lakh 83 thousnad people living in the state was included and name of 40 lakh 7 thousand and 707 people were left out. among those 40 lakh left out name from the NRC first draft most of them had submitted wrong legacy data, and indentity prof. apart from that names of 2 lakh people were not included due to D voter allegation on them and their on going cases in the Assam foreigner tribunal.  

the left out people from the NRC first draft were given a chance to resubmit their datas and reslove any inquriy about the NRC process if they have. But among the left out names only 36 lakh 2 thousand people have re-applied their name in NRC. 

on 26th of june NRC authority published an another list where the published the names 1 lakh 32 thousand 462 D voter and already proved forigen citizens whose names mistakenly included in the first draft of NRC . 

hence it is pradictable that most of these people will not have their name in the upcoming NRC. But now the most important quesation rising among the people is how the state goverment will save the names of indigenious people of the Assam, who had not applied for NRC due to their lack of concern.


Conclusion:
Last Updated : Sep 27, 2019, 2:09 PM IST
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