बेंगलुरु: कर्नाटक हाई कोर्ट ने मेट्रो के निर्माण के दौरान एक खंभा गिरने से एक महिला और एक बच्चे की दर्दनाक मौत पर चिंता जतायी. वहीं, अदालत में मामले में स्वत: संज्ञान हुए एक जनहित याचिका दायर की है. जैसे ही आज कार्यवाही शुरू हुई, मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बालचंद्र वराले और न्यायाधीश अशोक एस किनागी की पीठ ने घटना पर मीडिया की रिपोर्ट पर गौर किया. इसपर बेंच ने कहा कि इस तरह की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है.
ऐसे कार्य के लिए क्या सुरक्षा उपाय किए जाते हैं?, क्या निविदा दस्तावेजों में सुरक्षा उपाय शामिल हैं?, क्या सरकार ने सुरक्षा उपायों के संबंध में कोई आदेश जारी किया है?, क्या ठेकेदारों और अधिकारियों पर जिम्मेदारी तय है? हाईकोर्ट ने सरकार से मांगी जानकारी.घटना के संबंध में सरकार, बीएमआरसीएल, बीबीएमपी और ठेकेदार को प्रतिवादी के रूप में नामित किया गया था.
मंगलवार सुबह हुए दुर्भाग्यपूर्ण हादसे में तेजस्विनी (28) और उसके बेटे ढाई वर्षीय विहान की मौत हो गई, जबकि उसका पति लोहित कुमार और बेटी गंभीर रूप से घायल हो गए. कर्नाटक के मुख्यमंत्री बोम्मई ने मृतकों के परिवार को 20 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की. बीएमआरसीएल या नम्मा मेट्रो ने भी मृतकों के परिवार को 20 लाख रुपये के अलग से मुआवजे की घोषणा की.
बता दें कि कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में निर्माणाधीन मेट्रो का खंभा ढहने की घटना के सिलसिले में नागार्जुन विनिर्माण कंपनी (NCC), उसके पांच अधिकारियों और बेंगलुरू मेट्रो रेल निगम लिमिटेड (BMRCL) के दो अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. मंगलवार को हुए इस हादसे में एक महिला और उसके छोटे बच्चे की मौत हो गई थी.
बुधवार को राज्य के गृहमंत्री अरागा ज्ञानेंद्र (Home minister Araga Jnanendra) ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि यह कंपनी की ओर से घोर लापरवाही का मामला है और हम इस पर जरूर कार्रवाई करेंगे. उन्होंने बताया इस मामले में नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी की पूजा जेई चैतन्य, मेथाई कंपनी के विकास सिंह पीएम, लक्ष्मी पति सुपरवाइजर, वेंकटेश शेट्टी बीएमआरसीएल के इंजीनियर, बीएमआरसीएल के महेश बेंडेकेरी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है.