पटना : बिहार विधानसभा में इस बार कई चीजें नई हो रही हैं. इसी क्रम में सर्वश्रेष्ठ विधायक के चयन का फैसला भी पहली बार हो रहा है. इसके लिए विधानसभा की चयन समिति बनेगी. चयन समिति जिस विधायक के नाम की अनुशंसा करेगी, विधानसभा अध्यक्ष उसे सर्वश्रेष्ठ विधायक का खिताब देंगे. हर साल एक विधायक को पुरस्कृत किया जाएगा.
अब मिलेगा सर्वश्रेष्ठ विधायक का तमगा
विधायकों का सदन के अंदर आचरण, विधानसभा के संचालन के नियमों का पालन, प्रश्न पूछने के साथ पूरक प्रश्न पूछना, विशेष चर्चा में बेहतर ढंग से अपनी बातों को रखना और सदन के संचालन में भूमिका निभाने के साथ ही अन्य गतिविधियों को भी सर्वश्रेष्ठ विधायक के रूप में चयन करने के दौरान देखा जाएगा. हालांकि, विधानसभा की चयन समिति किस प्रकार की होगी और चयन का मापदंड क्या होगा, ये सब तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा.
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विधानसभा में पार्टियों के विधायकों की संख्या
पार्टी | विधायकों की संख्या |
आरजेडी | 75 |
भाजपा | 74 |
जेडीयू | 44 |
कांग्रेस | 19 |
सीपीआई (माले) | 12 |
एआईएमआईएम | 05 |
वीआईपी | 04 |
हम | 04 |
सीपीआई | 02 |
सीपीएम | 02 |
एलजेपी | 01 |
निर्दलीय | 01 |
243 विधायकों के लिए सर्वश्रेष्ठ बनने का मौका
बिहार विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले का कांग्रेस सहित सभी दलों के सदस्यों ने स्वागत किया है और उनका कहना है कि यह फैसला विधायकों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ाने वाला है. कांग्रेस विधायक प्रतिमा कुमारी ने कहा कि झारखंड में पहले से ही ऐसी व्यवस्था है. बिहार में भी यह व्यवस्था हो रही है, यह स्वागत योग्य कदम है.
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कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने कहा कि यह एक मोटिवेट करने वाला कदम है. सर्वश्रेष्ठ विधायक का विधानसभा अध्यक्ष का उनका अपना अलग मापदंड होगा.
वीआईपी के मिश्री लाल यादव और भाजपा के पवन जायसवाल ने भी इसे अच्छी पहल बताया. उन्होंने कहा कि इससे सदस्यों के बीच प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगी. प्रतिस्पर्धा के दौर में ही आदमी आगे जाता है.
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हालांकि, वाम दलों के विधायक की राय कुछ अलग है. सीपीएम विधायक अजय कुमार का कहना है कि ये व्यवस्था इसलिए की जा रही है कि सदन के अंदर विधायक अधिक सवाल न पूछें और विधानसभा अध्यक्ष की हां में हां मिलाएं, इसलिए इसके पक्ष में हम लोग नहीं हैं.
जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा कि हर क्षेत्र में बेहतर करने वाले लोग होते हैं. यदि उन्हें प्रोत्साहित किया जाए तो आगे आ सकते हैं और इसलिए विधानसभा अध्यक्ष का ये फैसला सराहनीय है.
कुछ राज्यों में पहले से है व्यवस्था
बिहार विधानसभा के 100 साल पूरे होने पर विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा की ये एक बड़ी पहल है. कई विधायक अध्यक्ष के फैसले को सही बता रहे हैं और ये भी कह रहे हैं कि इससे सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करेंगे. हालांकि बजट सत्र के बाद ही विधानसभा समिति के चयन पर फैसला होगा. झारखंड सहित कुछ राज्यों में इस तरह की व्यवस्था पहले से है और अब बिहार में भी ऐसा होने जा रहा है.